देश और उत्तर प्रदेश में भाजपा हो जायेगी हाफ : डॉ. गिरीश
चुनाव में अर्से बाद मुद्दे हैं, पार्टियां नहीं जनता लड़ रही है चुनाव

लखनऊ । उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के 4 चरणों का मतदान सम्पन्न होते होते यह साबित हो गया है कि केवल झूठ, पाखंड और गाली गलौज के बल पर चुनाव लड़ रही भाजपा बुरी तरह चुनाव हारने जा रही है। वह देश में ही नहीं उत्तर प्रदेश में भी हाफ होने जा रही है।
उक्त दावा मीडियाकर्मियों से चर्चा करते हुऐ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के संगठन प्रभारी डा. गिरीश ने व्यक्त किये।
अपने दाबे के पक्ष में डॉ. गिरीश ने कहा कि अर्से बाद ऐसा चुनाव देखने को मिल रहा है जिसमें सांप्रदायिकता और जातिवाद घिसट कर रह गये हैं और जनता के सीधे हितों से जुड़े मुद्दे सामने आ चुके हैं। आज रोजगार से जुड़े मुद्दे- बेरोजगारी, अग्निवीर योजना, संविदा पर नियुक्ति, कार्मिक असुरक्षा, अल्प वेतन और अधिकाधिक घण्टे काम और पेपरलीक होने से गर्त में जा रही युवाओं की जवानी बेहद प्रमुख मुद्दे बन गए हैं।
इसी तरह हाड़ तोड़ महंगाई, भ्रष्टाचार, महंगा स्वास्थ्य व महंगी शिक्षा, निरन्तर बढ़ रही गरीबी, किसानों की दयनीय हालत, क़ानून – व्यवस्था की जर्जर स्थिति, बुलडोजर का जनविरोधी दुरुपयोग, संविधान और लोकतंत्र की रक्षा जैसे बेहद अहम मुद्दे प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
आज जनता के ये सवाल ‘स्टार प्रचारकों’ का काम कर रहे हैं और चुनाव, पार्टी अथवा नेता नहीं, जनता खुद चुनाव लड़ रही है।
डा. गिरीश ने ‘इंडिया’ गठबन्धन पर चर्चा करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में कार्यरत प्रमुख दल की अहमन्यता और ढ़ीढता के चलते उत्तर प्रदेश में यह गठबन्धन यहां आकार ले ही नहीं पाया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सहित प्रमुख घटकदलों के साथ आज तक कोई बैठक नहीं की गयी। कांग्रेस और सपा ने आपस में सीटों का बंटबारा कर लिया और अन्य दलों को किनारे करने की कोशिश की है। यह सरासर गठबन्धन धर्म की अवमानना है जिस पर चुनाव बाद गहन चर्चा होना लाजिम है।
गठबन्धन में बड़े दल की आपाधापी और स्वार्थपरता के चलते भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने लोकसभा की छह सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। ये हैं- धौरहरा, फैज़ाबाद, बांदा, लालगंज सुरक्षित, घोसी तथा रॉबर्ट्सगंज सुरक्षित।
बिडम्बना यह है कि सपा ने न केवल भाकपा के समक्ष न केवल प्रत्याशी उतार दिये अपितु भाजपाइयों को टिकिटें थमा दी हैं। बांदा, लालगंज में सपा ने भाजपाइयों को टिकिट दी है। भदोही में सपा ने भाजपा के सिटिंग सांसद को टिकिट दी है तो रॉबर्ट्सगंज से भाजपा के पूर्व सांसद को।
इससे धर्मनिरपेक्षता और संसदीय मूल्यों की रक्षा का संकल्प कमजोर पड़ा है। एक खतरा यह भी है कि यदि भाजपा इन चुनावों में पूर्ण बहुमत से वंचित रह जायेगी तो सरकार बनाने को विपक्षी दलों में तोडफ़ोड़ मचाएगी। ऐसे में सपा के टिकिट पर जीते भाजपाई सबसे सॉफ्ट टार्गेट होंगे। हाल में सपा के तमाम विधायकों ने राज्य सभा चुनाव में क्रास वोटिंग कर भाजपा प्रत्याशियों को वोट दिया था, यह जगजाहिर है। ऐसी स्थिति के लिये सपा कांग्रेस जिम्मेदार हैं।
जहां तक भाकपा का सवाल है वह जनता के उन मुद्दों को लेकर चुनाव मैदान में है, जिनकी चर्चा ऊपर की जा चुकी है। सच कहा जाये तो जनता के मुद्दे और भाकपा द्वारा उठाये जाने वाले मुद्दे एकाकार हो गये हैं। अतएव भाकपा को अपनी सफलता की भारी उम्मीदें हैं। जीतने पर भी वह रोटी-रोजगार, संविधान और लोकतंत्र की रक्षा तथा सांप्रदायिक फासीवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी।
डा. गिरीश ने मतदाताओं से अपील की कि वह जनता की खुशहाली और ‘इंडिया’ गठबन्धन के सुचारू रूप से संचालन के लिए उन छह स्थानों पर जहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी लड़ रही है उसके प्रत्याशियों को विजयी बनाएं और शेष जगहों पर तानाशाह भाजपा को हराने को मतदान करें।