पाक प्रधानमंत्री इमरान खान पर चुनाव आयोग ने लगाया जुर्माना, बिना इजाजत की थी जनसभा
पाकिस्तान में राजनीतिक संकट गहराता ही जा रहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान पर बिना किसी इजाजत के जनसभा करने को लेकर जुर्माना लगाया गया है. पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन कर जनसभा को संबोधित करने के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान और पांच अन्य पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. इमरान की कुर्सी पर संकट मंडरा रहा है क्योंकि उन्हें संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ रहा है.
पाक वेबसाइट द डान ने बताया कि पाकिस्तान के चुनाव आयोग के प्रवक्ता हारून शिनवारी के अनुसार, स्वात के जिला निगरानी अधिकारी ने प्रधानमंत्री के साथ-साथ कुछ संघीय और प्रांतीय मंत्रियों द्वारा 16 मार्च को स्वात घाटी में एक सार्वजनिक सभा में आयोग द्वारा चेतावनी के बावजूद जनसभा करने पर जुर्माना लगाया. जिन अन्य लोगों पर जुर्माना लगाया गया है उनमें विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी, खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री महमूद खान, मुराद सईद, संचार और क्षेत्र के एमएनए संघीय मंत्री और प्रांतीय मंत्री डॉ अमजद अली और मोहिबुल्लाह शामिल हैं.
PM इमरान खान को नहीं मिली थी इजाजत
चुनाव आयोग के ऐसा नहीं करने के नोटिस के बावजूद प्रधानमंत्री इमरान खान ने रैली को संबोधित किया था. सरकार ने 2017 के चुनाव अधिनियम में संशोधन करके पिछले महीने एक विवादास्पद राष्ट्रपति अध्यादेश के माध्यम से सार्वजनिक पद धारकों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के चुनाव अभियान चलाने और निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करने पर प्रतिबंध हटा दिया था.
चुनाव आयोग के ऐसा नहीं करने के नोटिस के बावजूद प्रधानमंत्री इमरान खान ने रैली को संबोधित किया था. सरकार ने 2017 के चुनाव अधिनियम में संशोधन करके पिछले महीने एक विवादास्पद राष्ट्रपति अध्यादेश के माध्यम से सार्वजनिक पद धारकों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के चुनाव अभियान चलाने और निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करने पर प्रतिबंध हटा दिया था.
ईसीपी नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
इमरान खाम सरकार पहले ही ईसीपी नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है. इस बीच, मानसेहरा में ईसीपी के जिला निगरानी अधिकारी ने सोमवार को प्रधानमंत्री इमरान खान को नोटिस जारी कर 25 मार्च को मानसेहरा में एक जनसभा को संबोधित नहीं करने को कहा था. स्वात के अलावा, प्रधानमंत्री ने आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए मलकंद में भी एक जनसभा को संबोधित किया था.
अगस्त 2018 में सत्ता में आने के बाद से पीएम इमरान खान के सामने अब तक की यह सबसे बड़ी चुनौती मानी जा रही है. विपक्ष ने इमरान से देश की अर्थव्यवस्था में सुधार करने में उनकी कथित विफलता को लेकर पद छोड़ने की मांग की है. पाकिस्तान के प्रमुख विपक्षी दलों ने इस महीने की शुरुआत में इमरान के लिए अविश्वास मत शुरू किया था. नेशनल असेंबली के स्पीकर असद कैसर ने पिछले दिनों एक विशेष सत्र बुलाकर यह विचार-विमर्श किया कि क्या इमरान के पास अभी भी सदन में बहुमत का समर्थन हासिल है. संविधान के तहत, संसद के पास विचार-विमर्श करने के लिए तीन दिन का समय होता है जिसके बाद सांसद करेंगे.