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सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद बुलडोजर चलवाने वाले  मुख्यमंत्री त्यागपत्र दे, दोषियों पर हो कठोरतम कार्यवाही: भाकपा

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डा. गिरीश ने निम्न प्रेस बयान जारी किया है-

लखनऊ : सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बुलडोजर कार्यवाही को असंवैधानिक बताते हुये पूरे देश में इस पर रोक लगाने और मनमानी करने पर कार्यपालिका से सख्ती से निपटे जाने के निर्णय के बाद अब जरूरी हो गया है कि गत वर्षों में जिन राज्यों में बुलडोजर ने अवैध तांडव रचा है उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा मांगा जाये। साथ ही सर्वोच्च न्यालय की देखरेख में एक समिति इसका ब्यौरा तैयार करे और चिन्हित दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्यवाही की जाये।

संविधान के लागू होने के दिन से ही यह सुस्पष्ट है कि कार्यपालिका न्यायपालिका का काम नहीं कर सकती। लेकिन राजनैतिक उद्देश्यों से और वैचारिक वैमनस्य से उतर प्रदेश सहित भाजपा शासित तमाम राज्यों में स्वयं मुख्यमंत्री बुलडोजर से मकान- संपत्तियाँ ढहवा कर लोगों को बेघर- बेरोजगार बनाते रहे। यहाँ तक कि योगी आदित्यनाथ की चुनावी सभाओं में बुलडोजरों को लाकर खड़ा किया गया और मतदाताओं को आकर्षित करने का कार्य किया गया। इस सबको रोकने को राज्यपाल, राष्ट्रपति ने तो कदम उठाया ही नहीं, निर्वाचन आयोग भी मूक दर्शक बना रहा।

जंगल के कानून जैसी इन कार्यवाहियों पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गयी टिप्पणियां बेहद ह्रदयस्पर्शी और मानवीय संवेदनाओं को जगाने वाली हैं। अनेकों में से एक इस प्रकार है- “घर सबका सपना होता है। यह वर्षों के संघर्ष और सम्मान का प्रतीक होता है। किसी घर या कारोबारी संपत्ति को गिराने से पहले अफसरों को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिये कि उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है। इमारत को ध्वस्त करने, महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को रातोंरात बेघर होते हुये देखना बहुत भयावह होता है।“

बरवादी और तुगलकी कारगुजारियों के इन भयावह दृश्यों को देश की जनता देखते हुये व्यथित होती रही और हम आवाज उठाते रहे, लेकिन क्रूर शासक वहशियाना कार्यवाहियों में जुटे रहे। हमारा दृढ़ विश्वास है कि संविधान के ये हत्यारे न्यायालयी- टिप्पणियों से सुधरने वाले नहीं हैं। इनके विरूध्द हर स्तर पर कठोर कार्यवाही अपेक्षित है और कठोरतम कार्यवाही सुनिश्चित की जानी चाहिये।

 

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