गढ़वाल राइफल के जनक सूबेदार बलभद्र सिंह नेगी के जीवन पर गोष्ठी आयोजित

लखनऊ : लोक संस्कृति की धरोहर मुनाल द्वारा आयोजित गढ़वाल राइफल के जनक सूबेदार बलभद्र सिंह नेगी जी के जीवन पर एक गोष्ठी का आयोजन मुनाल बुद्ध बसंती सभागार वजीर हसन रोड पर किया गया.
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए मुनालश्री विक्रम ने कहा लाट सूबेदार बलभद्र सिंह नेगी का जन्म सन् 1829 में गलकोट, असवालस्यूं (पौड़ी गढ़वाल) में हुआ था. इनके पिता धन सिंह नेगी असवालस्यूं पट्टी के आजीवन पटवारी रहे.
गढ़वाल राइफल के जन्मदाता पहाड़ी जेम्स बॉन्ड, आंग्ल अफगान युद्ध के नायक सूबेदार बलभद्र सिंह नेगी जिन्होंने सन 1879 में कंधार के युद्ध में अफगानों के विरुद्ध अपनी अद्भुत हिम्मत, वीरता और लड़ाकू क्षमता को दिखाया था. इस वजह से उन्हें ऑर्डर ऑफ मेरिट, ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश इंडिया, सरदार बहादुर जैसे कई सम्मान दिए गए थे.
आशुतोष घिल्डियाल तथा राजेंद्र चौहान ने कहा कमान्डर इन चीफ, पी. रोबर्टस ने सन् 1884 में गढ़वालियों की एक स्वतंत्र बटालियन के गठन के प्रस्ताव की भूमिका में ये महत्वपूर्ण तथ्य लिखा था जिस अंचल में बलभद्र सिंह जैसे वीरों का जन्म होता है, उसकी अपनी अलग रेजीमेंट होनी ही चाहिए. इससे पहले गढ़वाल के लोग गोरखा रेजीमेंट में भर्ती हुआ करते थे.
सुधाकर असवाल के साथ अरुण बहुगुणा आदि ने अपने वक्तव्य में कहा वे पठान भेष में दुश्मन के इलाके में सात दिनों तक जासूसी करते रहे. वहां वे अपनी बटालियन के मृत सैनिक साथियों के बीच मुर्दा बनकर अफगानी सेना के सारे भेद लेते रहे पुख्ता खुफिया जानकारी के आधार भारतीय सेना इस युद्ध में विजयी हो पाई थी.
बलभद्र जी के जीवन पर एक गढ़वाली गीत यश भारती सम्मानित ऋचा जोशी के संयोजन में सुनाया. इस अवसर पर अखिल भारतीय गढ़वाली समाज की स्थापना की गई जिसका मुख्य संरक्षक डॉक्टर अर्चना घिल्डियाल तथा संरक्षक मनोज सेमवाल वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक सीमैप को चयनित किया गया गोष्ठी में अन्य वक्ताओं में टी आर जोशी शिशिर पाथरी मयंक धस्माना ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किया.