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निश्चेतन, (ANAESTHESIA) निसंज्ञा का भय – सच क्या है ?

डॉ. के. सुधा राव

अरे भाई ये शर्माजी के घर इतनी भीड़ ? क्या हुआ ?
शर्माजी आपरेशन कराने अस्पताल जा रहे हैं। क्यों, कहां, किसका, किससे और जाने कितने सवाल ? और परामर्श आपरेशन कराना ही पड़ेगा ?
यह वाक्य प्रत्येक व्यक्ति के साथ कभी-न-कभी और कहीं-न-कहीं जरूर होता है। क्यों आखिर क्यों, एक अजीब-सा डर आपरेशन से होता है, इसका निवारण आवश्यक है। किसी भी शल्यक्रिया या आपरेशन के लिए निश्चेतना या ANAESTHESIA जरूरी होता है। मोटे तौर पर निश्चेतना तीन प्रकार की होती है:-
1. Local Anaesthesia
2. Spinal Anaesthesia
3. General Anaesthesia
लोकल (Local ANAESTHESIA) में जिस भाग की शल्यक्रिया होती है, केवल उसके चारों तरफ या इर्द-गिर्द के हिस्से को दवा के जरिए सुन्न कर दिया जाता है, जिससे कि मरीज को दर्द का अहसास न हो और शल्यक्रिया की जा सके। इस प्रकार के ANAESTHESIA की अपनी सीमाएं हैं। केवल छोटे आपरेशन जैसे छोटी-मोटी गाँठ, पका फोड़ा इत्यादि की शल्यक्रिया ही की जा सकती है। इसमें मरीज का पूरा-पूरा सहयोग आवश्यक है।
कुछ वर्षों से (Local ANAESTHESIA) का एक और रूप खड़ निश्चेतना (Block ANAESTHESIA) भी प्रचलित किया गया है, इसमें थोड़े बड़े आपरेशन जैसे हरनिया, (Hernia) महिला बंध्याकरण (Tubectomy), गले के हिस्से की गाँठों का आपरेशन, (कैंसर) की शल्यक्रिया करने का प्रयास किया जा रहा है।

