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पुरस्कार झूठी उपलब्धियों का उत्सव है,जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है : चौ. सुनील सिंह

नई दिल्ली में आयोजित स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार समारोह 2024-25 में उत्तर प्रदेश के विभिन्न नगर निगमों — लखनऊ, आगरा, गाजियाबाद, प्रयागराज, कानपुर, वाराणसी, मेरठ एवं अलीगढ़ — को Million Plus Population Cities श्रेणी में मिली उत्कृष्ट रैंकिंग तथा Garbage Free Cities श्रेणी में प्राप्त स्टार रेटिंग पर लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि यह पुरस्कार झूठी उपलब्धियों का उत्सव है। जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। प्रदेश के नगर निगमों में गंदगी के अंबार, जाम सीवर, टूटी-फूटी सड़कों और खुली नालियों की असलियत किसी से छुपी नहीं है। सरकार और नगर निगम महज कागजी कामयाबियों और दिखावटी आंकड़ों के सहारे जनता को गुमराह कर रहे हैं।”सुनील सिंह ने यह भी कहा:”वाराणसी में गंगा किनारे साफ-सफाई का दावा किया जाता है, लेकिन अंदरूनी गलियों की हालत बदतर है।”

“कानपुर, प्रयागराज और मेरठ में सीवर ओवरफ्लो और जलभराव आम समस्या बन चुकी है।”

“लखनऊ और गाजियाबाद में खुले में कूड़ा डंप किया जाता है, जिससे संक्रामक बीमारियाँ फैल रही हैं।”
हमारी मांग:

इन पुरस्कारों की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कराई जाए।

जनता के बीच सर्वेक्षण कर वास्तविकता को सामने लाया जाए।

कागजों पर नहीं, जमीन पर सफाई व्यवस्था में सुधार हो।

लोकदल का यह स्पष्ट मत है कि सिर्फ पुरस्कारों से नहीं, बल्कि जमीनी सच्चाई से ही स्वच्छता की असली तस्वीर बनती है। यदि सरकार वास्तव में गंभीर है तो उसे जनता की शिकायतों और जमीनी हालात को प्राथमिकता देना चाहिए।

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