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सहारा हॉस्पिटल में विश्व की सबसे छोटे हृदय पम्प इम्पेला से बचायी वृद्ध मरीज की जान

कार्डियोलॉजिस्ट डाक्टरों के अनुसार उत्तर प्रदेश में दूसरी बार 'इम्पेला" के प्रयोग से जटिल एंजियोप्लास्टी में मिली सफलता

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               चेरिश टाइम्स न्यूज़
        लखनऊ : सहारा हॉस्पिटल में हृदय रोग से पीड़ित वृद्ध पुरुष की इम्पेला का प्रयोग कर जटिल एंजियोप्लास्टी करके नया जीवन दिया गया है। इस मरीज के हृदय की मुख्य कोरोनरी आर्टरी समेत तीनों आर्टरी 90 प्रतिशत बंद हो चुकी थी एवं उसकी हार्ट की पम्पिंग क्षमता बहुत कम रह गयी थी। कार्डियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. गौतम स्वरूप ने इस चुनौतीपूर्ण एंजियोप्लास्टी में प्रयोग किये गए मैकेनिकल उपकरण (आर्टिफिशियल हृदय पम्प) इम्पेला के जरिए यह प्रक्रिया की गयी है। उत्तर प्रदेश के किसी भी अस्पताल में पहली बार सफलता प्राप्त करने के बाद पुन: इस विधि का प्रयोग किया गया और सफलता प्राप्त की।
सहारा हॉस्पिटल के सीनियर इन्टरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. गौतम स्वरूप ने बताया कि वृद्ध
पुरुष मरीज बिहार सीवान जिले का रहने वाला है, जिनको सीने में दर्द की शिकायत थी। इसके लिए उन्होंने बहुत से चिकित्सकों से सम्पर्क किया। पहले  छपरा में दिखाया परन्तु कोई आराम नहीं मिला। फिर गोरखपुर में परामर्श लिया और ईसीजी और हृदय सम्बंधित कई जांचें भी करवाई गयीं लेकिन पूरी तरह से समस्या का समाधान नहीं मिला। सीने में दर्द की लगातार समस्या बढ़ने पर उन्होंने लखनऊ में सहारा हॉस्पिटल के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर आर.के. मिश्रा को दिखाया। उन्होंने मरीज को देखने के बाद एंजियोग्राफी की सलाह दी, जिसमें लगभग 90 प्रतिशत तीनों नसों में ब्लाकेज थीं। डॉक्टर मिश्रा ने डॉक्टर गौतम स्वरूप से परामर्श के लिए भेजा। एंजियोग्राफी देखने के बाद डॉक्टर गौतम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि इस तरह की नसों में बाईपास सर्जरी बेहतर विकल्प है लेकिन अधिक उम्र होने एवं कमजोर हृदय की वजह से मरीज ने बाईपास कराने से मना कर दिया। अब एंजियोप्लास्टी ही एकमात्र विकल्प था। इस प्रकार की एंजियोप्लास्टी में हृदय कमजोर होता है, जो बहुत ही जोखिम भरा है। इस प्रकार कमजोर हृदय वालों के लिए एंजियोप्लास्टी बहुत खतरनाक साबित हो सकती है। चिकित्सा विज्ञान की नयी तकनीकी उपकरण को इम्पेला हार्ट पम्प कहते हैं, उसे लगाकर सफल एंजियोप्लास्टी की गयी।
डॉ. स्वरूप ने बताया कि उक्त मरीज की कोरोनरी धमनी बहुत ही सख्त थी, उससे कैल्शियम जमा होने से उसमें रोटेशनल एथरैक्टॉमी करके इंट्रावैस्कुलर लिथोट्रिप्सी की गयी। कैल्शियम टूटने के बाद उसमें स्टेंट डाला गया। इस प्रकार एक से डेढ़ घण्टे में यह ऐतिहासिक एंजियोप्लास्टी पूरी की गयी।
इस मौके पर हास्पिटल की कार्डियक टीम, मेडिकल एवं पैरामेडिकल स्टाफ उपस्थित था।

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