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बिरजू महाराज कथक संस्थान, लखनऊ की कथक संध्या में दिखीं नृत्य की बारीकियाँ

लखनऊ : बिरजू महाराज कथक संस्थान, लखनऊ
(संस्कृति विभाग, उ.प्र.) की ‘कथक संध्या’ 08 जनवरी, 2025 को वाल्मीकि रंगशाला में आयोजित हुई.कार्यक्रम का शुभारम्भ संस्थान के सहायक निदेशक/कोषाध्यक्ष,  तुहिन द्विवेदी,मुख्य अतिथि प्रो. निशी पाण्डेय, प्रोफेसर आफ एमीनेन्स, ल.वि.वि., अध्यक्ष, आलियांस फ्रांसे, लखनऊ अध्यक्ष, डाॅ. कुमकुम धर एवं विशेष सचिव, संस्कृति/निदेशक, रवीन्द्र कुमार द्वारा संयुक्त रूप से  दीप प्रज्जवलित कर किया गया.

‘कथक संध्या’ में अनुराधा चतुर्वेदी सेठ एवं साथी, लखनऊ द्वारा कथक नृत्य कार्यक्रम का प्रस्तुतिकरण किया गया। प्रस्तुति के प्रथम चरण में ईष्वर एवं गुरू को समर्पित गुरू वंदना “अनुग्रह“ जिसकेे बोल ‘कृपा करो हे गुरूराज’ थे .उक्त वंदना को कथक नृत्य की शास्त्रीयता में पिरोते हुए भक्ति प्रधान नृत्य प्रस्तुत किया गया। इसके पश्चात् पारम्परिक शुद्ध कथक नृत्य के अंतर्गत विलम्बित तीन ताल एवं झपताल मध्य लय मेें उपज, थाट, तोड़े, टुकड़े, परन, गत एवं लड़ी आदि का प्रस्तुतिकरण किया गया।
कार्यक्रम के अगले चरण में कलाकारों द्वारा मराठी भावगीत “मी राधिका” जो एक मुग्धा नायिका के अंतर मन की प्रणय अभिव्यक्ति को प्रदर्षित करता है, अत्यन्त ही मोहक प्रस्तुति दी गयी। अंतिम प्रस्तुति के रूप में सुश्री अनुराधा जी द्वारा निर्मित एवं निर्देषित प्रस्तुति “साकेत” जिसके बोल है- ‘जय जयति जय रघुवंष भूषणम्।’ जिसमें प्रभु श्री राम जी के शाष्वत एवं मोक्षदायी रूप को कथक नृत्य के माध्यम से सहयोगी कलाकार कुमारी सीज़ा राॅय एवं कुमारी अंषिका कटारिया द्वारा प्रस्तुत किया गया।

संगतकर्ताओं में तबले पर पं. विकास मिश्रा, सितार पर नीरज मिश्रा, बांसुरी पर दीेपेन्द्र कुंवर थे गायन  प्रखर पाण्डेय द्वारा किया गया।

 

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