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त्रैमासिक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका “हिन्दी की गूंज”, टोक्यो जापान के वार्षिकोत्सव में पुस्तकें लोकर्पित व सम्मानित हुए साहित्य सर्जक

मंचासीन साहित्यकारों ने बांटा अनुभव व ज्ञान

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नई दिल्ली : 30 नवम्बर 2024 को नई दिल्ली के आईटीओ स्थित गांधी स्मृति प्रतिष्ठान के सभागार में जापान में पंजीकृत हिन्दी की त्रैमासिक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका “हिन्दी की गूंज”, टोक्यो जापान के तत्वावधान में वार्षिक आयोजन के शुभ अवसर पर “हिन्दी की गूंज” पत्रिका के दो अंक (अक्टूबर-दिसंबर, 2023 एवं जनवरी-मार्च – 2024) तथा संस्थापिका रमा पूर्णिमा शर्मा की नवीनतम कृतियां “माँ जैसा कोई नहीं”, “प्रवासी हिंदी गूंज उठी”, “मात्सुओ बाशो और मेरे हाइकू”, “मन का आईना ( संपादित)”, “जज़्बात का सफर” (संपादित) एवं “हिन्दी की गूँज- सृजन एवं सफर (वार्षिकी -1) के लोकार्पण एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।

यह कार्यक्रम दो सत्रों में विभाजित रहा। प्रथम सत्र की अध्यक्षता का दायित्व प्रसिद्ध उद्योगपति, वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि  बी एल गौड़ ने वहन किया। मुख्य अतिथि की भूमिका का वहन वैश्विक हिन्दी परिवार के अध्यक्ष एवं कवि अनिल वर्मा ‘जोशी’ ने किया।

विशिष्ट अतिथियों की श्रेणी में वातायन यूके की संस्थापिका एवं विख्यात वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. दिव्या माथुर, इंग्लैंड के नाटिंघम शहर से ‘काव्य-रंग’ अंतरराष्ट्रीय संस्था की संस्थापिका, वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि जय वर्मा, ज्योतिषाचार्य एवं वरिष्ठ कवयित्री डॉ अनीता कपूर, सुप्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय समाजसेवी इंद्रजीत शर्मा तथा हालैंड से पधारी वहां की विधायिका एवं हिन्दू धर्म की ध्वजवाहक नीना शर्मा मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन कविता गुप्ता एवं  कुलदीप बरतरिया के सशक्त हाथों में रहा।


कार्यक्रम का आरंभ मंचासीन विभूतियों के साथ-साथ सभागार में उपस्थित गणमान्य विभूतियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करने के साथ हुआ। अगले चरण में मंचासीन गणमान्य विभूतियों को माल्यार्पण, अंगवस्त्र ओढ़ाकर, शाल ओढ़ाकर एवं स्मृति-चिन्ह प्रदान करके सम्मानित किया गया। तत्पश्चात्, विभिन्न लेखकों की नवीनतम कृतियों एवं जापान से प्रकाशित एवं संचालित हिन्दी की अंतरराष्ट्रीय त्रैमासिक पत्रिका “हिन्दी की गूंज” के विभिन्न संस्करणों का मंचासीन गणमान्य विभूतियों के कर-कमलों द्वारा लोकार्पण किया गया।

