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अग्निपथ भर्ती योजना को वापस लेकर नौजवानों से माफी मांगे मोदी सरकार : प्रमोद तिवारी

                   चेरिश टाइम्स न्यूज़
                 लखनऊ. सांसद, राज्य सभा, एवं सदस्य, केन्द्रीय कांग्रेस वर्किंग कमेटी प्रमोद तिवारी ने कहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा जो ‘‘अग्निपथ भर्ती योजना’’ लाई गयी है उसका देष के कोने- कोने में बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है और युवा सड़कों पर है, उनमें भारी रोष है । कांगे्रस पार्टी युवाओं की मांग का समर्थन करती है और उनसे अपील करते है कि युवा शांति और संयम का रास्ता अपनायें । लोकतंत्र में अपनी बात, अपनी आवाज और अपनी मांग रखने का यही रास्ता है ।
श्री तिवारी ने कहा है कि ‘‘अग्निपथ भर्ती योजना’’ न तो राष्ट्र की सुरक्षा के हित में है, न राष्ट्रहित में है और न ही देश के नौजवानों के ही हित में है । अग्निपथ भर्ती योजना को लाने की आवष्यकता क्यों पड़ी ? भारत देष की फौज दुनिया की सबसे बहादुर सेना है, जाॅबाॅज सेना है, दुनिया में उसकी सर्वोत्तम साख है ।
सेना में एक वर्ष की ट्रेनिंग होती है, लेकिन अग्निपथ योजना में 6 माह की ट्रेनिंग बतायी जा रही है,  तो उस ट्रेनिंग को भी कम करेंगे । सेना में पहला वर्ष ट्रेनिंग का और दूसरा और तीसरा साल अपने रेजीमेण्ट या प्रैक्टिल ट्रेनिंग का होता है यानी तीन साल के बाद संपूर्ण रूप से प्रषिक्षित सैनिक सेना को मिलता है- अग्निपथ योजना मंे पहला साल ट्रेनिंग में और तीसरा- चैथ साल इस बात की चिन्ता में बीतेगा कि आगे क्या करेंगे ? जब यहांॅ से जायेंगे- क्योंकि 75ः लोगों को फ्री कर दिया जायेगा, ऐसी स्थिति में वह सेना में किस मनोबल से कार्य करेगा ? जब देष का सैनिक अपने भविष्य को लेकर असुरक्षित महसूस करेगा तो वह देष की सुरक्षा में किस मनोबल से लगेगा, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है । जब 4 साल का सफर तय करते हुये 75ः लोगों को सेना से रिटायर कर दिया जायेगा तो धीरे- धीरे रेजिमेण्टल सिस्टम भी सेना का कमजोर पड़ जायेगा जो आज हमारी सेना का फाउंडिंग प्रिंसिपल है, उसके साथ खिलवाड़ किया जा रहा है जो घातक साबित होगा ।
श्री तिवारी ने कहा है कि यहां एक बात और स्मरणीय है कि अग्निपथ योजना के तहत जब भर्ती होकर जवान यूनिट में जायेगा तो यूनिट में दो प्रकार के सैनक होंगे, एक वह सैनिक होगे जिनकी नौकरी फिक्स्ड है जो पुरानी व्यवस्था के तहत वेतन ले रहे ै जिनके पास छुट्टी की, मेडिकल की, परिवार के शिक्षा की सब सुविधायें होगी अग्निपथ योजना के तहत आये ‘‘अग्निवीर’’ के पास न तो वह वेतन की सुविधा होगी, न मेडिकल की और न ही परिवार के शिक्षा आदि की व्यवस्था होगी । अतः एक ‘‘काॅमबैट यूनिट’’ में दो प्रकार के सैनिक कभी सफल नहीं हो सकते क्योंकि दोनों में प्रशिक्षण में अंतर है और नौकरी की जो व्यवस्था है उसमें भी अंतर होगा ।
