उत्तर-प्रदेशनई दिल्लीबड़ी खबरलखनऊ

विधानसभा के मानसून सत्र में विधानमंडल में कांग्रेस नेता आराधना मिश्रा मोना ने उठाया बाढ़ एवम सूखा से प्रभावित किसानों व अन्य पीड़ितों को मुआवजा देने का मुद्दा

लखनऊ । उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता श्रीमती आराधना मिश्रा मोना ने प्रदेश में अनियमित वर्ष के कारण कहीं बाढ़ और कहीं सूखा की गंभीर समस्या से पीड़ित किसानों का मुद्दा विधानसभा में उठाया। साथ ही बाढ़ और सूखे दोनों से प्रभावित किसानों एवं अन्य पीड़ितों को सरकार से मुआवजा देने की मांग की। इस महत्वपूर्ण विषय पर सदन में चर्चा करने की भी मांग की। जिस पर सरकार व विधानसभा अध्यक्ष नियम 56 के अंतर्गत चर्चा करने को तैयार हुए, अमूमन नियम 56 के अन्तर्गत सरकार चर्चा को तैयार नहीं होती है, लेकिन कांग्रेस नेता की मांग पर सरकार एवं मुख्यमंत्री चर्चा को तैयार हुए।

विधानसभा में बोलते हुए श्रीमती आराधना मिश्रा मोना ने कहा की किसान अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और अपने परिश्रम से पूरे देश का पेट भरते हैं। प्रदेश में अनियमित वर्ष की वजह से किसान, कहीं बाढ़ एवम कहीं सूखा दोनों की मार को झेल रहा है। प्रदेश में 41 जनपद ऐसे हैं जहां जून से अब तक बारिश बहुत कम हुई है जिसकी वजह से खरीफ फसल की रोपाई तय लक्ष्य से बहुत पीछे है, तो कहीं बाढ़ से हाहाकार मचा हुआ हमारी मांग है कि जहां कम बारिश हुई है वहां सूखाग्रस्त घोषित करने, तथा बाढ़ से हुई क्षति से पीड़ित किसानों को मुआवजा दिया जाए।

आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि प्रदेश में रुहेलखंड धान उत्पादन में अग्रणी क्षेत्र है लेकिन कम वर्षा के कारण पीलीभीत और पूर्वांचल के संत कबीर नगर, मऊ, मिर्जापुर, देवरिया, कुशीनगर, कौशांबी ऐसे जिले हैं। जहां 99 फ़ीसदी तक कम बारिश हुई है जिसकी वजह से धान की रोपाई नहीं हो पा रही है, और 33 जिले जो पूर्वांचल से लेकर मध्य उत्तर प्रदेश, अवध क्षेत्र तक आते हैं, जहां भी वर्षा काफी कम हुई है। जिसकी वजह से खरीफ में तय लक्ष्य 96.20 लाख हेक्टेयर के मुकाबले मात्र 78.71 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में ही बोआई हो सकी है। इस साल धान का रकबा 58.50 लाख हेक्टेयर रखने का लक्ष्य था जो 27 जुलाई तक मात्र 50.35 लाख हेक्टेयर तक की हासिल किया जा सका है। जिसका कारण जलाशयों में पानी की भारी कमी है सिंचाई विभाग के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में स्थित 71 जलाशयों की फुल पानी की क्षमता 10883.67 MCM है लेकिन इन जलाशयों में पानी की उपलब्धता मात्र 2868.41MCM ही है जिस वजह से सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पानी की पूर्ति नहीं हो पा रही है।

प्रदेश के बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों पर बोलते हुए आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि प्रदेश के 16 जिलों के 400 से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में हैं, जिसमें सैकड़ो लोगों की जान चली गई है और मवेशियों का भी नुकसान हुआ है। पूरा पश्चिम उत्तर प्रदेश सहित लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, उन्नाव, बहराइच, बदायूं बाढ़ की चपेट में हैं, जहां बाढ़ की वजह से पूरा जनजीवन अस्त व्यस्त है, बाढ़ से हजारों परिवारों को विस्थापित होना पड़ा है।

हम सरकार से मांग करते हैं कि प्रदेश में बाढ़ और सूखे की विकराल समस्या से पीड़ित किसानों एवम अन्य पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए जिससे उनकी समस्या को कम कर जीवन यापन को आसान बनाया जा सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button