तदोपरांत, क्रमबद्ध तरीके से मंचासीन विभूतियों को अपने-अपने उदबोधनों के लिए सभागार में उपस्थित जनसमुदाय को लाभान्वित करने के उद्देश्य से आमंत्रित किया गया। सभी विभूतियों ने “हिन्दी की गूंज” पत्रिका की संस्थापिका, अध्यक्षा एवं संपादिका रमा पूर्णिमा शर्मा के अथक परिश्रम और लगन के साथ-साथ उनकी कर्मठता और दृढ़संकल्प इरादों की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए श्रोताओं को अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपने उदगारों के माध्यम से हिन्दी के प्रति चिंतन एवं प्रयासों को रेखांकित करते हुए अपनी मातृभाषा को वर्तमान स्तर से ओर अधिक ऊंचाई पर प्रतिस्थापित करने के लिए कटिबद्ध रहते हुए समर्पित संकल्पों से निरंतर प्रयासरत रहे। हमें हिन्दी को अंतरराष्ट्रीय पटल पर अधिक-से-अधिक मान्यता प्राप्त कराने के साथ उसे यथोचित उपयुक्त स्थान और सम्मान दिलाने के लिए कर्मठता से कार्यशील रहना है तथा इनमें ओर अधिक तेजी लाने की आवश्यकता है।
अपने अध्यक्षीय उदबोधन के माध्यम से वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि बी एल गौड़ ने “भूमि समतामूलक है” के माध्यम से रेखांकित करते हुए बताया कि जब आप भूमि में फूंक भी मारते हैं, तो उससे ध्वनि निकलती है और प्रतिध्वनि के रूप वापस ब्रह्मांड में व्याप्त हो जाती है। तदोपरांत, उन्होंने अपने कवित्व अंदाज में अपनी अभिव्यक्ति से भी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर लाभान्वित कर अपनी वाणी को विराम दिया।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र की अध्यक्षता के कार्यभार का वहन प्रज्ञान पुरुष सुविख्यात गज़लकार एवं कवि पं. सुरेश नीरव ने किया। मुख्य अतिथि की भूमिका का वहन प्रसिद्ध कवि प्रेम भारद्वाज ‘ज्ञानभिक्षु’ ने किया। विशिष्ट अतिथियों की श्रेणी में मंच पर कवयित्री  सुनीता श्रीवास्तव, सामाजिक कार्यकर्ता  बी निर्मला,  सारिका जैथलिया, संजय शुक्ला तथा डॉ विदूषी शर्मा विराजमान रहे। द्वितीय सत्र का संचालन संयुक्त रूप से मोनिका सलूजा एवं  डॉ. मेधा सक्सेना के सशक्त हाथों में रहा। बीच-बीच में अपने सशक्त उदबोधनों के निरूपण से प्रसिद्ध हास्य-कवि  विनोद पांडेय ने संचालन को ओर अधिक उत्कृष्टता के साथ प्रदर्शन में सहभागिता निभाई।
तत्पश्चात्, जहां एक ओर क्रमबद्ध रूप से मंचासीन गणमान्य विभूतियों को माल्यार्पण, अंगवस्त्र ओढ़ाकर, शाल ओढ़ाकर एवं स्मृति-चिन्ह प्रदान करके सम्मानित किया गया। वहीं दूसरी ओर, हिंदी जगत की चुनिंदा कवियों-कवयित्रियों को अंगवस्त्र ओढ़ाकर, स्मृति-चिन्ह एवं प्रशस्ति-पत्र प्रदान करके सम्मानित किया गया, उनमें डॉ उपासना पांडेय,  खुशबू सागर,  नीरजा मेहता,  पूनम गौतम,  अजमल तैश,  मनीषा जोशी ‘मणि’,  विनीता रानी विन्नी,संदीप सोनी, रजनी शर्मा ‘चंदा’, सुनीता अग्रवाल प्रमुख रहे। दूसरी ओर, शुभ संकल्प की टीम ने  रमा पूर्णिमा शर्मा को सम्मानित किया।
अपने अध्यक्षीय उदबोधन में पं सुरेश नीरव ने श्रोताओं को अपनी अदभुत और रोमांचक शैली के माध्यम से संबोधित करते हुए अवगत कराया कि गांधी जी कभी जापान नहीं गए थे औ। रमा जी ने जापान से आकर गांधी स्मृति प्रतिष्ठान में यह आयोजन करके उनकी यह इच्छा की पूर्ति की है। उन्होंने यह भी बताया कि गांधी जी को जो तीन बंदर हैं, वह भी उन्हें हिंदुस्तान आकर जापान के प्रतिनिधि मंडल ने भेंट स्वरूप प्रदान किए थे। एक प्रकरण के माध्यम से दृष्टिगोचर प्रस्तुत किया कि प्रारब्धय नौ नर्कों को पार करते हुए जब सूर्यलोक पहुंचा, तो उसे द्वार पर द्वारपाल गिद्धों ने भीतर जाने से रोक दिया था। तब उसने अपने आपको उन्हें अपना भोजन बनाने को कहा था, जिससे उसका भक्षण करने के उपरांत वे सब भी प्रारब्धय हो जाएंगे। तो यह विभाजन ही समाप्त हो जाएगा। तत्पश्चात्, उसे सूर्यदेव के दर्शन प्राप्त हुए। सूर्यदेव ने वरदान मांगने को कहा, तो प्रारब्धय ने कहा कि मुझे साहित्यकार बना दो, जिससे मैं हिन्दी साहित्य जगत का प्रचार-प्रसार कर पाने में सक्षम हो सकूं। आज यह काम जापान से पधारी श्रीमती रमा पूर्णिमा शर्मा ने सार्थक कर दिखाया है। साथ ही, सुरेश जी ने रमा शर्मा के नाम का संधि-विग्रह करते हुए रेखांकित किया कि रमा का अर्थ है – प्रसन्नता, सौम्यता और सम्पन्नता। उनकी कर्मठता और दृढ़संकल्पित इच्छाशक्ति को नमन करके उन्होंने अपनी वाणी को विराम दिया।
कार्यक्रम के मध्यांतर में “हिन्दी की गूंज” पत्रिका के गत वर्ष से वर्तमान तक जुड़े सदस्यों को भी माल्यार्पण, अंगवस्त्र ओढ़ाकर, प्रशस्ति-पत्र एवं स्मृति-चिन्ह प्रदान करके सम्मानित किया गया।