Spinal Anaesthesia :-
मनुष्यों में पीछे की तरफ रीढ़ की हड्डी या मेरूदण्ड (Vertebral Column) होता है। यह एक-दूसरे से जुड़ी 26 (शिशुओं में 33) छोटी-छोटी हड्डियों (जिन्हें Verterbra या कशेरूकाएँ कहते हैं) से बना होता है। इनका विवरण इस प्रकार है:-
गर्दन में ग्रीवा कशेरूकाएँ (Cervical Vertebral) 07 कशेरूकाएँ
वक्ष भाग में – वक्षीय कशेरूकाएँ (Thoracic Vertebral) 12 कशेरूकाएँ
कटि भाग में – कटि कशेरूकाएँ (Sacral Vertebral) 01 (शिशुओं में 5)
श्रेणि भाग में – अनुत्रिक कशेरूकाएँ (Coccyx Vertebral) 01 (शिशुओं में 4)
इन Vertebrae के बीच-बीच में Intervertebral dise या Pad होता है और Fibrocartilage भी जिससे कशेरूकदण्ड लचीला रहता है।
मनुष्य में Spinal Nerves की 31 जोड़ी होती है:-
08. Cervical Nerves जो सिर, ग्रीवा, कंधों की त्वचा व पेशियों तथा Diaphragm को जाती है।
12. Thoracic
05. Lumbar
05. Sacral
01. Coccygeal
इन Spinal Nerves से 4 Plexus (1) Cervical (2) Brachial (3) Lumbar (4) Sacral बनते हैं, जो हमारे शरीर के विभिन्न अंगों को पीड़ा, ताप, स्पर्श, दबाव, स्पंदन आदि की संवेद सूचनाओं को मस्तिश्क में पहुँचाने और मस्तिश्क को इन भागों की पेशियों व ग्रंथियों में चालक प्रेरणाओं को पहुँचाने का काम करते हैं। इसी संरचना को आधार लेकर शरीर के जिस भाग का आपरेशन करना होता है, उस भाग से संबंधित Plexus को Spinal Anaesthesia में दवा देकर सुन्न कर दिया जाता है और हम आसानी से शल्यक्रिया कर सकते हैं। इस प्रकार के Spinal Anaesthesia में मरीज पूरा बेहोश नहीं होता है। अतः इसमें मरीज का समुचित सहयोग अपेक्षित होता है, परंतु यह केवल डेढ़ से दो घंटे असर करता है। पिछले कुछ वर्षों में निश्चेतकों ने प्रयत्न करके Epidural Anaesthesia का अविष्कार किया है, जो Spinal के साथ भी दिया जा सकता है और लंबे समय तक कारगर रहता है, इससे जिन आपरेशनों में 5‘6 घंटें लगते हैं उनको भी किया जा सकता है। आजकल (Cancer) कैंसर पीड़ित व्यक्तियों को दर्द से राहत देने के लिए भी प्रयोग होता है।
General Anaesthesia या बेहोशी :- इस प्रकार की बेहोशी में पिछले कुछ वर्षों में बहुत प्रगति की गई हैं और Safe Anaesthesia की ओर विशेष ध्यान दिया गया है।
इस पद्धति में दवाओं द्वारा मरीज को पूरा बेहोश कर दिया जाता है और शल्यक्रिया की जाती है। 10-12 घंटे के आपरेशन भी किए जाते हैं और आज अगर अवयवों के प्रत्यारोपण जैसे गुर्दें, यकृत, तिल्ली अथवा मस्तिष्क तक पहुँचे हैं तो उसमें Anaesthesia का योगदान प्रशंसनीय है।
हमें भय क्यों होता है। भय मृत्यु से होता है। मृत्यु तो अवष्यंभावी है, नियति है, परंतु असमायिक मृत्यु से संबंधित परिवार प्रभावित होता है, चाहे वह किसी भी कारण से हो जैसे दुर्घटना, बीमारी, हत्या या अन्य किन्हीं कारणों से, मृत्यु अस्पताल में आपरेशन से संबंधित होती है तो एक भूचाल-सा आ जाता है। चिकित्सक से लेकर मरीज तक के बीच की जितनी कड़ियाँ हैं, सभी प्रभावित होती हैं। मृत्यु के अतिरिक्त कभी-कभी आपरेशन के बाद विकलांगता भी हो जाती है, जो कि अत्यंत दुःखदायी होता है। इसका अहसास संबंधित परिवारजन ही कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त भय होता है, असफल आपरेशन से, कभी-कभी कई कारणों से आपरेशन सफल नहीं हो पाता। जैसे:- हड्डी ठीक से जुड़ नहीं पाती, टाँके पक जाते हैं आदि। इसके अनेक कारण होते हैं, जिसमें चिकित्सक की कोई भी असावधानी न होने पर भी ऐसी विकलांगता या असफलता हो सकती है।
General Anaesthesia या पूर्ण बेहोशी एक अनुभवी कुशल निश्चेतक के हाथों में शत-प्रतिशत सुरक्षित होता है, इस प्रक्रिया में पिछले कुछ वर्षों में अभूतपूर्व बदलाव और आधुनिकता ने प्रवेश किया है। नई मशीनों से, नई आधुनिक तकनीक और दवाओं के जरिए जटिल-से-जटिल शल्यक्रिया को सुगम बनाया जा रहा है। विशेष चिकित्सालयों में विशेष सुविधाओं से लैस शल्य कक्षों में हृदय के आपरेशन, यहाँ तक कि विदेशो में ‘हृदय प्रत्यारोपण’ भी किये गये है।
भय का निवारण:- प्रत्येक मरीज को शल्यक्रिया से पूर्व चिकित्सक, निष्चेतक व अन्य चिकित्सकीय सहयोगियों से परामर्श मिलना चाहिए। मरीज के प्रश्नों का उचित समाधान होना अति-आवश्यक है। उसे संक्षेप में शल्यक्रिया की आवश्यकता, संबंधित सुविधाओं और शल्यक्रिया के पहले या बाद में लेने वाली सावधानियों और जटिलताओं व आकस्मिक संभावनाओं से अवगत अवश्य कराना चाहिए। निश्चेतक द्वारा पूर्व परीक्षण, संबंधित (Investigations) जाँच और निश्चेतना से संबंधित प्रश्नों का समुचित उत्तर व समाधान अतिआवश्यक है। इससे व्यक्ति में व्याप्त आशंका व भय का निवारण होता है।
मरीज के रिश्तेदारों व मित्रों को भी अगर किसी प्रकार की आशंका हो तो उसे भी ध्यान में रखना चाहिए। शल्यक्रिया के पहले और बाद में बरतने वाली सावधानियों के प्रति भी उसे जागरूक करना अति-आवश्यक है, जिससे Complication से बचा जा सके।
निष्चेतक, शल्य वशेषज्ञ व पूरी चिकित्सालय की टीम का एक ही कर्तव्य और प्रण होता है कि प्रत्येक मरीज की सहानुभूतिपूर्वक संपूर्ण सेवा करें व उसके कष्ट का निवारण करे तथा इसी में सब प्रयत्नषील हैं और रहेंगे।
अंत में गीता के दूसरे अध्याय के 21 वें श्लोक का मनन ही प्राणी को आत्मसंतोष प्रदान करने में समर्थ प्रतीत होता है।

”वेदाविनाषिनं नित्यं य एनमजमव्ययम्।
कथं स पुरूषः पार्थकं घातयाति हन्तिकम।।“

कृष्ण का अर्जुन से संवाद:-
”जो पुरूष इस आत्मा को नाशरहित, नित्य, अजन्मा और अव्यय जानता है, वह पुरूष कैसे किसको मरवाता है और कैसे किसको मारता है।
अर्थात आत्मा का नाश हो नहीं सकता, अतः उसके लिये शोक करना उचित नहीं है। अतः यह मरना, मारना, मरवाना आदि सब कुछ अज्ञान से ही आत्मा में अध्यारोपित है।“
आशा है इस लेख के लघु प्रयास द्वारा, आप सभी में निश्चेतना (Anaesthesia) से संबंधित जो भय व्याप्त है, वह दूर हो गया होगा।

(लेखिका डॉ. के. सुधा राव, एम.बी.बी.एस. (दिल्ली) डी.ए. (लखनऊ), एम.फिल. (अस्पताल प्रशासन) बी.आई.टी.एस. पिलानी, मुख्य चिकित्सा निदेशक (सेवानिवृत्त) उत्तर मध्य रेलवे इलाहाबाद रही हैं
सम्पर्क-9984010000)

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