श्री तिवारी ने कहा है कि देश के नौजवानों में इसलिये भी रोष है कि 12वीं कक्षा के बाद 4 साल के लिये सेना में जायेंगे तो न तो वे स्नातक की शिक्षा हासिल कर पायेंगे, न ही इंजीनियिंग कर पायेंगे और न ही अन्य कोई डिप्लोमा ले सकेगे । ऐस में जब वह 4 साल के बाद सेना से वापस आयेगा तो उससे स्नातक का, इंजीनियरिंग का और अन्य डिप्लोमा का भी समय छिन गया होगा अतः उसका और उसके परिवार का भविष्य पूरी तरह अंधकार में डूब जायेगा । ‘‘मोदी सरकार’’ ने देश के नौजवानों का भविष्य असुरक्षित और अंधकार में ढकेल दिया है जिससे देश की सुरक्षा चाहते हैं उसी के भविष्य को असुरक्षित कर दिया है ।
श्री तिवारी ने कहा है कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री जी ने ‘‘वन रेंक – वन पेंशन’’ का उद्घोष किया था लेकिन अग्निपथ योजना का मतलब ‘‘नो रैंक- नो पेंशन- और चार साल की सेवा के बाद भरी जवानी में रिटायरमेण्ट का टेंशन ही टेंश न ’’ ।
श्री तिवारी ने कहा है कि माह अक्टूबर, 2020 का स्व.जनरल विपिन रावत जी, तत्कालीन सीडीएस के समय का सर्कुलर है और उन्होंने ए.एन.आई. को दिये एक इंटरव्यू में कहा था कि सेना में सैनिक 17 साल बाद काम करके रिटायर हो जाते है , उनके रिटायरमेण्ट की आयु बढ़ानी चाहिए, हमारे सैनिकों के रिटायरमेण्ट की उम्र 58 साल करनी चाहिए, 58 साल हमारे सैनिकों की रिटायरमेंट की उम्र होगी तो हमारी सेना को वो बेहतर सर्व कर पायेंगे , हमारी सेना बेहतर तरीके से काम कर पायेगी । मोदी सरकार जो अग्निपथ योजना लेकर आयी है क्या वह स्व. जनरल विपिन रावत जी का, उनकी सोच का, उनकी इच्छा का अपमान नहीं है ?
. रक्षा मन्त्री जी ने संसद में कहा था कि लगभग डेढ़ लाख पद रिक्त है, सेनाओं में और सैन्य बलों में पिछले तीन सालों से न के बराबर भर्ती हो रही है, दो साल की आयु में छूट दी जा रही है और तीन साल से भर्ती नहीं हुई है तो बहुत से युवा तो वैसे ही ओवर एज हो गये है, देश के नौजवानों में इसको लेकर भी रोष और चिन्ता है। अतः जब तीन साल से भर्ती बन्द है तो कम से कम तीन साल की आयु में छूट भी दी जानी चाहिए । तीन साल से जब से भर्ती बन्द है युवा तब से तैयारी कर रहे हैं तो क्या यह उने जख्मों पर नमक छिड़ने जैसा नहीं है? और मोदी सरकार उनकी मेहनत और बेरोजगारी का क्या अपमान नहीं कर रही है ?
