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सुप्रीम कोर्ट में कल होगी स्मार्टवर्क्स IPO पर सुनवाई, SAT आदेश में देरी और जांचों के बीच उठे सवाल

नई दिल्ली : स्मार्टवर्क्स कोवर्किंग के ₹583 करोड़ के आईपीओ को मिली मंज़ूरी के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में कल सुनवाई होगी। यह याचिका पब्लिक पॉलिसी समूह ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर वॉचडॉग’ ने दायर की है। इससे पहले, 16 जुलाई को सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) ने एनजीओ की अपील खारिज कर दी थी, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से छह दिन बीतने के बाद भी SAT ने अपना विस्तृत आदेश सार्वजनिक नहीं किया है, जिससे प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

एनजीओ का आरोप है कि स्मार्टवर्क्स फिलहाल कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) और आयकर विभाग की सक्रिय जांच के दायरे में है। याचिका में कहा गया है कि कंपनी ने अपने ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) में इन जांचों की कोई जानकारी नहीं दी, जो कि नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि कंपनी खुद को सेक्शन 8 की नॉन-प्रॉफिट संस्था के तौर पर दिखाती है, जबकि असल में इसने संदिग्ध और संभावित बेनामी तरीकों से पूंजी जुटाई है।

SAT ने याचिका को खारिज करते हुए मौखिक रूप से कहा कि “कोई अच्छा कारण नहीं है” IPO को रोकने का। लेकिन आज छह दिन बाद भी SAT का विस्तृत आदेश वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है। कानूनी जानकारों का मानना है कि इतनी देरी असामान्य है, खासकर जब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और IPO प्रक्रिया चालू है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि लिखित आदेश की अनुपस्थिति से उनकी कानूनी अपील की तैयारी प्रभावित हो रही है।

इन गंभीर आरोपों और जांचों के बावजूद, SEBI ने स्मार्टवर्क्स को IPO लाने की मंजूरी दी और कंपनी ने 10 से 14 जुलाई के बीच पब्लिक इश्यू लॉन्च किया। इश्यू को जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला—क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) से 24 गुना, नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स से 22 गुना और रिटेल इन्वेस्टर्स से 3.5 गुना सब्सक्रिप्शन दर्ज हुआ। लिस्टिंग 17 जुलाई को संभावित थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के चलते इसमें बदलाव हो सकता है।

SEBI की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या उसने पर्याप्त सावधानी बरती। जब MCA कंपनी की सेक्शन 8 स्थिति और संभावित गड़बड़ियों की जांच कर रहा है और आयकर विभाग फंडिंग के स्रोतों की जांच में लगा है, तब SEBI ने खुलासे की मांग किए बिना IPO को कैसे मंजूरी दे दी?

सुप्रीम कोर्ट में अब यह तय किया जाएगा कि क्या SAT की प्रक्रिया—विशेषकर लिखित आदेश न देना—न्यायिक प्रक्रिया के विरुद्ध है। यदि कोर्ट को यह प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण लगती है, तो वह IPO लिस्टिंग पर अंतरिम रोक लगा सकता है या SEBI और कंपनी से और जानकारी मांग सकता है।

इस वक्त, स्मार्टवर्क्स का IPO एक तरह से कानूनी अधर में लटका हुआ है। जो इश्यू भारत के को-वर्किंग सेक्टर की ताकत दिखाने वाला माना जा रहा था, वह अब नियामकीय पारदर्शिता और जवाबदेही का एक बड़ा इम्तिहान बनता जा रहा है।

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