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एंटीमाइक्रोबियल दवाओं का नियमित डेटा रखना और सतत शिक्षा आवश्यक : सुनील यादव

एन्टी माइक्रोबियल जागरूकता सप्ताह का समापन

लखनऊ : एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (रोगाणुरोधी प्रतिरोध) वह परिस्थिति है, जब बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी समय के साथ बदलते हैं और दवाओं पर प्रतिक्रिया नहीं करते हैं, जिस कारण संक्रमण का इलाज अत्यंत कठिन हो जाता है और बीमारी के फैलने, गंभीर बीमारी और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।

मानव के साथ साथ पशुओं के विभिन्न रोगों के इलाज में उपयोग की जा रही एंटीबायोटिक, एंटीवायरल, एंटी पैरासाइटिक औषधियो की अधूरी खुराक, खराब रखरखाव और औषधियों का दुरुपयोग गंभीर बीमारियों को निमंत्रण देता है क्योंकि इससे शरीर में दवा के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है और मरीजों के लिए यह अत्यंत घातक हो सकता है । इससे और भी गंभीर रोगों के होने का खतरा रहता है । उक्त बातें आज एंटीबायोटिक जागरूकता सप्ताह के समापन दिवस पर फार्मासिस्ट फेडरेशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सुनील यादव ने कही ।

उन्होंने कहा कि एंटीबायोटिक का नियमित रूप से लेखा-जोखा रखने और स्वास्थ्य कर्मियों को विशेष रूप से सतत शिक्षा प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है जिससे हम सभी मिलकर एक साथ इस समस्या का सामना कर सके।

उन्होंने बताया कि फेडरेशन की साइंटिफिक कमेटी के सलाहकार प्रो (डा) पी वी दीवान और चेयरमैन एवं एम्स के एडिशनल प्रोफेसर डॉ हरलोकेश यादव के नेतृत्व में जागरूकता के अलग अलग कार्यक्रम आयोजित किए गए ।


समापन पर एक बेबीनार को संबोधित करते हुए इंडियन फार्माकोलॉजिकल सोसायटी के अध्यक्ष डा शिव प्रकाश, प्रो बी के रॉय पूर्व डीन, बिसरा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी रांची ने चिकित्सकों, फार्मेसिस्टो और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के साथ आम जनता का भी आह्वान किया कि इस खतरे को गंभीरता से लें । डॉ मिंटू पाल विभागाध्यक्ष फार्माकोलॉजी एम्स भटिंडा, डा अभिनव एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर राजीव तालियान, बिट्स पिलानी ने भी विषय की जानकारी दी । डॉ हरलोकेश ने बताया कि अनेक ग्रामीण क्षेत्रों में फार्मेसी के प्रोफेसरों, छात्रों तथा चिकित्सालयों में कार्यरत फार्मेसिस्टों के माध्यम से आम जनता को एंटीबायोटिक के प्रभाव और दुष्प्रभाव के बारे में जानकारियां दी गईं ।
लुटावन कॉलेज ऑफ फार्मेसी गाजीपुर और लखनऊ के डिप्लोमा, बैचलर, मास्टर, फार्म. डी.छात्रों ने गांवों और अस्पतालों में भ्रमण किया और जागरूकता संबंधी पम्पलेट बांटा ।


एस बी एन कॉलेज ऑफ फार्मेसी के निदेशक डा संजय यादव ने बताया कि एक विजिट के दौरान लगभग 500 लोगों से मुलाकात के बाद सबसे खेद जनक यह पाया गया कि बहुत ही कम लोगों को एंटीबायोटिक के दुष्प्रभाव की जानकारी थी, इससे ऐसा प्रतीत हुआ कि एंटीबायोटिक के प्रति सचेत करने की बड़ी जरूरत है अन्यथा की स्थिति में भविष्य में कहीं ऐसा ना हो कि एंटीबायोटिक के प्रतिरोध के कारण सामान्य बीमारियों का भी इलाज करना मुश्किल हो जाए ।
फेडरेशन के महामंत्री अशोक कुमार ने बताया कि पशुओं का मानव स्वास्थ्य के साथ सीधा संबंध है इसलिए पशुओं को भी औषधियां हमेशा अत्यंत सावधानी पूर्वक दी जानी चाहिए।
यूथ फार्मासिस्ट फेडरेशन के संरक्षक उपेंद्र एवं अध्यक्ष आदेश कृष्ण ने बताया कि यूथ फार्मेसिस्ट फेडरेशन द्वारा बैनर, पंपलेट और पोस्टर के माध्यम से जागरूकता फैलाई गई । जो फार्मासिस्ट अपने मेडिकल स्टोर चला रहे हैं उन्होंने संकल्प लिया है कि बिना पर्चे के कोई भी एंटीबायोटिक दवाई नहीं देंगे, साथ ही एंटीबायोटिक की बिक्री/ वितरण प्रोटोकॉल के अनुसार ही करेंगे ।
रामीश इंस्टिट्यूट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रदीप कांत पचौरी, सुभारती यूनिवर्सिटी मेरठ के एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ गणेश मिश्रा , डॉ रमेश एवं प्रदेश के विभिन्न जनपदों के फार्मेसिस्टो ने अपने अपने जनपदों में जागरूकता फैलाई और दवाओं के रखरखाव के संबंध में भी जानकारी दी ।
फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि जनता को जागरूक करने में फार्मेसिस्टों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, इस क्रम में फेडरेशन लगातार सजग है ।

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