विश्व शौचालय दिवस पर स्वच्छता को समर्पित दो दिवसीय राष्ट्रीय ज्ञान कार्यशाला का शुभारम्भ
लखनऊ : विश्व शौचालय दिवस पर शहरी क्षेत्रों में सुरक्षा, स्वास्थ्य, गरिमा को समर्पित प्रबंधित स्वच्छता को आगे बढ़ाने के लिए दो दिवसीय राष्ट्रीय ज्ञान कार्यशाला का शुभारम्भ मंगलवार को लखनऊ के द सेन्ट्रम होटल में केंद्रीय शहरी कार्य मंत्रालय के राज्यमंत्री तोखन साहू, प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा, राज्य मंत्री राकेश राठौर ’गुरू’, भारत में अमरीकी राजदूत एच. ई. एरिक गार्सेटी ने दीप प्रज्ज्वलित कर की।
इसके पश्चात् केंद्रीय ऊर्जा, आवासन व शहरी कार्य मंत्रालय मनोहर लाल ने विश्व शौचालय दिवस पर सभी को स्वच्छता का सन्देश देते हुए कहा कि सभी राज्य टॉयलेट स्वच्छता अभियान के दौरान सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालयों की साफ-सफाई, रखरखाव व सुरक्षा पर विशेष ध्यान देंगे और लोगों को इनका प्रयोग करने के लिए प्रेरित भी करेंगे तथा सभी के लिए सीवर नेटवर्क की पहुँच सुलभ हो इसके प्रयास करेंगे।
कार्यशाला को सम्बोधित करते केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने कहा प्रधानमंत्री के संकल्प से स्वच्छ भारत मिशन के तहत आज पूरा देश खुले में शौच से मुक्त हो गया है। प्रधानमंत्री जी को स्वच्छता की प्रेरणा छत्तीसगढ़ से मिली। उनके प्रयासों से स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत 2014 से हुई। वर्ष 2021 में इसके दूसरे चरण की शरुआत हुई। देश में अब जन-जन स्वच्छता के प्रति जागरूक होकर इस पर ध्यान दे रहा है। जिससे देश में अनेकों बीमारियों के फैलने से मुक्ति मिली है और बच्चों के जीवन को बचाने तथा महिलाओं के सम्मान व स्वास्थ्य सुधार में भी सफलता मिली है। नागरिकों के जीवन, सुख-शांति व स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ जल, स्वच्छ पर्यावरण व स्वच्छ शौचालय बहुत आवश्यक है। यह हर नागरिक की मूलभूत जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश के ऋषि-मुनियों ने भी स्वच्छता और गंगा की निर्मलता का बखान करते हुए कहा है कि – ‘‘कबिरा जा मन निर्मल भया, जैसे गंगा नीर। पीछे-पीछे हरि फिरैं, कहत कबीर-कबीर।।’’ ‘‘निर्मल मन जो सो मोहि पावा। मोहि कपट छल क्षिद्र न भावा।। निर्मलता हमारे संस्कार में है। स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत पर लाल किला की प्राचीर से आह्वान किया था कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनायेंगे तब हमारा देश में खुले में शौच से मुक्त हो जाये। इसी आह्वान पर देशवासियों ने मिल करके आज देश को खुले में शौंच से मुक्ति दिलायी। यह देश के लिए गर्व की बात है। विगत 10 वर्ष पहले ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय नहीं हुआ करते थे लोग खुले में ही शौच करते थे। इससे गंदगी फैलती थी और लोग बीमार भी पड़ते थे। आज मोदी जी के प्रयासों से घर-घर शौचालय बन गये हैं और लोगों को गंदगी से मुक्ति मिली है। अब तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण चुनौतियां भी बढ़ी हैं, जिससे निपटने के लिए प्रधानमंत्री आवास, शहरी परिवहन, अमृत मिशन, स्मार्ट सिटी जैसी योजनाएं संचालित की गईं। नमामि गंगे मिशन के तहत गृह और ब्लैक वॉटर का पूर्ण प्रबंधन करना और अन ट्रीटेड वॉटर से जल स्रोतों