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राजनीति से पहले ज़मीनी हकीकत पर ध्यान दें धामी : हरमीत सिंह कालका, जगदीप सिंह काहलों

गुरु तेग बहादुर साहिब की 350वीं शहीदी वर्षगांठ से जुड़ा मामला

नई दिल्ली : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार हरमीत सिंह कालका और जनरल सेक्रेटरी सरदार जगदीप सिंह काहलों ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी द्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहीदी दिवस से जुड़े मामले पर दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी पर किए गए हमले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि या तो एडवोकेट धामी को ज़मीनी हकीकत की जानकारी नहीं है, या फिर वह जानबूझ कर सच्चाई से अनजान बने हुए हैं।

यहाँ जारी एक बयान में सरदार कालका और सरदार काहलों ने कहा कि वे हैरान हैं, क्योंकि उन्होंने तो शिरोमणि कमेटी के प्रधान से अपील की थी कि वह गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहीदी वर्षगांठ को लेकर बड़े भाई की भूमिका निभाएं। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि एडवोकेट धामी इससे अनभिज्ञ हैं।
उन्होंने बताया कि अमृतसर में जो बैठकें दल पंथ की संस्थाओं के साथ की गई थीं, उनमें शिरोमणि कमेटी के प्रतिनिधि भी मौजूद थे, जिन्होंने भरोसा दिलाया था कि वे दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में किसी प्रकार का विघ्न नहीं डालेंगे।
उन्होंने बताया कि अमृतसर में हुई बैठक में सरदार प्रताप सिंह (सचिव), सरदार विजय सिंह (धर्म प्रचार सचिव) और सरदार बलविंदर सिंह काहलवां (शिरोमणि कमेटी के सदस्य) भी मौजूद थे।

उन्होंने कहा कि दिल्ली में हुई बैठक में भी शिरोमणि कमेटी के प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए जत्थेदार गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने पूर्ण सहयोग का भरोसा दिया था। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि या तो एडवोकेट धामी को शिरोमणि कमेटी द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी नहीं है या फिर वह जानबूझ कर अनजान बन रहे हैं।

श्री कालका और श्री काहलों ने बताया कि तख्त पटना साहिब की कमेटी द्वारा बिहार सरकार के साथ मिलकर 31 अगस्त को शहीदी जागरूकता यात्रा पटना साहिब से दिल्ली होते हुए आनंदपुर साहिब तक ले जानी थी, जिसकी जानकारी एक सप्ताह पहले ही उच्च स्तर पर दी गई थी।
लेकिन उनके कार्यक्रम में भी राजनीति से प्रेरित होकर बाधा डालने के लिए पहले ही 30 तारीख को पटना साहिब यात्रा निकाली जा रही है, जिससे शिरोमणि कमेटी प्रबंधकों की संकीर्ण सोच उजागर होती है।

उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वीं शहीदी वर्षगांठ का आयोजन करने का पहला अधिकार दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी का बनता है, क्योंकि गुरु साहिब की शहादत और अंतिम संस्कार दिल्ली में हुआ था।
इसी तर्क से उन्होंने पंथ की सभी संस्थाओं और सम्प्रदायों से सहयोग मांगा था, जिन्होंने पूर्ण सहयोग का भरोसा भी दिया था।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि अब राजनीतिक मजबूरियों के कारण एडवोकेट धामी शिरोमणि कमेटी द्वारा दिए गए भरोसे से पीछे हट रहे हैं।

उन्होंने धामी को याद दिलाया कि इस मामले पर पंथ को एकजुट होकर इस महान दिन को मनाने की जरूरत है, ना कि इस पर घटिया राजनीति की जाए।
उन्होंने कहा कि ये कौम के बड़े दिन हैं, जिनको मनाने के लिए पूरे पंथ को पूर्ण एकता दिखानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उन्होंने तो शिरोमणि कमेटी से बड़े भाई की भूमिका निभाने की अपील की थी, लेकिन ऐसा लगता है कि धामी साहिब वह भूमिका भूलकर केवल अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने पर अड़े हुए हैं।

उन्होंने कहा कि कौम के लिए अपने ऐतिहासिक दिवस मनाने का एक विशेष महत्व होता है, यह बात एडवोकेट धामी को याद रखनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब शिरोमणि कमेटी के प्रतिनिधि एक नहीं बल्कि दो बार बैठकों का हिस्सा रहे हों और पूर्ण सहयोग का भरोसा दिलाया गया हो, उसके बाद एडवोकेट धामी द्वारा की जा रही राजनीतिक बयानबाजी अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने दोहराया कि संगतों के सहयोग से गुरु तेग बहादुर साहिब की 350वीं शहीदी वर्षगांठ बहुत बड़े स्तर पर मनाई जाएगी, जिसे पूरी दुनिया याद रखेगी।
उन्होंने कहा कि गुरु साहिब के शहादत स्थल गुरुद्वारा शीशगंज साहिब, उनके अंतिम संस्कार के स्थान गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब के साथ-साथ लाल किले पर भी ऐतिहासिक कार्यक्रम होंगे, जिनमें देश की शीर्ष नेतृत्व भी शामिल होगी।

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