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फार्मा दिग्गज, डॉ. रेड्डीज ने ग्रामीण भारत में मधुमेह प्रबंधन पर दो हफ़्ते का शैक्षिक और जागरूकता अभियान आयोजित किया

लखनऊ : नवंबर माह को भारत में राष्ट्रीय मधुमेह जागरूकता माह के रूप में मनाते हुए देश की जानीमानी फार्मा दिग्गज, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड ने ग्रामीण भारत में दो हफ़्ते लंबा शैक्षिक और जागरूकता अभियान आयोजित किया। डॉ. रेड्डीज कई सालों से भारत में मधुमेह के खिलाफ चल रही लड़ाई में सबसे आगे रहा है। ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल के मद्दे नज़र कुछ ठोस करने, ख़ास तौर पर मधुमेह प्रबंधन पर जागरूकता बढ़ाने के लिए डॉ. रेड्डीज की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा टीम ने नैदानिक, चिकित्सीय तथा जागरूकता और शैक्षिक कार्यक्रमों को चलाया।इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च- भारत मधुमेह (आईसीएमआर-इंडआईएबी) के राष्ट्रीय क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन के अनुसार, अनुमानतः भारत में लगभग 101 मिलियन लोग मधुमेह से पीड़ित हैं और 136 मिलियन लोग प्रीडायबिटीज से पीड़ित हैं। डा. रेड्डीज का मधुमेह अभियान मधुमेह के बारे में रोगी को शैक्षिक सामग्री देने से शुरू किया गया था, जिसका मकसद स्वस्थ जीवनशैली विकल्पों को बढ़ावा देना था। मधुमेह का खतरा पैदा करने वाले कारकों, लक्षणों और प्रभावी प्रबंधन पर जोर देते हुए, डॉ. रेड्डीज की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा टीम ने भारत के कुल 6,000 से भी ज़्यादा गांवों को कवर करते हुए लगभग 3,600 से भी ज़्यादा उदय (मधुमेह और उच्च रक्तचाप के खिलाफ एकजुट) शिविर आयोजित किए। ये शिविर ग्रामीण भारत में मधुमेह के खिलाफ़ लड़ने की डॉ. रेड्डीज की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। जिसमें लगभग 1.12 लाख रोगियों की जांच की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी जिससे मधुमेह से पीड़ित और जोखिम वाले लोगों की पहचान कर उन्हे जागरूक किया गया। कुल मिलाकर इस अभियान में लगभग 45,000 ग्रामीण डॉक्टरों और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को मधुमेह प्रबंधन में चिकित्सा, उपचार विकल्पों और जीवनशैली में संशोधन के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए वैज्ञानिक कार्यक्रमों में शामिल किया गया था। साथ ही प्रसिद्ध एंडोक्रिनोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. संजय कालरा, चेयरपर्सन, एजुकेशन वर्किंग ग्रुप, इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एंडोक्रिनोलॉजी (आईएसई) ने वेबिनार के दौरान क्षेत्रीय भाषाओं में मधुमेह प्रबंधन में ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि दी, जो इस कार्यक्रम का ख़ास बिन्दु थी। इसी के साथ न्यूट्रिशनिस्ट द्वारा भी वेबिनार में एक सत्र किया गया, जिसमें प्रभावी मधुमेह प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण आहार और जीवनशैली में संशोधन की जानकारी दी गईं। इतना ही नहीं वहां रोगी देखभाल को बढ़ाने के लिए भारत के विभिन्न क्षेत्रों के हिसाब से सही तरह की मधुमेह आहार योजनाएं ग्रामीण डॉक्टरों और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के साथ साझा की गईं।

इन शिविरों को देश के कई राज्यों में लगाया गया, जिनमें महाराष्ट्र राज्य के कुछ गाँव जो उदय शिविरों का हिस्सा थे, जैसे की सोलापुर से माधा, इंदापुर और निलंगा, नासिक से चंदोरी और राजापुर, कोल्हापुर से शिरोली और मुरगुड, अहमदनगर जिले से नेवासा फाटा, जामखेड आदि इसी के साथ तमिलनाडु राज्य के गांव में तिरुवरूर से कोराडाचेरी, त्रिची से पुल्लमबडी, कुड्डालोर से पारंगीपेट्टई, सेलम से पोट्टानेरी, कृष्णागिरी से केलमंगलम आदि शामिल थे। इसके अलावा तेलंगाना राज्य के गांव सिद्दीपेट जिले में दुब्बाका, कोंडापका मंडल में एर्रावल्ली गांव, खम्मम जिले में करेपल्ली और जनगांव जिले में देवरुप्पुला आदि शामिल थे।

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