को बचाना है। इस दृष्टि से 2021 में स्वच्छ भारत मिशन-2.0 का दूसरा चरण शुरू किया गया, जिसपर ओडीएफ शहरों को ओडीएफ प्लस प्लस और वॉटर प्लस शहर बनाया जा रहा। अमृत योजना के तहत देश भर के 500 शहरों में 1.89 करोड़ जल कनेक्शन, 1.49 करोड़ सीवर कनेक्शन दिए गए। अमृत-2.0 के तहत यूज्डवॉटर के दुबारा प्रयोग में लाने के साथ-साथ जल संरक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है। नमामि गंगे के तहत गंगा व यमुना नदियों की स्वच्छता पर ध्यान दिया जा रहा। साथ ही सहायक नदियों की स्वच्छता और उनके पुनर्जीवन के लिए भी सरकार कार्य कर रही। एसबीएम यू-2.0 में देश के प्रत्येक शहर को कचरामुक्त बनाने का प्रयास होगा। 2014 में जहां कूड़ा-कचरा प्रबंधन 18 प्रतिशत था वह अब बढ़कर 78 प्रतिशत हो गया है। आज देश के शहरी क्षेत्रों के 97 प्रतिशत वार्डों में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था संचालित है। 624 डम्पसाइट की सफाई की गई है। 3467 एकड़ भूमि को कचरे से मुक्ति मिली है। 4000 शहर ओडीएफ प्लस बन चुके हैं। 1500 शहर ओडीएफ प्लस प्लस का दर्जा प्राप्त कर लिया है। देश के 65 शहर वाटर प्लस भी हो चुके हैं। उन्होंने प्रदेश के नगर विकास के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश का शहरी क्षेत्र स्वच्छता के मामलों में उन्नति कर चुका है। प्रयागराज में होने वाले महाकुम्भ 2025 को दिव्य और भव्य रूप से आयोजित करने के लिए नगर विकास पूरी तत्परता से प्रयासरत है। विगत कुम्भ की तरह इस बार भी कुम्भ क्षेत्र में सफाई और स्वच्छता दिखेगी। और इस महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ के रूप में मनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि मैं स्वयं भगवान श्री राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ से आकर श्री राम की जन्मभूमि उत्तर प्रदेश में आया हूं। प्रदेश की राजधानी लखनऊ की व्यवस्था और स्वच्छता बहुत ही प्रशंसनीय है। नगर विकास मंत्री जी के प्रयासों से दो-तीन वर्षो में ही लखनऊ पूरी स्वच्छ और सुन्दर दिखने लगा है। उन्होंने कहा कि वर्ल्ड टॉयलेट डे (अंतर्राष्ट्रीय शौचालय दिवस – 19 नवम्बर) पर आज पूरे देश में भारत सरकार के शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा 5 सप्ताह का ’19 नवम्बर से 25 दिसम्बर’ क्लीन टॉयलेट अभियान चलाया जा रहा है। इसमें सभी राज्यों से अपील की, कि वे पूरे समर्पण के साथ सभी सार्वजानिक व सामुदायिक शौचालयों के रख-रखाव, साफ-सफाई व सुरक्षा के बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करायेंगे। जिससे इन शौचालयों का प्रयोग करने वालों के मन में स्वच्छता और शांति का बोध हो, और इसके प्रयोग को बढ़ावा मिले और सबके लिए शौचालय गरिमा का प्रतीक बने। उन्होंने अधिक से अधिक सार्वजानिक व सामुदायिक शौचालयों के निर्माण व प्रबंधन का आह्वान किया।
