खाद की ब्लैकखोरी और अभाव, धान की बिक्री में किसानों की लूट और बीमारियों से मरते- लुटते मरीजों के सवालों पर 18 नवंबर को राज्य भर में प्रदर्शन करेगी भाकपा व किसान सभा
लखनऊ : रबी फसल की बोआई के समय डीएपी खाद की भारी किल्लत, धान खरीद में किसानों की जबर्दस्त लूट और कीटनाशकों के न छिड़के जाने और गंदगी के चलते फैल रही बीमारियों से आमजन की हो रही मौतों और इलाज में हो रही चहुंतरफा लूट के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और उत्तर प्रदेश किसान सभा 18 नवंबर को समूचे उत्तर प्रदेश में जिला मुख्यालयों पर संयुक्त रूप से प्रदर्शन करेंगे।
एक प्रेस बयान में संगठनद्वय के नेताओं ने कहा कि यूं तो भाजपा की डबल इंजन सरकार के शासनकाल में जनता अनेकानेक समस्याओं से जूझ रही है परन्तु उपरोक्त समस्याओं ने किसानों और गरीबों को बुरी तरह व्यथित किया हुआ है। अतएव दोनों संगठनों ने तात्कालिक तौर पर इन पर बल देने और सरकारों को इनके हल के लिए बाध्य करने के उद्देश्य से उपर्युक्त आन्दोलन करने का निश्चय किया है। प्रदर्शन के उपरान्त राष्ट्रपति और राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन दिये जायेंगे।
नेताओं ने कहाकि यह कितनी बिडम्बना की बात है कि ऐसे समय जब किसान सबसे महत्वपूर्ण फसल ‘रबी की फसल’ की बोआई कर रहा है और उसे डीएपी सहित दूसरे खादों की अतीव आवश्यकता है, डबल इंजन सरकार उन्हें खाद तक नहीं करा पा रही है। दिन दिन भर किसान खेतों में काम करना छोड़ सहकारी समितियों के बाहर लाइन में खड़े रहते हैं, लेकिन खाद को बैक डोर से भाजपाई हड़प ले जाते हैं। प्रतिरोध करने पर उनके ऊपर पुलिस लाठियाँ बरसाती है। निजी खाद व्यापारी भारी ब्लैक बसूल कर किसानों को कंगाल बना रहे हैं।
उधर धान की बिक्री में किसानों को लुटवाया जा रहा है। इस बार पहले सूखा और फिर बाढ़ से धान की पैदावार औसत से कम हुयी है और उसका लागत मूल्य काफी अधिक आया है, उस वक्त मंडियों में किसानों को वासमती धान की कीमत रु. 2100 से 2800 के बीच मिल रही है। सरकारी तौर पर खरीदे जाने वाले धान को आढ़तिये कम मूल्य पर खरीद कर सरकारी खरीद केन्द्र को दे कर पूरा मूल्य वसूल लेते हैं। किसानों की आमदनी दो गुना करने का दावा करने वाली सरकार की शोषणवादी नीतियों के चलते उन्हें लागत मूल्य भी बमुश्किल मिल पा रहा है और किसान भारी घाटे में जा रहा है।
नेताओं ने कहा कि समूचे प्रदेश में इस समय बड़े पैमाने पर वायरल, डेंगू और चिकनगुनियाँ जैसी बीमारियाँ फैली हैं। इसका एक प्रमुख कारण शहर- देहातों में कीटनाशकों का न छिड़का जाना और व्यापक पैमाने पर फैली गंदगी है। भाजपा सरकार दवा का छिड़काव कराना तो भूल ही गयी है, स्वच्छता अभियान को मुंह चिड़ाते गंदगी के ढेर जगह जगह लगे रहते हैं। इससे भी बड़ी विडम्बना यह है कि सरकारी अस्पतालों में डाक्टर, जांच और दवाओं की बेहद कमी है और प्रायवेट इलाज जांच दवाएं सभी बेहद महंगे हैं। इस दुर्व्यवस्था में फंसे गरीब मरीज दम तोड़ रहे हैं और बुरी तरह लुट रहे हैं।
इन तीनों ज्वलंत सवालों पर तत्काल कार्यवाही कराने को ही प्रदर्शनों का आह्वान किया जा रहा है।
भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डा. गिरीश, राज्य सचिव अरविन्द राज स्वरूप, उत्तर प्रदेश किसान सभा के अध्यक्ष इम्तियाज़ बेग एवं सचिव राजेन्द्र यादव ने सभी जिला कमेटियों और कार्यकर्ताओं से अपील की है कि जनता को साथ लेकर उक्त सवालों पर 18 नवंबर को व्यापक प्रदर्शन करें।