सैमुअल हैनीमैन की याद में विश्व होम्योपैथी दिवस पर डॉ वर्मा ने होम्योपैथी उपचार के महत्व पर दी विशेष जानकारी।
होम्योपैथी असरदार तरीके से मर्ज को ही नहीं बल्कि मरीज को ठीक करती है।
लखनऊ: रोगों को जड़ से ठीक करने की बेहतरीन होम्योपैथिक पद्धति आज लोगों में विश्वास की पद्धति बन चुकी है। हर साल 10 अप्रैल को सैमुअल हैनीमैन की याद में विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है। होम्योपैथी के जनक माने जाने वाले जर्मन मूल के ईसाई फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन का जन्म 10 अप्रैल 1755 को ही हुआ था। इस साल उनकी 267 वीं जयंती है। भारत में भी हर साल आयुष मंत्रालय इसकी थीम निर्धारित करता है और देशभर में यह विशेष दिवस के रूप में मनाया जाता है।आयुष विभाग द्वारा निर्धारित इस साल की थीम, “सार्वजनिक स्वास्थ्य कल्याण के लिए लोगों की पसंद” है।
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड सहित कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित लखनऊ के किडनी स्टोन विशेषज्ञ डॉ जय वर्मा ने होम्योपैथिक पद्धति का प्रयोग कर बहुत ही कम समय में लोगों को किडनी व गॉल ब्लैडर की पथरी से मुक्ति दिलाई है और मरीज को ऑपरेशन के खर्च व अन्य समस्याओं से भी राहत पहुँचाया है। डॉक्टर वर्मा कहते हैं, यदि शुरुआती स्टेज में कोई बीमारी सामने आए और एक होम्योपैथी डॉक्टर उसका सही तरीके से इलाज करे, तो उसके ठीक होने की संभावना काफी अधिक होती है. हाइपरटेंशन, थायरॉएड, ल्युकोडर्मा, स्किन रोग, फायब्रॉयड्स, हार्ट संबंधित समस्या, बच्चों के रोग, जोड़ों की समस्या, किडनी रोग से संबंधित मरीज अगर शुरुआती स्टेज में होम्योपैथी से इलाज कराए, तो 100 प्रतिशत रोग ठीक हो सकता है, बिना एलोपैथी से इलाज कराए। क्रॉनिक स्टेज में बीमारियों को ठीक करने के लिए दवा के साथ -साथ जरूरी एहतियात व सेवन मरीज को करना चाहिए। होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति शरीर में वायटल फोर्स को गति प्रदान कर शरीर में रोग को ठीक करने की क्षमता प्रदान करता है। कभी-कभी एक बीमारी के इलाज में अन्य बीमारियां भी स्वत: ठीक हो जाती हैं, कहने का अर्थ है कि होम्योपैथी मर्ज को ही नहीं बल्कि मरीज को ठीक करती है।
चिकित्सा की इस अलग प्रणाली के बारे में जागरूकता पैदा करना और इसे आसानी से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना है।
आज के समय में होम्योपैथी काफी प्रचलित है. दुनियाभर में लोग इस पद्धति को काफी महत्व देते हैं. भारत सहित विश्व के कई देश होम्योपैथी को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। यह एक सुरक्षित चिकित्सकीय तरीका है जो कई प्रकार की बीमारियों का प्रभावी उपचार कर सकता है। इसकी आदत भी नहीं पड़़ती है साथ ही यह गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सभी के लिए एकदम सुरक्षित और आसान है।