प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के स्वच्छता के सपने को साकार करने के लिए, लोगों को खुले में शौच से मुक्ति देने व स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा 02 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की गई। इसके बाद से देश में स्वच्छता को लेकर लोगों की धारणाये बदली हैं। अब तक लाखों शौचालयों का निर्माण कर सभी निकायों को खुले में शौच से मुक्ति (ओ.डी.एफ) मिली है। इसमें 435 निकाय ओडीएफ प्लस हुए और 129 निकायों ने ओडीएफ प्लस-प्लस का दर्जा प्राप्त कर लिया है। प्रदेश में सफाई कार्मिकों को भी अब उनके कार्यों को पूरा सम्मान मिलता है। उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए सभी प्रयास किये जा रहे हैं। उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया जा रहा है एवं उनके बच्चों की शिक्षा के लिए अच्छी व्यवस्था की गई है। सफाई कर्मियों के जीवन और स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए सफाई के खतरनाक कार्यों व मेनहोल की सफाई के लिए मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। सफाई कार्यों में लगे सभी कर्मिकों को स्वच्छता और सुरक्षा किट भी दी गयी है, साथ ही उनके स्वास्थ्य का भी परिक्षण भी कराया जाता है। नागरिकों और संस्थाओं के माध्यम से उन्हें अन्य साहूलियतें भी दिलाई जा रही। सफाई कार्यों को पूर्ण सुरक्षा के साथ कराया जा रहा है। निकायों के 30 से 40 प्रतिशत कूड़े का पूर्ण निस्तारण भी किया जा रहा है। वार्डों में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक की मदद से शहरों की सफाई व्यवस्था को बनाये रखना, तथा कूड़े के प्रबंधन में सफलता मिल रही। कहा कि विश्व में जब कहीं पर भी नगरीय व्यवस्था नहीं थी, तब हमारे देश के सिंधु घाटी के निवासियों ने प्राचीन काल में ही ड्रेनेज़ एवं सेप्टिक सिस्टम की व्यवस्था को अपनाकर दुनिया को नागरीकरण की व्यवस्था दी। उन्होंने कहा कि विगत 2-3 वर्षों में प्रदेश में सभी त्योहारों को पूर्ण स्वच्छता, प्लास्टिक मुक्त व जीरो वेस्ट इवेंट के रूप में मनाया जा रहा है। हाल ही में छठ पर्व में गोमती नदी सहित अन्य नदियों के सभी छठ पूजा घाटों को स्वच्छ और सुन्दर बनाकर श्रद्धालुओं को स्वच्छ व स्वस्थ्य पर्यावरण में पूजन करने की व्यवस्था दी। इसी प्रकार आगामी महाकुम्भ 2025 को पूर्ण स्वच्छता के साथ दिव्य और भव्य रूप देने के लिए नगर विकास निरंतर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश जनसंख्या अनुपात में विश्व का 5वां बड़ा देश हो सकता है। हमारे प्रदेश की संस्कृति बहुत प्राचीन है। वाराणसी, अयोध्या, मथुरा, लखनऊ आदि पौराणिक शहर हैं। यहां पर प्राचीन बसावटों के कारण सकरी गलियां होने से ड्रेनेज और सीवेज सिस्टम को लागू करने में मुश्किलें आ रही हैं। फिर भी यहां पर किसी को समस्या न हो, इसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने आह्वान किया कि सामूहिक प्रयास से आने वाली पीढ़ी के लिए स्वच्छ, स्वस्थ एवं अनवरत विकासयुक्त भारत बनाना है।
भारत में अमरीकी राजदूत एच. ई. एरिक गार्सेटी ने आपने सम्बोधन में लखनऊ की तारीफ करते हुए कहा कि लखनऊ भारत का ही नहीं, बल्कि विश्व का भी स्वच्छ व सुन्दर शहर है। इस स्वच्छता को बनाये रखने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ सफाई कर्मियों की सुरक्षा, सम्मान बहुत महत्वपूर्ण है। संयुक्त राज्य अमरीका और भारत दोनों के स्वच्छता को लेकर उद्देश्य एक ही हैं। लोगों के लिए सीवेज सिस्टम की बेहतर व्यवस्था, आपशिष्ट और प्लास्टिक की रीसायकलिंग व पुनः प्रयोग के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। सीवेज कनेक्शन की सुविधा सभी को प्राप्त हो, इस पर गंभीरता से कार्य हो।
