सीएसए कृषि विश्वविद्यालय के गौरव में पुरातन छात्रों की अहम है भूमिका : सूर्य प्रताप शाही
कानपुर। सीएसए देश के प्राचीनतम विश्वविद्यालयों में से एक है। इस विश्वविद्यालय के गौरव में पुरातन छात्रों की भूमिका अहम है। सभी पुरातन छात्रों का समागम कर विश्वविद्यालय ने सराहनीय कार्य किया है। हम सभी को सोचना चाहिये कि रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से भूमि की जल धारण क्षमता में कमी हो रही है।
असंतुलित पोषक तत्वों के साथ ही मानव शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारियां के होने के कारण आज आवश्यकता इस बात की है कि प्राकृतिक खेती की जाए जिससे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में सुधार हो। यह बातें शुक्रवार को सीएसए में आठंवी एलुमनाई मीट में उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कही।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय (सीएसए) के कैलाश भवन प्रेक्षागृह में आठवीं एलुमनाई मीट एवं दो दिवसीय प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश सरकार के कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने एवं उपस्थित अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर विधिवत कार्यक्रम की शुरुआत की।
मुख्य अतिथि ने कहा कि समस्त कृषि विज्ञान केंद्रों के एक एकड़ प्रक्षेत्र पर प्राकृतिक खेती की जाए। और किसानों को प्रशिक्षित भी किया जाए। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती किसानों की आय बढ़ाने का एक उपक्रम साबित होगा। इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित वैज्ञानिकों से कहा कि दो दिनों के प्राकृतिक खेती पर मंथन के उपरांत जो सुझाव सरकार के पास आएंगे उससे निश्चित तौर पर किसान लाभान्वित होंगे।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डीआर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय ने वर्ष 2020- 21 से ही प्राकृतिक खेती पर कार्य शुरू कर दिया है और उसके परिणाम काफी उत्साहजनक हैं। इस वर्ष से सभी कृषि विज्ञान केंद्रों पर प्राकृतिक खेती के परीक्षण कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा विश्वविद्यालय के चार कृषि विज्ञान केंद्रों पर विभिन्न फसलों के उत्कृष्ट केंद्र बनाए गए हैं जिससे उन जनपदों के किसानों के फसलों की उत्पादकता बढ़ेगी। विश्वविद्यालय द्वारा लगभग 300 से अधिक विभिन्न फसलों की प्रजातियां विकसित की गई हैं। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य पर विश्वविद्यालय द्वारा 66 कार्यक्रम आयोजित कराए जा चुके हैं।
कार्यक्रम आयोजक डॉ मुनीष कुमार ने कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। एलुमनाई एसोसिएशन के चेयरमैन डॉक्टर एसके सिंह ने एसोसिएशन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर जैविक, प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों को सम्मानित भी किया गया। उद्घाटन सत्र के बाद मुख्य व्याख्यान हुए तत्पश्चात वैज्ञानिकों ने अपने प्राकृतिक खेती पर शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण किया।
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉक्टर श्वेता यादव एवं डॉक्टर नौशाद खान ने संयुक्त रूप से किया। अतिथियों का स्वागत अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉक्टर धर्मराज सिंह ने किया जबकि अंत में धन्यवाद निदेशक शोध डॉ करम हुसैन ने किया। इस अवसर पर पुरातन छात्र डॉ आर सी चौधरी, डॉ वाईएस शिवाय, डॉक्टर भारत सिंह, डॉक्टर मसूद अली सहित लगभग 300 पुरातन छात्र शामिल रहें।