सोनचिरैया संस्था करेगी ‘देशज’ के पांचवे संस्करण का आयोजन
दो दिनों तक लोकरंग में दमकेगा लोहिया पार्क

लखनऊ । लोक संस्कृति से सराबोर दो दिवसीय आयोजन, गोमतीनगर के लोहिया पार्क में छह और सात दिसम्बर को भव्य स्तर पर आयोजित किया जा रहा है। अपनी स्थापना के 15वें वर्ष पर सोनचिरैया संस्था ‘देशज’ के पांचवें संस्करण का आयोजन लोहिया पार्क के मुक्ताकाशी मंच पर कर रही है।
इस अवसर पर शुक्रवार पांच दिसम्बर को हनुमत धाम मंदिर में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान लोक कलाकारों की अत्यंत आकर्षक नौकाओं की सांस्कृतिक यात्रा निकाली गई। इसमें विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने अपनी पारंपरिक वेशभूषा और वाद्यों के साथ कला रसिकों को देशज महोत्सव में सम्मिलित होने का सुरीला और सतरंगी आमंत्रण दिया।
संस्था की प्रमुख मालिनी अवस्थी ने बताया कि सोनचिरैया ने जब 10 वर्ष पूरे किए थे, तब लोक सांस्कृतिक महोत्सव “देशज” की शुरुआत की गई थी और उसकी सफलता ने इसे, संस्था का अनिवार्य वार्षिक आयोजन बना दिया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष दो चीज़ें बेहद खास हैं, पहली कलाकारों की यह अनूठी नौकायात्रा, जो कला और जीवन की निरंतर गतिशीलता का प्रतीक है, और दूसरी उन पारंपरिक लोक कलाओं की उपस्थिति, जो अलग-अलग राज्यों की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखती हैं। उन्होंने बताया कि इस बार केरल से “थेय्यम” की प्रस्तुति विशेष आकर्षण रहेगी। इसके साथ ही मिजोरम से चेरो बांस नृत्य, राजस्थान से घूमर, पंजाब से गिद्दा, छत्तीसगढ़ का गोंड मारी या गौर मारिया नृत्य, महाराष्ट्र का सांगी मुखौटा नृत्य और गुजरात का दांगी प्रदर्शन आकर्षण का केंद्र होगा। इस बार राजस्थान से लोकगायक कुतले खान राजस्थानी संगीत का रंग लेकर आ रहे हैं तो वहीं कार्यक्रम का समापन, बिहार के भिखारी ठाकुर की कालजयी रचना “बिदेसिया” नाटक के मंचन से होगा। इसका निर्देशन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के संजय उपाध्याय ने किया है।
वार्ता के दौरान थैय्यम का वर्णन करते हुए मोहिनीअट्टम की कलाकार जयप्रभा मेनन ने कहा कि यह केवल नृत्य नहीं, बल्कि एक अनुष्ठान है, जिसे केरल में इसी मौसम यानी अक्टूबर से मार्च तक किया जाता है। बड़े मुखौटे, विशिष्ट मेकअप, चेहरे पर बनाए जाने वाले पौराणिक रेखाचित्र और देवी-देवताओं के आवाहन का विशिष्ट मिश्रण इसे लोकविश्वास का जीवंत रूप बनाता है। उन्होंने कहा कि थेय्यम में कलाकार देवस्वरूप माने जाते हैं और प्रस्तुति के दौरान पूरा वातावरण पूजा-क्रम जैसा पवित्र हो उठता है। वार्ता में असम के थियेटर कलाकार दयाल कृष्णनाथ सहित जगमोहन रावत आदि उपस्थित रहे।
प्रेसवार्ता के बाद गोमती नदी से भव्य नौका शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें कुल 10 सजी हुई नावों ने अलग-अलग प्रदेशों की लोक-संस्कृति को जीवंत किया। इन नावों पर पंजाब के गिद्दा, महाराष्ट्र की सांगी मुखौटा परंपरा, गुजरात के दांगी, राजस्थान के घूमर, मिजोरम के चेरो बांस-नृत्य के नर्तक और छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने लोकरंग की छटा बिखेरी। कलाकारों की वेशभूषा, वाद्य और रंगों से सजी इस शोभायात्रा ने सोनचिरैया संस्था के 15 वर्षों की सांस्कृतिक यात्रा का प्रतीकात्मक उत्सव मनाया और लखनऊवासियों को देशज महोत्सव में शामिल होने का आमंत्रण दिया।



