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उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती महिलाओं ने पूरा किया अनुष्ठान

लखनऊ। भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा समर्पित यह कठिन व्रत नहाय खाय से शुरू हुए लोक आस्था महापर्व छठ पूजा के आज चौथे दिन उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देने के साथ ही समापन हो गया। 36 घंटे का चलने वाले इस कठिन तप और व्रत के माध्यम से हर साधक अपने घर-परिवार और विशेष रूप से अपनी संतान की मंगलकामना करता है।

छठ पूजा के चौथे दिन सोमवार को ऐशबाग स्थित मालवीय नगर पोस्ट आफिस पार्क में बनाए गए घाट पर भोर की सुबह में सैकड़ों की संख्या में व्रती महिलाओं के संग घर परिवार के लोग उपस्थित होकर माहौल को भक्तिमय बनाया दिया। सर्वप्रथम व्रती महिलाओं ने परिवार के संग पूजा स्थल घाट पर दीप जलाकर जगमग रोशनी से घाट को रोशन किया। व्रती महिलाओं जन समुदाय भोर की पहली किरण में हाथ में लिए हुए सूप में रखे पूजा का सामान लेकर नदी के जल में घुटने तक खड़ी हो गई थी, जैसे ही सूर्य भगवान उगे, व्रती महिलाओं के साथ खड़े उनके पति और उनके बेटों ने गाय के कच्चे दूध और जल का अर्घ्य दिया। इसके पश्चात सभी व्रती महिलाओं एक साथ घाट पर छठी मैया की परिक्रमा कर 36 घंटे चले निर्जला व्रत का समापन किया। इसके पूर्व व्रती महिलाओं ने दीपक से पारे हुए काला टीका बच्चों को लगाकर नजर न लगने का आशीर्वाद प्रदान किया|

इसके साथ महिलाओं ने वेदी पर एक दिन पूर्व में चढ़ाया हुआ चने का प्रसाद उठाकर ग्रहण किया और व्रती महिलाओं ने लोगों को पारंपरिक प्रसाद ठेकुआ के साथ ही चूरा, सिंघाड़ा, केला, सेब, संतरा, मिष्ठान इत्यादि को वितरित किया और वहां पर इस दौरान वहां खड़ी सास-सासुर समेत अन्य बड़े बुजुर्गों से आशीर्वाद लेकर सुहाग और अपने पुत्र की लंबी आयु की प्रार्थना की। व्रती महिलाओं ने उपस्थित माताओं और बहनों को पीला सिंधु लगाकर सभी के लिए सुख समृद्धि की कामना पौराणिक कथाओं के मुताबिक छठी मैया को ब्रह्मा की मानसपुत्री और भगवान सूर्य की बहन माना गया है।

छठी मैया निसंतानों को संतान प्रदान करती हैं। संतानों की लंबी आयु के लिए भी यह पूजा की जाती है। वहीं यह भी माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे का वध कर दिया गया था। तब उसे बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा को षष्ठी व्रत (छठ पूजा) रखने की सलाह दी थी।

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