प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने कहा कि आज विश्व शौचालय दिवस मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने स्वच्छता के लिए प्रेरित कर दुनिया में देश का नया स्वरूप दिया है। सभी को स्वच्छता बनाये रखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे व्यवहार में परिवर्तन आ रहा है। उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला राज्य है, जहां सबसे अधिक नगरीय निकाय भी हैं। शहरों की स्वच्छता को बनाये रखने के लिए तकनीकी प्रयोग के साथ व्यवस्थित तरीके से मैनपावर को बढ़ाकार सफाई कार्य कराया जा रहा है। वर्ष 2014 से 2019 के बीच प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में लगभग 09 लाख शौचालय बनाये गए हैं, जिसकी साफ-सफाई और रख-रखाव की समुचित व्यवस्था की गयी है। नागरिकों की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए डीसीसीसी (डेडिकेटेड कमांड एंड कण्ट्रोल सिस्टम) की व्यवस्था की गयी है।
संयुक्त निदेशक शहरी कार्य मंत्रालय और मिशन डायरेक्टर रूपा मिश्रा ने कहा कि वर्ष 2014 में स्वच्छ भारत मिशन के शुरुआत के साथ ही स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया गया है। एसबीएम 2.0 में कूड़ा प्रबंधन, युज्ड वाटर प्रबंधन आदि जैसे विषयों पर ध्यान दिया जा रहा है। देश में नागरिकरण के बढ़ने से स्वच्छता की जरूरत भी बढ़ी है, लेकिन सामुदायिक एवं सार्वजानिक शौचालय की सफाई अभी भी चुनौतीपूर्ण हैं। जहां पर अधिक जनसंख्या घनत्व है, वहां मल्टीस्टोरी ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की आवश्यकता है। इस क्षेत्र में बहुत अधिक निवेश और स्टार्टअप आने की सम्भावना है। देश में 30 प्रतिशत निकाय ओडीएफ प्लस प्लस हो चुके हैं।
कार्यशाला में मंत्रीगण की उपस्थिति में भारत सरकार के शहरी कार्य मंत्रालय और हिन्दुस्तान यूनीलीवर के बीच दो एमओयू शाइन किये गये, इसमें पहला पीपीपी मॉडल पर कम्यूनिटी टॉयलेट बनाने और दूसरा हाई फुटफॉल क्षेत्रों में शुलभ इण्टरनेशनल टॉयलेट बनाने से संबंधित है। साथ ही मंत्रीगण ने बटन दबाकर स्वच्छता पब्लिकेशन से संबंधित रिलीज की भी लांचिंग की। कार्यशाला में स्वच्छता को लेकर लगायी गई प्रदर्शनी पर नगर विकास मंत्री ने उद्घाटन कर अवलोकन किया।
लखनऊ में शहरी क्षेत्रों में सुरक्षित रूप से प्रबंधित स्वच्छता को आगे बढ़ाने पर हुई राष्ट्रीय ज्ञान कार्यशाला विश्व शौचालय दिवस (19 नवंबर) के अवसर पर लखनऊ के द सेंट्रम में जल प्रबंधन के विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य स्वच्छता संकट से निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई को प्रेरित करना है। भारत में, यह दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (एसबीएम-यू) के तहत शहरी स्वच्छता में सुधार के लिए देश के चल रहे प्रयासों के साथ संरेखित है। प्रत्येक वर्ष, डब्ल्यूटीडी सुरक्षित शौचालयों तक पहुंच बढ़ाने, सुरक्षा की रक्षा करने की भारत की प्रतिबद्धता पर जोर देता है। स्वच्छता कर्मियों का स्वास्थ्य और सुरक्षा, और स्थायी रूप से उपयोग की जाने वाली जल प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देना।
