गुरु पूर्णिमा पर विचार एवम काव्य गोष्ठी संपन्न
लखनऊ । अखिल भारतीय साहित्य परिषद लखनऊ शाखा की दक्षिण ईकाई के तत्वावधान में व्यास जयंती और गुरु पूर्णिमा के अवसर पर विचार और काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि डॉक्टर ममता पंकज महामंत्री, अखिल भारतीय साहित्य परिषद लखनऊ की उपस्थिति में ,कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की वंदना से हुआ, तत्पश्चात ममता पंकज सहित सभी पदाधिकारी का स्वागत करते हुए मुस्कान सिंह ने गुरु की महिमा को वर्णन किया।
गुरु शिष्य परंपरा पर जोर देते हुए कहा कि सोशल मीडिया के दौर में गुरु का दायित्व और भी बढ़ गया है सही दिशा देने में और मार्गदर्शन करने में गुरु की महत्ता आज के समय और भी बढ़ गई है इसके पश्चात मोनिका ने अपने वक्तव्य में व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में आज गुरु के साथ भावनात्मक लगाव की आवश्यकता पर बल दिया ।
गुरु की महत्व को सिद्ध करते हुए दीपशिखा राय ने “सेवा समर्पण त्याग बलिदान का दिया ज्ञान” ,”गीता के परिज्ञान का मानव कल्याण सबसे है जग में निराला जीवन में होता है इससे उजाला” कविता प्रस्तुत की ।और कहा कि गुरु न केवल ज्ञान देता है बल्कि वो छात्र को बेहतर इंसान भी बनाता है गुरु मानवता की पीढ़ी तैयार करता है । वर्षा ने गुरु का अर्थ और गुरु की महत्ता को सिद्ध करते हुए कहा की “बंद हो जाए सब दरवाजे रास्ता दिखाते हैं गुरु” ।
डॉ कुमुद पांडे ने अपने संबोधन में कहा की भावी पीढ़ी को शिक्षा जगत की जटिलताओं से अवगत होना चाहिए।
मुख्य अतिथि डॉ ममता पंकज ने “मां तेरी वंदना मैं गाऊँ, नित शीष मिले आशीष तुम्हारा के मीठे बोल सुनाऊँ” कविता से प्रथम गुरु मां वंदन किया। डॉ प्रिया सिंह के मंच संचालन में डॉ पूनम सिंह, डॉ कुमुद पांडे, श्री श्याम सिंह, सभी ने अपने गुरु पूर्णिमा व्यास जयंती पर अपने अपने विचार वयकत किये और काव्य प्रस्तुतियां दी कार्यक्रम की अध्यक्ष प्रो. डा नीतू शर्मा ने अपने जीवन में गुरुओं के महत्व को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि जिस तरह माता पिता अपने बच्चों की सफलता पर प्रसन्न होते हैं उसी प्रकार एक गुरु को अपने छात्रों की सफलता को देखकर प्रसन्नता होती है । अंत में प्रो डाॅ नीतू शर्मा ने सभी आये अतिथियों का धन्यवाद के करते हुए अपने शिष्यों को तरक्की करते रहने का आशीर्वाद दिया।