श्रोता-दीर्घा में देश-विदेश से पधारे उपस्थित और विराजमान गणमान्य विभूतियों में रमा पूर्णिमा शर्मा के पतिदेव  अजय शर्मा, विष्णु प्रभाकर के सुपुत्र  अतुल विष्णु प्रभाकर, डॉ विदूषी शर्मा, डॉ सविता चडढा, डॉ नीलम वर्मा,  मधु मिश्रा,  अनीता वर्मा ‘सेठी’,  सोनिया सोनम ‘अक्स’,  अहमद तैश,  मनीषा जोशी ‘मणि’,  ममता खटवानी,  सुरेश मिश्रा,  सरोज शर्मा,  शैलेश वाजपेई,  ओमप्रकाश प्रजापति,  सुमन मलिक तनेजा,  पूनम गौतम,  उषा किरण ‘गिरधर’,  सूक्ष्मलता महाजन,  इंद्रजीत सिंह, पूनम माटिया,  ओम सपरा,  प्रतिभा सपरा, ‘वात्सल्य’ संस्था की सर्वेसर्वा  कविता मल्होत्रा अपनी टीम सदस्यों  खुशी,  अंजू,  सुहाना के साथ (जिन्होंने सरस्वती वंदना नृत्य के माध्यम से अर्पित की),  राम अवतार शर्मा तथा आकाशवाणी दूरदर्शन कलाकार, सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी, अधिवक्ता एवं गद्य-लेखक  कुमार सुबोध इत्यादि प्रमुख रहे।
अंतिम पड़ाव पर देश-विदेश के विभिन्न शहरों से सभागार में पधारे सभी विद्वतजनों एवं आगंतुकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए  रमा पूर्णिमा शर्मा के पतिदेव एवं स्वयं होटल उद्यमी  अजय शर्मा द्वारा धन्यवाद और आभार ज्ञापित करने के साथ यह भव्य कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

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