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अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी : एक युगदृष्टा राजनेता का स्मरण

भारतरत्न अटल बिहारी बाजपेई की जयंती / जन्म शताब्दी वर्ष के समापन अवसर पर आयोजित प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग

लखनऊ : अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के उन विरले व्यक्तित्वों में से थे, जिन्होंने विचार, संवेदना और संवाद—तीनों को समान महत्त्व दिया। उनकी जन्म शताब्दी केवल एक महान नेता की स्मृति नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की उस परंपरा का उत्सव है, जिसमें वैचारिक मतभेदों के बीच भी मर्यादा, कविता और करुणा जीवित रहती है। 25 दिसंबर 1924 को जन्मे वाजपेयी जी ने राजनीति को कठोर संघर्ष की जगह राष्ट्रनिर्माण की रचनात्मक प्रक्रिया के रूप में देखा। वाजपेयी जी का राजनीतिक जीवन स्वतंत्र भारत के विकासक्रम से गहराई से जुड़ा रहा। जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी के निर्माण तक, उन्होंने संगठन को वैचारिक आधार, लोकतांत्रिक संस्कृति और व्यापक स्वीकार्यता प्रदान की। तीन बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने यह सिद्ध किया कि गठबंधन की राजनीति भी स्थिर, संवेदनशील और दूरदर्शी नेतृत्व के साथ सफल हो सकती है। 1977 में विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में दिया गया उनका भाषण भारत की भाषाई आत्मविश्वास का प्रतीक बना। यह क्षण केवल भाषा का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वाभिमान का भी था। प्रधानमंत्री के रूप में वाजपेयी जी के कार्यकाल में बुनियादी ढांचे, कूटनीति और आर्थिक सुधारों को नई दिशा मिली। राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना और स्वर्णिम चतुर्भुज ने देश की कनेक्टिविटी को गति दी। पोखरण-II के माध्यम से भारत ने अपनी सामरिक क्षमता का प्रदर्शन किया, तो वहीं लाहौर बस यात्रा जैसे कदमों से शांति और संवाद का संदेश भी दिया। यह संतुलन—सुरक्षा के साथ सद्भाव—उनकी नीति-निर्माण शैली की विशेषता था। राजनीति से परे, वाजपेयी जी एक संवेदनशील कवि थे। उनकी कविताओं में राष्ट्र, मनुष्य और समय के प्रश्न गूंजते हैं। वे कहते थे—“कविता मुझे राजनीति की कठोरता से मनुष्य बनाए रखती है।” शायद यही कारण था कि उनके विरोधी भी उनका सम्मान करते थे। उनके शब्दों में कटुता नहीं, बल्कि सहमति की संभावना होती थी। जन्म शताब्दी के अवसर पर वाजपेयी जी को स्मरण करना केवल अतीत का गुणगान नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए मार्गदर्शन है। आज जब सार्वजनिक विमर्श में तीखापन बढ़ रहा है, तब वाजपेयी जी की संवादशीलता, उदारता और लोकतांत्रिक शिष्टाचार हमें सिखाते हैं कि दृढ़ विचारों के साथ भी विनम्रता संभव है। अटल बिहारी वाजपेयी एक व्यक्ति नहीं, एक विचार थे—राष्ट्र प्रथम, लोकतंत्र सर्वोपरि और मानवता सर्वोच्च। उनकी जन्म शताब्दी हमें यह संकल्प लेने का अवसर देती है कि हम राजनीति और समाज—दोनों में—सम्मान, संवेदना और सहमति की संस्कृति को आगे बढ़ाएँ। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

बालिका विद्यालय इंटरमीडिएट कॉलेज, मोतीनगर, लखनऊ में भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई की जयंती / जन्म शताब्दी वर्ष के समापन के अवसर पर राष्ट्र निर्माण में अटल जी का योगदान विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें कक्षा 8 से 12 तक की छात्राओं ने प्रतिभाग किया। कक्षा 11 की आराधना निषाद प्रथम, कक्षा 9 की महक रईस खान द्वितीय और कक्षा 9 की इबरा तृतीय स्थान पर रही। इसी प्रकार श्री अटल बिहारी वाजपेई जी के जीवन तथा उनकी प्रमुख कविताओं पर आधारित एकल काव्य पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कक्षा 8 की इल्मा प्रथम, कक्षा 9 की असरा द्वितीय तथा कक्षा 9 की काजल तिवारी तृतीय स्थान पर रही। इस कार्यक्रम का आयोजन माधवी सिंह, मंजुला यादव और प्रतिभा रानी के निर्देशन में हुआ जिसमें पूनम यादव और उत्तरा सिंह का सहयोग रहा। निबंध और एकल काव्य पाठ प्रतियोगिताओं की प्रथम स्थान प्राप्त विजेता छात्राओं आराधना निषाद और इल्मा ने तहसील स्तर पर आयोजित प्रतियोगिताओं में प्रतिभा रानी के निर्देशन में प्रतिभाग किया जिसमें निबंध प्रतियोगिता में आराधना निषाद तृतीय स्थान पर तथा एकल काव्य पाठ प्रतियोगिता में इल्मा द्वितीय स्थान पर रही।

 

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