विश्व शौचालय दिवस (डब्ल्यूटीडी), जो हर साल 19 नवंबर को संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है, का उद्देश्य स्वच्छता संकट से निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई को प्रेरित करना है। भारत में, यह दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (एसबीएम-यू) के तहत शहरी स्वच्छता में सुधार के लिए देश के चल रहे प्रयासों के साथ संरेखित है। प्रत्येक वर्ष, डब्ल्यूटीडी सुरक्षित शौचालयों तक पहुंच बढ़ाने, सुरक्षा की रक्षा करने की भारत की प्रतिबद्धता पर जोर देता है। स्वच्छता कर्मियों का स्वास्थ्य और सुरक्षा, और स्थायी रूप से उपयोग की जाने वाली जल प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देना है।
यह विश्व शौचालय दिवस 2024, स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (एसबीएम-यू) के तहत भारत की प्रगति का जश्न मनाने और एसबीएम-यू 2.0 के माध्यम से शहरी स्वच्छता के भविष्य की कल्पना करने के लिए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) के सहयोग से समर्पित है। उत्तर प्रदेश सरकार, यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी), बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ), और वॉश इंस्टीट्यूट एडवांसिंग सेफली मैनेज्ड पर दो दिवसीय राष्ट्रीय ज्ञान कार्यशाला का आयोजन कर रहा है।
कार्यशाला में स्वच्छ शौचालय अभियान 2.0, प्रयुक्त जल प्रबंधन पर प्रकाशन, जिसका उद्देश्य कार्यान्वयन की गुणवत्ता में सुधार करना है; सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों के लिए वास्तुशिल्प डिजाइनों का संकलन, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक शौचालय स्थानों की फिर से कल्पना करना है, सहित परिवर्तनकारी पहलों का शुभारंभ होगा, ताकि वे समावेशी हों। , सुरक्षित और रखरखाव में आसान। कार्यशाला में उपलब्ध अन्य प्रकाशन सार्वजनिक शौचालयों पर होगा जो दुनिया भर के देशों से योजना और सर्वोत्तम प्रथाओं पर वैश्विक अंतर्दृष्टि को कवर करता है और भारत के लिए उपयुक्त विचार निकालता है; शौचालयों की सफाई की निगरानी के लिए एक शौचालय ट्रैकर पुस्तिका, और शहर में नए सार्वजनिक शौचालयों की स्थापना पर मार्गदर्शन प्रदान करने वाली एक योजना टूलकिट। ये प्रकाशन समावेशी और टिकाऊ स्वच्छता समाधानों को लागू करने में शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) और अन्य हितधारकों के लिए एक मूल्यवान मार्गदर्शन और समर्थन के रूप में काम करेंगे।
सरकारी अधिकारियों, विकास भागीदारों, अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, क्षेत्र के नेताओं और विशेषज्ञों, शहरी योजनाकारों और इंजीनियरों, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं और अन्य हितधारकों को एक साथ लाते हुए, यह कार्यशाला सहयोग को बढ़ावा देने, नवीन प्रथाओं को साझा करने और न्यायसंगत, समावेशी सुनिश्चित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए एक जीवंत मंच के रूप में काम करेगी और सुरक्षित रूप से प्रबंधित स्वच्छता प्रणाली, शहरी परिदृश्य में परिवर्तनकारी परिवर्तन लायेगी।
इसके अलावा, कार्यशाला में एसबीएमयू की 10 साल की यात्रा और एसबीएम 2.0 के तीन प्रमुख घटकों पर प्रकाश डालते हुए एक डिजिटल प्रदर्शनी का प्रदर्शन किया गया।
यह कार्यशाला सामूहिक कार्रवाई को सुदृढ़ करने, नवाचार को प्रेरित करने और सुरक्षित रूप से प्रबंधित स्वच्छता के माध्यम से टिकाऊ शहरी समुदायों को सुनिश्चित करने की एक महत्वपूर्ण पहल होगी।