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अवध फेस्टिवल में राधिका और सोनम नौशाद अवार्ड से सम्मानित

ताज़ा हुईं ग़ालिब और बेगम अख्तर की यादें,गजलों, सूफियाना कलामों संग अर्तिका ने जीते दिल

लखनऊ । छावनी के सूर्य प्रेक्षागृह में आज शाम अवध फेस्टिवल में सूफी गायिका सोनम कालरा और सुप्रसिद्ध गजल गायिका राधिका चोपड़ा को प्रसिद्ध संगीतकार के नाम पर दिये जाने वाले ‘नौशाद अवार्ड’ से अलंकृत किया गया। इस मौके पर सम्मानित हुई गायिकाओं के संग सजी गीत और गजलों की महफिल में युवा गायिका अर्तिका भट्टाचार्य ने भी नग्मे गाये।

हुनर क्रियेशन्स एण्ड क्राफ्ट एसोसिएशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अतिथि मध्य कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अनिन्द्य सेनगुप्ता ने दोनों कलाकारों को स्मृतिचिह्न, पुष्पगुच्छ इत्यादि देकर अलंकृत किया। इस अवसर पर चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल मुकेश चड्ढा, आवा अध्यक्ष रुचिरा सेनगुप्ता, अन्य अतिथि, सैन्य अधिकारी और जवान उपस्थित थे।
अतिथियों का स्वागत करते हुए संयोजक जफर नबी ने एसोसिएशन और अपनी 25 वर्षों की गतिविधियों का हवाला देते हुए बताया कि नौशाद जैसी शख्सियत सदी में एक ही होती है। उन्हें याद करने के साथ फौजी भाइयों का मनोरंजन करना एसोसिएशन ने अपना ध्येय बना लिया है।
कार्यक्रम का आरम्भ करते हुए सूफी गायिका सोनम कालरा ने खुद को भी फौजी परिवार का बताते हुए लखनऊ में जवानों के बीच कार्यक्रम करने पर खुशी जतायी। पहले कलाम के तौर पर अमीर खुसरो के कलाम- ऐ री सखी मोरे पिया घर आए…. से शुरुआत की। इसी से जोड़ते खुसरो का एक और कलाम- छाप तिलक…. पेश की। फिर बारी आई बुल्ले शाह के- तेरे इश्क नचाया…. जैसे कलामों की, मशहूर रचना- दमादम मस्त कलंदर…. की पेशकश में जैसे रूहानियत घुली हुई लगी। प्रस्तुति में उनका अलग सूफियाना अंदाज बहुत भाया। वाद्यों पर उनके साथ रमीज, अहसान थे। बोल पढ़ने के संग गायकी में उनका साथ सारंगी बजा रहे फनकार ने खूब निभाया।
शांति हीरानंद की शिष्या और गजल गायकी की मशहूर फनकार राधिका चोपड़ा ने अवार्ड के लिये शुक्रिया अदा करते हुए बहज़ाद के- दीवाना बनाना है तो दीवाना बना दे को पढ़ते हुए शकील बदायूंनी के रचे और अवध की पहचान रही ठुमरी क्वीन बेगम अख्तर के गाये मशहूर कलाम- ऐ मुहब्बत तेरे अंजाम पे…. को सुर दिये। फिर साहिर लुधियानवी की लिखी और खय्याम के संगीत में बंधी जगजीत कौर की राग पहाड़ी पर आधारित रचना- तुम अपना रंजोगम अपनी परेशानी…. पेश की।इसी क्रम में संगीतकार नौशाद को श्रद्धांजलि स्वरूप उनका संगीतबद्ध गीत- आवाज दो कहां हो….. गाया। फय्याज हाशमी का नगमा- आज जाने की जिद न करो…. से पुरकशिश अंदाज में सुनने वालों को गुजिश्ता दौर की जैसे सैर करा दी।
अंत में कोलकाता की युवा गायिका अर्तिका भट्टाचार्य ने फिल्म सत्यम शिवम सुंदरम के टाइटिल सांग के संग आगे- लग जा गले…. जैसे कई गीत सुनाये।

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