इशरे के “ऊर्जा संरक्षण और डीकार्बोनाइजेशन सेमिनार के माध्यम से संयमित विकास का मार्ग दिखाया गया

लखनऊ । इशरे लखनऊ के तत्वावधान में “ऊर्जा संरक्षण और डीकार्बोनाइजेशन विषयक सेमिनार शनिवार 20 दिसम्बर को होटल क्लार्क अवध में आयोजित किया गया। इसमें संस्था के पदासीन सदस्यों के साथ- साथ शहर के विभिन्न गणमान्य वास्तुविद एवं अभियंता सम्मिलित हुए। इसमें पर्यावरण के दुष्प्रभाव एवं आम जनमानस के कल्याण पर विस्तार से चर्चा की गई।
सेमिनार में बताया गया कि ऊर्जा संरक्षण का अर्थ यह नहीं है कि हम विकास की गति धीमी कर दें, बल्कि इसका अर्थ है हम ऊर्जा की बर्बादी को योजनाबद्ध होकर रोके। इसके लिए केवल बचत का प्रयास काफी नहीं है। हमें अपनी ऊर्जा के स्रोतों को पूरी तरह बदलना होगा। इसी प्रक्रिया के तहत हमें डीकार्बोनाइजेशन को अपनाना होगा। इसका अर्थ है अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में चाहे वो परिवहन हो, उद्योग हो या बिजली उत्पादन, हमें कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को समाप्त करना होगा।
इस आयोजन यूपी पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता इलेक्ट्रिकल एंड मैकेनिकल यू.के. सिंह मुख्य अतिथि और यूपी राजकीय निर्माण निगम के महाप्रबंधक समीर गुप्ता एवं एकेटीयू की प्रधानाचार्य वंदना सहगल को विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। सेमिनार में आईआईटी रुड़की के स्वर्ण पदक से अलंकृत वास्तुकार अशोक कुमार, एमईपी सर्विस डिजाइन के निदेशक संदीप गोयल सहित मोहम्मद आबिद हुसैन, फरहीन बानो, रवि शंकर कुमार, आशीष श्रीवास्तव, आशीष जैन एवं इशरे दिल्ली के वलीउल्लाह सिद्दीकी ने भी अपने विचार रखे। एम्बियंस सोल्यूशन के निदेशक समीर श्रीवास्तव इस सेमिनार के मोडेरेटर रहे। व्यवस्थापकों में अशोक कुमार, हरीश साहनी, संदीप सक्सेना, अनिल कुमार निगम, सुशांत अवस्थी, श्याम त्रिपाठी, आकृति गुप्ता, देवेन्दर मोहन, राहुल सूरी, आलोक चौधरी, शरद चन्द्र श्रीवास्तव, अमित कौशिक, राजीव विग, रवि शंकर कुमार, मनोज नितवाल, अमरजीत मौर्य, मो.जीशान, वरद तिवारी, आर.एन. रुस्तगी शामिल रहे।