श्री तिवारी ने कहा है कि ‘‘मोदी सरकार’’ देश की संस्कृृति, देश का इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम के सि द्धान्तों को नहीं मानती जिन पर देश की स्थापना हुई है, इन्हें विदेशी तजुर्बे लाने की भयंकर बीमारी लग गयी है, अमेरिका से ‘‘फार्म लाॅ’’ लेकर आये थे, जिसे वापस लेना पड़ा । अब इजराइल की बात कर रहे है- इजराइल ऐसा देश है जिसकी इकोनाॅमी एडवांस है, वहांॅ शत प्रतिषत लोगों के पास रोजगार है, बेरोजगारी नहीं है अतः वहां फौज में जाना लोग पसंद नहीं करते इसलिये वहां 4 साल की सेना में सेवा करना अनिवार्य है । किन्तु भारत देश की स्थिति वहां से भिन्न है ।‘‘मोदी सरकार’’ की बदौलत 75 सालों के इतिहास में सबसे अधिक बेरोजगारी आज हमारे देश में है -यही नहीं राष्ट्र प्रेम की भावना भी हमारे नौजवानो में कूट- कूट कर भरी है इसलिये देश के करोड़ो नौजवान सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहते हैं ।
‘‘अग्निपथ भर्ती योजना’’ को लेकर देश के हर हिस्से में नौजवान आक्रोशित है खबरें यह भी मिल रही है कि बहुत से नौजवान डिपे्रशन में आकर आत्म हत्या तक भी दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठा रहे है। उदाहरणार्थ कुछ दिनों पूर्व हरियाणा के भिवानी के गांव तालू के एक नौजवान ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि ‘‘बापू  मैं इस जन्म में फौजी नहीं बन पाया अगले जन्म में जरूर बनूगा’’। बात उजागर होने पर भाजपा एवं सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने मजाक उड़ाया कि काबिल नहीं रहा होगा जबकि मैराथन में वह गोल्ड मेडलिस्ट था। इसी तरह हरियाणा में ही सचिन लाठर नामक नौजवान ने सुसाइड से पहले अपनी बहन को फोन पर कहा कि ‘मै फौजी नहीं बन पाऊंगा’’ यह कहकर अपनी जान दे दी । इन्होंने वर्ष 2019 में सेना की भर्ती में फिजिकल और मेडिकल की परीक्षा पास कर ली थी किन्तु बाद में भर्ती निरस्त कर दी गयी थी ।
श्री तिवारी ने कहा है कि देष की सुरक्षा और सेना से जुड़े मामलों में ‘‘मोदी सरकार’’ राजनीति न करे । इसमें केवल ‘‘राष्ट्रनीति’’ होनी चाहिए क्योंकि देश की सुरक्षा में जब कोई जाॅबाॅज सैनक अपनी शहादत देता है तो यह नही देखा जाता कि वह कौन से राजनैतिक दल का है, कौन से धर्म का है, कौन सी जाति का है या कौन सी वेषभूषा का है ? वह एक होकर मात्र देश की सुरक्षा के लिये लड़ता है ।
श्री तिवारी ने कहा है कि देश का युवा संयम रखे लोकतंत्र और संविधान जिस में हो वहां पर अपनी बात और अपनी मांग के आगे सरकार को झुकाने के लिये अहिंसा का रास्ता सर्वोपरि है । स्वतंत्रता संग्राम अहिंसा के रास्ते पर रहा, अभी हाल ही में किसान आन्दोलन अहिंसा के रास्ते पर रहा – एक साल से अधिक समय तक किसान धरने पर संयम और शांति से बैठा रहा और उसकी जीत हुई । किसान आन्दोलन में 700 किसानों की शहादत हुई तब जाकर सरकार ने तीनों काले कृृषि कानून वापस लिये थे, मेरा आग्रह है कि इस ‘‘अग्निपथ भर्ती योजना’’ को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए । पहले तीन कृृषि कानून के लिये किसान लड़ा था और अब अग्निपथ भर्ती योजना के लिये देश का नौजवान लड़ रहा है ।
