पत्रकारों की मौत पर एकजुट हुए संगठन, मुख्यमंत्री से मदद की अपील
स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही पर फूटा आक्रोश

रिपोर्ट- मोहम्मद सैफ
लखनऊ। शहर के दो युवा पत्रकारों सुहैल अरशद खान और मोहम्मद शमीम की मौत के बाद पत्रकारिता जगत में गहरा मातम और आक्रोश फैल गया है। इस दुखद घटना के बाद पत्रकार संगठनों ने निषाद अस्पताल स्थित शौर्य पंडित के कार्यालय पर एक आपातकालीन बैठक की। बैठक में सुहैल अरशद खान के परिवार को सरकारी मदद दिए जाने की मांग करते हुए, घटना में सामने आई स्वास्थ्य व्यवस्था की घोर लापरवाही पर कड़ा गुस्सा व्यक्त किया गया।
बैठक में पत्रकारों का मुख्य गुस्सा सुहैल अरशद खान की मौत का कारण बनी एंबुलेंस की लापरवाही पर फूटा। वरिष्ठ पत्रकार शकील अहमद, जो मौके पर मौजूद थे, उन्होंने बताया कि एंबुलेंस में ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं थी और चालक तथा उसका सहयोगी पत्रकार को तड़पता छोड़कर मौके से फरार हो गए। पत्रकारों ने इसे स्वास्थ्य व्यवस्था की घोर असंवेदनशीलता बताते हुए कहा कि जो आवाज़ दूसरों के लिए लड़ती है, उसकी ख़ुद की जान बचाने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया। उन्होंने सरकारी रवैये पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए तीखी टिप्पणी की।
मुख्यमंत्री से आर्थिक मदद की मार्मिक अपील, पत्रकार संगठनों ने सर्वसम्मति से सुहैल अरशद खान के परिवार की दयनीय आर्थिक स्थिति पर चिंता व्यक्त की। मुख्यमंत्री से मार्मिक मांग की गई है कि सुहैल के बच्चों की शिक्षा और भविष्य की परवरिश के लिए सरकार तत्काल आर्थिक मदद मुहैया कराए।
राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत से शमशेर गाजीपुरी और मोहम्मद सैफ ने कहा कि संगठन मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पत्रकारों के लिए मदद की गुहार लगाएगा। वरिष्ठ पत्रकार जुबेर अहमद व वरिष्ठ पत्रकार वहीद कुरैशी और पत्रकार परवेश अख्तर, पत्रकार अफाक अहमद मंसूरी समेत अन्य पत्रकारों ने भी इस मांग का समर्थन करते हुए न्याय की मांग की।
पत्रकारों के लिए आपदा कोष बनाने की मांग, बैठक में यह मांग भी प्रमुखता से उठी कि पत्रकारों के लिए एक स्थायी सुरक्षा नियम और आपदा कोष बनाया जाए।
शौर्य पंडित ने अपनी कवरेज के माध्यम से अपील की कि रात-दिन जोखिम उठाने वाले पत्रकारों के लिए सरकार को एक ठोस नीति बनानी चाहिए। पत्रकार एन-आलम ने भी ज़ोर दिया कि पत्रकारों की स्थिति पर सरकार चिंता करे और उनके लिए नियम बनाए, ताकि आपदा के समय उन्हें न्याय और मदद मिल सके।



