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दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी/एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम ने डीयू में आरक्षण नीति की समीक्षा करने को आयोग व संसदीय समिति से दौरा करने की मांग की 

कुछ कॉलेजों ने नहीं भरी सेकेंड ट्रांच के पद , शार्ट फाल व बैकलॉग पदों को नहीं निकाल रहे हैं कॉलेज

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नई दिल्ली : दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी / एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम ने दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध विभागों व कॉलेजों ने केंद्र सरकार की आरक्षण नीति का सही से पालन न करने ,प्रिंसिपल पदों में आरक्षण लागू न करने तथा ओबीसी कोटे की सेकेंड ट्रांच के पदों को अभी तक न भरने , हर साल कॉलेजों में एससी/एसटी ओबीसी छात्रों की सीटें खाली छोड़े जाने की समीक्षा करने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचितजाति / जनजाति आयोग , राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग , एससी / एसटी के कल्याणार्थ संसदीय समिति , शिक्षा मंत्रालय , डीओपीटी व यूजीसी के चेयरमैन को पत्र लिखकर दिल्ली विश्वविद्यालय में जल्द ही दौरा करने की मांग की है ।

टीचर्स फोरम के चेयरमैन प्रोफेसर के.पी.सिंह ने आयोग , शिक्षा मंत्रालय व संसदीय समिति को लिखे पत्र में बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने पिछले 27 साल से एससी /एसटी के अभ्यर्थियों का शिक्षक पदों पर आरक्षण पूरा नहीं भरा है । इसी तरह ओबीसी कोटे के अभ्यर्थियों का भी आरक्षण पूरा नहीं भरा है । उन्होंने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने यहाँ एससी /एसटी अभ्यर्थियों के लिए शिक्षण पदों में आरक्षण जुलाई 1997 से लागू किया , इसी तरह ओबीसी कोटे के अभ्यर्थियों का मार्च 2007 में आरक्षण लागू किया लेकिन अभी तक विभागों व संबद्ध कॉलेजों ने एससी –15 फीसदी , एससी –7 : 5 फीसदी व ओबीसी –27 फीसदी आरक्षण कोटा शिक्षण पदों पर पूरा नहीं किया है । इतना ही नहीं इन कॉलेजों ने आज तक शार्ट फाल व बैकलॉग पदों को भी नहीं निकाला है ।

प्रोफेसर सिंह ने आयोग व संसदीय समिति को लिखे पत्र में बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने शैक्षिक पदों व गैर शैक्षिक पदों पर सही से आरक्षण को लागू करने के लिए साल –2016 में प्रोफेसर काले कमेटी बनाई थीं । प्रोफेसर काले कमेटी ने अपनी रिपोर्ट –2016 में ही सौंप दी थीं । प्रोफेसर काले कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपे 08 साल हो चुके है लेकिन उसे आज तक लागू नहीं किया । प्रोफेसर काले कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में विश्वविद्यालय प्रशासन को बताया कि 79 कॉलेजों में एक भी प्रिंसिपल एससी /एसटी से नहीं है इसलिए प्रिंसिपल पदों पर आरक्षण लागू किया जाए । उन्होंने प्रिंसिपल पदों पर आरक्षण कैसे लागू किया जाए , रिपोर्ट में बताया है । प्रोफेसर पदों में आरक्षण व उन्हें भरने का तरीका भी सुझाया है । उन्होंने बताया है कि यदि डीयू प्रोफेसर काले कमेटी की रिपोर्ट को लागू कर शैक्षिक पदों व गैर शैक्षिक पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया अपना लेता है तो कोई समस्या नहीं रहेगी ।

प्रोफेसर सिंह ने आयोग व संसदीय समिति को लिखे पत्र में यह भी बताया है कि हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय ने विभागों व कॉलेजों में 4600 स्थायी सहायक प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति की है । उन्होंने बताया है कि इन नियुक्तियों में विभिन्न विभागों व कॉलेजों ने एससी /एसटी व ओबीसी कोटे के अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल ( एनएफएस ) किया है । इसी तरह हर साल अंडरग्रेजुएट , पोस्ट ग्रेजुएट , पीएचडी व अन्य कोर्सेज में एससी /एसटी व ओबीसी कोटे की सीटें कॉलेजों में खाली रह जाती है । प्रोफेसर सिंह ने संसदीय समिति को बताया है कि कॉलेज प्रिंसिपल अपने यहाँ अनरिजर्व की सभी सीटें भर लेते है लेकिन आरक्षित श्रेणी की सीटों को पूरा नहीं भरते , हर साल हजारों सीटें खाली रह जाती है । कॉलेज प्रिंसिपल खाली सीटों का ब्यौरा वेबसाइट पर भी अपलोड नहीं करते । उन्होंने बताया है कि डीयू में शिक्षकों /कर्मचारियों व छात्रों में से किसी का भी कोटा पूरा नहीं है इसीलिए टीचर्स फोरम अगस्त महीने के अंतिम सप्ताह तक आरक्षण नीति की समीक्षा करने के लिए विश्वविद्यालय का दौरा करे ।

 

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