श्री तिवारी याद दिलाते हुये कहा है कि जनरल वी.के. सिंह जी स्वयं अपनी रिटायरमेण्ट की उम्र को बढ़ाने के लिये अदालत में दरख्वास्त लगाते थे और आज जब सैनिकों के रिटायरमेण्ट की उम्र कम कर दी गयी है तो उसका स्वागत कर रहे हैं । श्री कैलाश विजयवर्गीय ने अग्निवीरों को भा.ज.पा. कार्यालयों में सिक्योरटी गार्ड में प्राथमिकता देने की बात कहकर देश की सेना एवं देश के युवाओं का अपमान करने का अक्षमय अपराध किया है ।
श्री तिवारी ने कहा है कि जब तीन काले कृृषि कानून लेकर आये थे तब भी भारतीय जनता पार्टी कहती थी कि किसानों को गुमराह किया जा रहा है, और प्रदर्शन कारियो को खालिस्तानी बताया जा रहा था, और बाद में उसे वापस लेना पड़ा, नोटबन्दी के समय भी यही कहा गया कि नोटबन्दी से कालाबाजारी बन्द हो जायेगी, दो नम्बर का पैसा कम हो जायेगा, प्रधानमंत्री जी देश को बतायें कि जो भी पाॅलिसी लेकर वह आये है उनमें से अभी तक कोई सफल हुई है, अब नौजवानों के भविष्य को चौपट किया जा रहा है यह अग्निपथ भर्ती योजना लाकर ।
देश की सुरक्षा से जुड़े इतने गम्भीर प्रकरण को इतने हल्के में लेकर ‘‘मोदी सरकार’’ ऐसी हल्की नीति लेकर आई, देश के नौजवानों से माफी मांगे और ‘‘अग्निपथ भर्ती योजना’’ को तुरन्त वापस लिया जाय। इस गम्भीर प्रकरण पर संसद का सत्र आहूत करके व्यापक पैमाने पर चर्चा करायी जाय, इतना बड़ा बदलाव देष की सेना के लिये सरकार बिना सोचे- समझे और बिना विपक्षी दलों से विचार- विमर्ष किये लेकर आई, यह दुर्भाग्य की बात है ।
श्री तिवारी ने कहा है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जी, सांसद ने मजदूरों की, गरीबाों एवं मजलूमों की, किसानों की, युवाओं की आवाज को कभी दबने नहीं दिया हमेशा उनकी आवाज उठाते रहे तो उनका मनोबल तोड़ने के लिये ई.डी.  और पुलिस द्वारा दबाव बनाया जा रहा है । पिछले 8 सालों के अंदर 5422 केस ई.डी. मेें चल रहे हैं, इसमें से 5310 केस पिछले 8 सालों में मात्र ‘‘मोदी सरकार’’  के कार्यकाल में दाखिल किये गये हैं और 112 प्रकरण उसके पहले के कांगे्रस अथवा अन्य सरकारों के समय के हैं, इससे स्पष्ट हो जाता है कि मोदी सरकार द्वारा डालने की कोशिश अपने विपक्षियों पर की जा रही    है ।
श्री हेमन्त बिस्वा शर्मा को लुईस बर्जर और शारदा घोटाले में ई.डी. ने बुलाया वे भा.ज.पा. में सम्मिलित हो गये, उनके सभी गुनाह माफ हो गये, श्री नारायण राणे जी जब कांगे्रस में थे तब ई.डी. और इनकम टैक्स के नोटिस आते थे जैसे भा.ज.पा. में गये पाक साफ हो गये, सोमेन मित्रा जी, जब तक टी.एम.सी. में थे मुकदमें चल रहे थे जैसे ही पार्टी छोड़ी, उन पर से ई.डी. के सभी केस साफ हो गये, मुकुल राय जी जब तक टी.एम.सी. में थे ई.डी. के दबाव में थे जैसे ही भा.ज.पा. में गये सारे गुनाह खत्म हो गये ।  यह सभी बातें यह साबित करती है कि ‘‘मोदी सरकार’’ के खिलाफ न बोलने के लिये या भा.ज.पा. में शामिल होने के लिये इन एजेंसी का/ जांच का इस्तेमाल हो रहा है, जिसकी कांग्रेस पार्टी कड़े शब्दों में निन्दा करती है । हम न डरे हैं- न डरेंगे ।

Cherish Times

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