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श्रीराम सहस्त्रनाम का भव्य नृत्य–नाट्य संगीतमय मंचन 30 सितम्बर को होगा

अंतर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान व भातखंडे संस्कृति महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में चल रही कार्यशाला

लखनऊ : अंतर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान व भातखंडे संस्कृति महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में 21 दिवसीय रामलीला कार्यशाला में प्रशिक्षण के साथ तैयार संगीतमय रामायण नाट्य प्रस्तुति “श्रीराम सहस्त्रनाम” का मंचन भव्य रूप से 30 सितंबर को सांय 6 बजे कला मंडपम में किया जाएगा। भातखंडे राज्य विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह, कुलसचिव डॉ. श्रृष्टि धवन, आईआरवीआरआई के निदेशक संतोष कुमार शर्मा के मार्गनिर्देशन में संगीतमय रामायण प्रस्तुति की परिकल्पना, लेखन, संगीत व निर्देशन वरिष्ठ नौटंकी व नाट्य निर्देशक अमित दीक्षित ‘रामजी’ द्वारा की गई। इसमें प्रभु श्रीराम के जन्म से लेकर धनुष यज्ञ प्रसंग तक की लीला का मंचन किया जाएगा। इस भव्य प्रस्तुति में भातखंडे संस्कृति महाविद्यालय के 6 से 75 वर्ष तक के 100 से अधिक छात्र अभिनय, गायन व नृत्य का प्रशिक्षण ले रहे हैं। इन प्रतिभाओं से दर्शक मंत्र मुग्ध होंगे।

