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केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने कदम रखते ही दलितों, वंचितों, शोषितों का शोषण प्रारंभ कर दिया था पी.एल.पुनिया

लखनऊ । प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर पूर्व सासंद वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी.एल. पुनिया  ने प्रेसवार्ता को सम्बोधित किया। प्रेसवार्ता में प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सुशीलापासी, महिला कांग्रेस मध्यजोन की अध्यक्ष ममता चौधरी, पिछड़ा वर्ग विभाग कांग्रेस के चेयरमैन मनोज यादव ने भी प्रेसवार्ता को सम्बोधित किया. प्रेसवार्ता का संचालन उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने किया।

प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए पूर्व सांसद  पी.एल. पुनिया ने कहा कि केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने कदम रखते ही दलितों, वंचितों, शोषितों का शोषण प्रारंभ कर दिया था, जो इस बात का संकेत था कि भविष्य के भारत में भाजपा अपने प्रचंण्ड बहुमत का दुरूपयोग कर बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेड़कर जी द्वारा रचित संविधान पर आक्रमण करेगी और वह आज होते हुए दिखाई भी दे रहा है।

उन्होंने कहा कि 2014 में सत्ता में आते ही मोदी सरकार ने किसानों की भूमि के उचित मुआवजा कानून पर आक्रमण किया था फिर बाद में किसानों की आमदनी हड़पने के कृषि के क्रूर काले कानून लाने का दुस्साहस किया। अर्थात सरकार का यह आक्रमण देश के 17341000 अनुसूचित जाति, 12669000 अनुसूचित जनजाति और 7 करोड़ से अधिक ओबीसी वर्ग के किसान परिवारों पर था।

पुनिया ने बताया कि मोदी सरकार ने दूसरा बड़ा आक्रमण सार्वजनिक उपक्रमों को बेंच कर प्रारंभ किया है। क्योंकि मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि सार्वजनिक उपक्रमों को बेंचने के बाद एससी/एसटी और ओबीसी का आरक्षण निजी क्षेत्र में बरकरार नहीं रखा जा सकता। सेन्ट्रल पब्लिक सेक्टर इन्टर प्राइजेज में लगभग 10 लाख 31 हजार कर्मचारी काम करते हैं जिनमें एससी के 1.81 लाख तथा एसटी के 1.02 लाख और ओबीसी के 1.97 लाख अर्थात कुल 4.80 लाख सेन्ट्रल पब्लिक सेक्टर इन्टर प्राइजेज के कर्मचारियों का आरक्षण इन पब्लिक सेक्टर की कंपनियों को बेंचने के बाद समाप्त हो जायेगा।

पुनिया ने कहा कि लगातार शासकीय नौकरियों में आउटसोर्सिंग का खेल खेलकर मोदी सरकार आरक्षण पर प्रहार कर रही है। भाजपा के कई वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री अनंत हेगड़े, लल्लू सिंह, ज्योति र्मिधा जैसे कई नेता कह रहे हैं कि मोदी जी को 400 सीटें संविधान बदलने के लिए चाहिए। मोदी जी के वर्तमान मित्रों के कई पुराने वीडियो भी सामने आये हैं जिसमें वह जातिगत आरक्षण को समाप्त करने की बात कह रहे हैं। इतना ही नहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख भी आरक्षण की व्यवस्था पर पुर्नविचार करने की बात कह चुके हैं। मोदी सरकार के धन्नासेठ 1600 करोड़ रूपये प्रतिदिन कमा रहे हैं और 80 प्रतिशत एससी/एसटी, तथा ओबीसी के किसान 27 रूपये प्रतिदिन पा रहे हैं।
पी.एल. पुनिया ने कहा कि यही हाल 20 करोड़ एससी/एसटी, ओबीसी रजिस्टर्ड मनरेगा मजदूरों का है। मोदी जी ने इनके साथ कुठाराघात करके उ0प्र0 में मनरेगा मजदूरी मात्र 7 रुपये बढ़ाई है जो अब 237 रुपये हो गई है। जबकि पार्लियामेंट्री कमेटी ने 375 रुपये प्रतिदिन मनरेगा मजदूरों को देने की सिफारिश की थी।

जितनी आबादी उतना हक

कांग्रेस अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन खरगे जी एवं जननेता श्री राहुल गांधी जी मुखरता से आरक्षण विरोधी मोदी सरकार से जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं। मगर मोदी सरकार समाज में अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों को उनका हक नहीं देना चाहती और लगातार जातिगत जनगणना से इंकार कर रही है।

कांग्रेस पार्टी ने 2011 में सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया था। इस जातिगत जनगणना कराने का जिम्मा शहरी और ग्रामीण विकास मंत्रालय को सौंपा गया था। इसमें मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस और मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स को इसकी नोडल मिनिस्ट्री बनाया गया था। उस जातिगत जनगणना को पूर्ण किया गया था जिसमें 130 करोड़ लोगों का रिकार्ड था उस रिकार्ड को हजारों एक्सल शाीट में रजिस्टार सेंसेश को सौप दिया गया था। जिसमें राज्यवार, जिलेवार और घरवार जातिगत आकडे़ मौजूद थे। वह आकडे़ जारी किये जाते तब तक कांग्रेस पार्टी की सरकार चली गई थी।

मोदी सरकार ने सत्ता संभालते ही उस जातिगत जनगणना के मूल्यांकन के लिए नीति आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष अरविन्द पनागरिया की अध्यक्षता में एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि आज तक ना तो उस कमेटी के कोई सदस्य बनाये गये और ना ही कमेटी ने आज तक कोई भी मीटिंग की।

मोदी सरकार ने महाराष्ट्र बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और बिहार के केस में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में यह ‘‘शपथ पत्र’’ दिया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद-246 के 7 शेड्यूल की एंट्री 69 में और सेंसेस एक्ट 1948 में जनगणना कराना केन्द्र सरकार का अधिकार है, राज्य जातिगत जनगणना नहीं करा सकते इस तरह से मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना के खिलाफ अपनी मंशा का इजहार कर दिया।

हमारी जनगणना 2021 में हो जानी थी मगर कोविड का हवाला देकर मोदी सरकार लगातार जनगणना से भागती रही। जबकि विश्व के सभी देशों ने कोविड के बाद अपनी जनगणना करा ली। मोदी सरकार नहीं चाहती थी कि चुनाव के पहले वह जनगणना कराये नही ंतो उसे जातिगत जनगणना करानी पड़ती। मोदी सरकार ने देश में अंतिम पंक्ति में खडे़ लोगों के साथ बहुत बड़ा षडयंत्र किया है।

कांग्रेस पार्टी सत्ता में आते ही जातिगत जनगणना करायेगी। मनरेगा की मजदूरी प्रतिदिन 400 रूपये दी जायेगी। और समर्थन मूल्य का कानूनी अधिकार लेकर आयेगी।

Cherish Times

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