उत्तर-प्रदेश

उप्र के 19 जनपदों में कल से खिलाई जायेंगी फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के 19 जनपदों में 12 मई से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए/आईडीए) कार्यक्रम शुरू होगा। इस दौरान लगभग पौने पांच करोड़ लाभार्थियों को फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाई जायेंगी। कार्यक्रम का उदघाटन उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक वर्चुअल रूप से करेंगे। इसी सम्बन्ध में बुधवार को एक होटल में मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उपस्थित मीडिया सहयोगियों ने भी फ़ाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन किया। कार्यशाला में प्रदेश के मीडिया सहयोगियों की उपस्थिति के साथ ही उन जनपदों के स्वास्थ्य अधिकारी और विभागीय अधिकारियों ने भी वर्चुअल रूप से प्रतिभाग किया।

इस अवसर पर डॉ. विन्दु प्रकाश सिंह, संयुक्त निदेशक फ़ाइलेरिया एवं राज्य कार्यक्रम अधिकारी ने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार वेक्टर बोर्न डिज़ीजेज़ जैसे फाइलेरिया, कालाजार रोग आदि के उन्मूलन के लिए अत्यंत संवेदनशील है। उन्होंने बताया कि इस अभियान में सभी वर्गों के लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए एम.डी.ए जनपदों में डी.ई.सी एवं अल्बंडाज़ोल एवं आई.डी.ए जनपदों में डी.ई.सी ,अल्बंडाज़ोल तथा आईवरमेक्टिन की निर्धारित खुराक स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा घर-घर जाकर, अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी एवं किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जायेगा ।

डॉ. विन्दु प्रकाश सिंह ने कहा कि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गम्भीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये दवाएं नहीं खिलाई जाएगी। इस दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है। डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि रक्तचाप, शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी है। सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कृमि मौजूद हैं, दवा खाने के बाद से ऐसे लक्षण उत्पन्न होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी समन्वयक डॉ. तनुज शर्मा ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव रोग सार्वजनिक स्वास्थ्य की गम्भीर समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है।

उत्तर प्रदेश के 75 जनपदों में से 51 जनपद फाइलेरिया से प्रभावित

कार्यशाला में बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के प्रतिनिधि डॉ. भूपेंद्र त्रिपाठी ने कहा पूरी दुनिया के फ़ाइलेरिया के मरीजों में लगभग 45 प्रतिशत फ़ाइलेरिया रोगी भारत में हैं। उत्तर प्रदेश के 75 जनपदों में से 51 जनपद इस रोग से प्रभावित हैं। इस प्रकार हम देखें तो अगर उप्र से फ़ाइलेरिया रोग का उन्मूलन हो जाये तो भारत में भी फ़ाइलेरिया रोगियों की संख्या बहुत कम हो जायेगी और पूरी दुनिया में भारत पर इस रोग के वहन का प्रतिशत भी काफी कम हो जायेगा। उन्होंने कहा कि फ़ाइलेरिया उन्मूलन अभियान में इस बात का विशेष ध्यान देना है कि जो लोग, अभियान के दौरान घर पर नहीं हैं और दवा खाने से वंचित हो गए हैं, वे घर वापस जाने पर अपने गाँव की आशा के पास जाएं औए अपने हिस्से की फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं खाएं। इस बात को सुनिश्चित किया जाये तो फ़ाइलेरिया उन्मूलन में अपेक्षित सफलता अवश्य मिलेगी ।

प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के प्रतिनिधि ध्रुव सिंह ने बताया कि एमडीए अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए ग्राम स्तर पर ग्राम प्रधानों के सहयोग से सोशल मोबिलाइजेशन से सम्बंधित गतिविधियां अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के सम्बन्ध में जागरूकता फैलाने के लिए, प्रदेश के राशन डीलर्स, किसानों के समूहों, व्यापार मंडल, गन्ना मिल मालिकों और धार्मिक गुरुओं के माध्यम से समुदाय में जागरूकता फैलाई जा रही है। ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के अनुज घोष ने कहा कि मीडिया की भूमिका, सरकार द्वारा चलाये जा रहे, समस्त कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है ।

Cherish Times

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button