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पुस्तकालय व शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ल्ड लाइब्रेरी लीडर अवार्ड — 2024 से किया गया सम्मानित

लोकल टू ग्लोबल: कॉलनेट ने अपने सर्वोच्च सम्मान से प्रो. सिंह को नवाजा 

नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय के सूचना और पुस्तकालय विज्ञान विभाग में प्रसिद्ध शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता, समाजसेवी व वरिष्ठ प्रोफेसर के.पी.सिंह को शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सर्वोच्च शिक्षा पुरस्कार वर्ल्ड लाइब्रेरी लीडर अवार्ड –2024 से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें पिछले दिनों कॉलनेट की 18 वीं अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में स्ट्रासबॉर्ग यूनिवर्सिटी फ्रांस में दिया गया था । प्रो.सिंह को फ्रांस /पेरिस में वर्ल्ड लाइब्रेरी लीडर अवार्ड से सम्मानित करने के पश्चात पुस्तकालय विज्ञान विभाग व दिल्ली पुस्तकालय संघ के शिक्षकों ने उनके सम्मान में रविवार को स्वागत समारोह का आयोजन किया । पुस्तकालय विज्ञान विभाग के सीनियर प्रोफेसर राकेश कुमार भट्ट ने उन्हें पुष्पगुच्छ , अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका स्वागत किया । इस अवसर पर बधाई और शुभकामनाएं देने वालों में प्रो. हंसराज सुमन , प्रो.मनोज कुमार केन , प्रो. श्रीमती एस.पी. सिंह डॉ.उस्मानी , डॉ.रमेश कुमार , प्रो.गुंजन गुप्ता , डॉ.पिंकी शर्मा , डॉ.ज्ञानेन्द्र नारायण सिंह , डॉ.तरुणा जोशी , डॉ. निवेदिता शर्मा , डॉ.अशोक कुमार , डॉ.हंसराज , डॉ.गरिमा गौड़ श्रीवास्तव , डॉ.राजीव शर्मा , डॉ.संजीव शर्मा , डॉ.राजेश कुमार , डॉ.कुमार संजय , डॉ.सुरेखा कौल , डॉ. बबिता गौड़ , डॉ. कनिका गौड़ व डॉ.महेश चंद्र आदि ने उन्हें बधाई देते हुए कहा हमारे विभाग का नाम विश्व पटल पर प्रो.के.पी.सिंह के कारण हुआ है ।

अपने स्वागत समारोह कार्यक्रम में प्रो.के.पी.सिंह ने आएं हुए अतिथियों , सहयोगी साथियों व शिक्षकों का धन्यवाद व अभिनंदन किया । उन्होंने कहा कि कार्य करने की ऊर्जा मुझे सहयोगी साथियों , अपने गुरुओं से मिलती है । आज मैं जो कुछ बन पाया हूँ उसमें मेरे गुरुओं का हाथ है जिससे हर कदम पर उनका स्नेह और प्रेम मुझे मिला है । उन्होंने मुझे जो नैतिकता , अनुशासन का पाठ पढ़ाया है उन्हीं के द्वारा बताए हुए कदमों पर चलकर अपने विश्वविद्यालय का नाम रोशन कर रहा हूँ । उन्होंने अपनी यात्रा व फ्रांस /पेरिस में मिले सम्मान से संबंधित अनेक किस्से सुनाएं और बताया कि हम कहीं भी चले जाएं लेकिन भारत व भारतीयता को न छोड़े , वह हमारी ऊर्जा है जो हमें कदम- कदम पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है । बता दें कि प्रो.सिंह को अभी तक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 100 से अधिक सम्मान मिल चुके हैं और इन्हें पुस्तकालय लेखन के क्षेत्र में विशेष ख्याति मिल चुकी है ।

प्रो.सिंह के स्वागत सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि प्रो.श्रीमती एसपी सिंह ने कहा कि पिछले एक दशक से पुस्तकालय विज्ञान विभाग की जो पहचान देशभर के विश्वविद्यालयों में बनी है उसमें प्रो.सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं । इन्होंने शोध कार्य के क्षेत्र में शोधार्थियों को रोजगार से जोड़कर विषयों पर रिसर्च कराने पर बल दिया और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पुस्तकालय विज्ञान को सूचना प्रौद्योगिकी , संचार तकनीकी तथा शिक्षण संस्थानों में पुस्तकालय की भूमिका पर बल दिया है जिसके कारण इस तरह के विषयों में छात्रों की रुचि बड़ी है और वर्तमान में पुस्तकालय विज्ञान के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है ।

विशिष्ट अतिथि प्रो. हंसराज सुमन ने प्रो.के.पी.सिंह को बधाई देते हुए कहा कि प्रो.सिंह का बहुआयामी व्यक्तित्व है ।यदि इन्हें चलता फिरता लाइब्रेरी इनसाइक्लोपीडिया कहे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी । उन्होंने बताया कि प्रो.सिंह ने पुस्तकालय विज्ञान की पुस्तकों की रचना के साथ -साथ आधुनिक भारत के चिंतकों पर भी अपनी लेखनी चलाई है । हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी पर पुस्तक प्रकाशित हुई है जो भारतीय विश्वविद्यालयों में चर्चा का विषय बनी हुई है । प्रो.सुमन का कहना है कि इनमें कार्य करने व नेतृत्व करने की क्षमता है । इसीलिए दिल्ली विश्वविद्यालय में सर्वाधिक लोकप्रिय शिक्षक के रूप में पहचान बनी हुई है । दिल्ली विश्वविद्यालय में पिछले दो वर्षों में हुई स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति , प्रोफेसर व प्रिंसिपल नियुक्तियों में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है । विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इन्हें ऑब्जर्वर व एक्सपर्ट के रूप में भेजा गया और इन्होंने वंचितों , पिछड़े वर्गों के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय नहीं होने दिया , सामाजिक न्यास के मुद्दे पर सदैव साथ खड़े रहे हैं ।

इस अवसर पर प्रो. मनोज कुमार केन ने कहा कि प्रो. के.पी. सिंह के व्यक्तित्व के विभिन्न आयाम है , एक लेखक , चिंतक और लोकप्रिय शिक्षक के रूप में इन्हें जानते हैं । उन्होंने बताया कि इन्हें इतने सम्मान मिल चुके हैं यदि कोई शोधार्थी इन पर पीएचडी करना चाहे तो कर सकता है । उन्होंने आगे बताया कि इनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय में वंचित समूहों के नायकों व चिंतकों को पाठ्यक्रमों में स्थान मिल रहा है तथा उनकी प्रतिमा स्थापित हो रही है । विभागाध्यक्ष प्रो.राकेश कुमार भट्ट ने कहा कि वर्तमान पुस्तकालय विज्ञान विभाग बिना प्रो.सिंह के अपूर्ण है । इनके कारण ही कम्प्यूटर लेब , सेमिनार हॉल व शोधार्थियों को शोध कार्य करने की जगह मिल पाई है । उन्होंने बताया कि हमारे विभाग में शिक्षण कार्य के अलावा छात्रों को मौलिक व नैतिक शिक्षा आदि पर भी जोर दिया जा रहा है । हर साल छात्रों की संख्या में इजाफा हो रहा है और अनुसंधान के क्षेत्र में प्रगति हो रही है । स्वागत समारोह कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ.मनीष कुमार ने किया व आए हुए अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन प्रो.राकेश कुमार भट्ट ने किया ।

 

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