“माटी की खुशबू है लोक संगीत में, है जड़ों में शास्त्रीयता बड़ी,
देखिये सुनिये तो ये नया है चलन, तबले नक्कारे का है अनोखा मिलन”
इस संगीतमय संगीतमय नृत्य–नाट्य प्रस्तुति में प्रभु राम के आदर्श व चरित्र का पूर्ण चित्रण है। पहली बार रामायण के प्रसंग में मंच पर 2024 में नारदजी का आना और सूत्रधार के रूप में समाज को प्रभु श्रीराम की लीला व उनके सुकुत्यों का वर्णन कर उनके मर्यादित व्यक्तित्व व उत्कृष्ट भावों से समाज को अभिप्रेरित करना प्रस्तुति में नवीनता दर्शाता है। कथा रावण के महायज्ञ में दसशीश के समर्पण से आरंभ होती है। शिव जी से वरदान के उपरांत वो और भी अधिक बलशाली और अत्याचारी हो जाता है। उसके इन कुकृत्यों के परिणाम स्वरूप प्रभु को अवतरित होना पड़ता है। प्रभु अपनी बाललीला करते हुए बड़े होते हैं और जब गुरु विश्वामित्र की यज्ञ रक्षार्थ जनकपुरी की ओर जाते हैं तभी उनकी मां जानकी से पुष्प वाटिका में भेंट है, फिर राजा जनक के धनुष के प्रण को पूर्णकर सीताजी को जीवन संगिनी बनाते हैं। चंचल, चपल अनुज लक्ष्मण का स्वभाव हठी है साथ ही सीता जी का कोमल हृदय इस कहानी को गति प्रदान करता है। कहानी में हनुमान जी का आगमन इस प्रस्तुति को पूर्ण करता है। राम-सीता का विवाह इस कहानी में श्रृंगार रस का संचार करता है। श्रीराम जन्म से लेकर धनुष यज्ञ व सीता स्वयंवर तक का यह प्रसंग कथक के रंगों व उ०प्र० के लोक नाट्य ‘नौटंकी’ विधा पर केन्द्रित है। नाट्य प्रस्तुति में यह संदेश देने का प्रयास किया गया है कि मानवता को ही धर्म मानने वाले प्रतीक पुरुष वीतरागी ‘श्रीराम’ का जीवन कठिन अवश्य था पर उसमे समाज के प्रत्येक व्यक्ति के कल्याण हेतु मूलमंत्र था। धनुषयज्ञ तक की सम्पूर्ण लीला को सविस्तार वर्णित किया गया है, जिसमें दर्शाया गया है कि कैसे प्रभु श्रीराम त्रेतायुग में वो सारे संदेश दे चुके थे जो कलयुग के कल्याणार्थ थे। प्रभु अपनी लीला रचते हुए समाज को गंगा सफाई अभियान, स्वच्छता अभियान, माता पिता की सेवा, किन्नर समाज का सम्मान, राजा का प्रजा के प्रति उदार स्वभाव, बड़े छोटों का आदर जैसे अनेकानेक संदेश देते हैं। पिता के वचनों को सर्वोपरि रखना व भाई के प्रति भाई का समर्पण जैसे अनगिनत विचार व भावों को उद्घाटित किया गया है। इस मंचन में अनेकानेक प्रयोग व अनुप्रयोग किये गए है जो कि एक अलग दृष्टि से देखने की अनुभूति देता है। इस भव्य नौटंकी प्रस्तुति की परिकल्पना, लेखन, संगीत व निर्देशन अमित दीक्षित ‘रामजी’ द्वारा बड़े ही भावपूर्ण व सधे ढंग से किया गया है। उन्होंने इस नौटंकी प्रस्तुति को प्रयोगात्मक व संगीतमय ढ़ंग से एक अलग रूप में प्रस्तुत किया है।
100 से अधिक कलाकारों की भव्य संगीतमय प्रस्तुति एक अनूठी मिसाल कायम करेगी, इस प्रस्तुति में श्रीराम की भूमिका में नैतिक सिंह , सीता जी अवंतिका शर्मा, लक्ष्मण निशांत पांडेय, विष्णु जी अंश दुबे, लक्ष्मी जी आकांक्षा मिश्रा, नारद शुभ्रेश शर्मा, शिव जी शिवदीन सिंह, रावण अभिजीत सिंह, बाणासुर शिवम पाल , नटी कीर्ति चौरसिया, श्रेयाशी श्रीवास्तव, काजल, नट अनूप शर्मा, हिमालय जोशी, नट मण्डली कीर्तिका श्रीवास्तव, मोनिका, अन्नू,मंजू, कौशल्या 1 पूजा गुप्ता,2 तनुजा ओली सनवाल, राजा जनक अंबुज अग्रवाल, रानी सुनैना सुमन जाजू, राक्षस श्रेयांश यादव, अभिषेक, सत्यांश, उद्भव, मोहित, उज्ज्वल, विकास, मुनि के के पांडेय, राजेश गुप्ता, भारत गौतम, संजय शर्मा, विश्वामित्र गिरिराज शर्मा, छबीला अभिषेक शर्मा, सखियाँ सौम्या, श्रेया कश्यप, पूजा, अंजलि, मां गौरी राष्ट्र चेतना त्रिपाठी, और राजा की भूमिका में सत्यांश, संजय शर्मा, मोहित,अनूप जयसवाल, तन्मय बाजपेयी, अंश, श्रेयांश, विशाल, अभिषेक, उद्भव, मोहित, विकास, कृष्ण कुमार पांडेय ने निभायी। गायन मण्डली मे मानसी शर्मा, आकांक्षा मिश्रा, कीर्ति चौरसिया, दिव्या मिश्रा, आँचल पाण्डेय, गौरी शुक्ला, आकांक्षा मिश्रा, शिवम, अनूप, काजल, कीर्ति इस प्रस्तुति में नृत्य जितेंद्र कुमार शर्मा, अंजली तिवारी, पूजा, कनिका, राजश्री, श्रुति, दीप्ति, इस्मिता, ऐश्वर्या, भाग्यश्री, तुलिका, मीनल, मौसमी, प्रिया कश्यप, प्रिया रावत, इति तिवारी, ज्योति, मानसी, मोक्षदा त्रिपाठी, लता, दिव्या, सौम्या प्रकाश ने निभाई ।

मंच परे मुख सज्जा , मंच सज्जा आशुतोष विश्वकर्मा, वस्त्र विन्यास अवंतिका, नक्कारा मो० सिद्दीक़, तबला मो. इलियास, अनंत प्रजापति , शहनाई मो० रफ़ी, हारमोनियम दिनकर द्विवेदी, ऑर्गन, ढोलक स्वाति श्रीवास्तव , सितार पूजा मिश्रा, सारंगी राकेश मिश्रा, सहायक तनुजा ओली सनवाल, पूजा गुप्ता हैं। प्रस्तुति सहयोग डॉ. रुचि खरे, शहनाज खान तथा नृत्य विभाग द्वारा विशेष सहयोग किया जा रहा है। कार्यशाला के समन्वयक ज्ञानेंद्र दत्त वाजपेई व डॉ रुचि खरे हैं तथा परिकल्पना, लेखन, संगीत व निर्देशन अमित दीक्षित ‘राम जी’ द्वारा किया गया।

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