स्वामी दयानंद आश्रम में 23 से 30 जुलाई तक होगी ब्रह्म ज्ञान प्रदायिनी श्रीमद्भागवत कथा
ऋषिकेश में बरसेगा दिव्य ज्ञान

नई दिल्ली : भारत की अध्यात्म-नगरी ऋषिकेश एक महान आध्यात्मिक आयोजन की साक्षी बनने जा रही है, जहां गंगा के पावन तट सनातन धर्म के सनातन ज्ञान से गुंजायमान होंगे। बहुप्रतीक्षित ब्रह्म ज्ञान प्रदायिनी श्रीमद्भागवत कथा 23 जुलाई से 30 जुलाई 2025 तक मुनि-की-रेती स्थित स्वामी दयानंद आश्रम में आयोजित की जाएगी।
आठ दिनों तक चलने वाली यह कथा एक आध्यात्मिक तीर्थ की तरह होगी — जहां श्रद्धालु श्रीमद्भागवत महापुराण के गूढ़ तत्वों, दिव्य कथाओं और आध्यात्मिक संदेशों के माध्यम से आत्मा की गहराइयों से जुड़ने का अनुभव कर सकेंगे। यह पुराण केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि भगवत स्वरूप के रहस्यों को उद्घाटित करने वाली एक सनातन यात्रा है, जो भक्तों को आत्म-बोध और ईश्वर साक्षात्कार की ओर ले जाती है।
इस पावन कथा का वाचन करेंगे आचार्य ईश्वरानंद, जो वेदांत परंपरा के एक मर्मज्ञ आचार्य हैं। उनकी कथा-वाचन शैली में एक अद्भुत सहजता, गंभीरता और सादगी है, जो श्रोताओं को शास्त्रों की गहराई तक ले जाती है। वे परम पूज्य स्वामी प्रबुद्धानंद जी के शिष्य हैं, जिनकी वेदांत की परंपरा में गहरी जड़ें हैं। ऋषिकेश में यह उनकी पहली कथा होगी, जिससे यह आयोजन और भी विशेष और दुर्लभ बन जाता है।
कथा का उद्देश्य केवल शास्त्र पढ़ना भर नहीं है, बल्कि श्रोताओं को भगवान के स्वरूप उनके चरित्र, लीलाओं और सत्य की अनुभूति तक पहुँचाना है। आयोजन समिति ने इसे केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक जागरण का माध्यम बनाने का संकल्प लिया है। यह कथा हर उस आत्मा के लिए है जो जीवन की ऊहापोह से निकलकर सनातन सत्य को समझना चाहती है।
इस मौके पर आयोजकों की ओर से एक प्रवक्ता ने कहा:
“हमारे लिए यह अत्यंत गर्व और आनंद का विषय है कि हम ऋषिकेश की इस पवित्र भूमि पर ब्रह्म ज्ञान प्रदायिनी श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन कर रहे हैं। हमारी आशा है कि यह कथा श्रोताओं को न केवल शांति और संतुलन प्रदान करेगी, बल्कि उन्हें अपने आध्यात्मिक स्वरूप से भी जोड़ने का अवसर देगी। आचार्य ईश्वरानंद जी की सहज व्याख्या और गहरी श्रद्धा इस आयोजन को अविस्मरणीय बनाएगी।”
गंगा तट पर स्थित स्वामी दयानंद आश्रम इस कथा के लिए आदर्श स्थल है — यहां की शांतता, आध्यात्मिक ऊर्जा और प्रकृति का सान्निध्य कथा के हर शब्द में अनुभूत होगा। यह वह स्थान है जहां ज्ञान, ध्यान और भक्ति एक साथ प्रवाहित होते हैं।