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बसंत पंचमी ऊर्जा और रचनात्मकता के बसंत का उद्घोष है : डॉ लीना मिश्र

बालिका विद्यालय में बसंत पंचमी पर कार्यक्रम आयोजित

लखनऊ : भारतवर्ष विविधता का देश है। जैसे यहां प्रकृति में विविधता है पहाड़, सागर, झील, नदियां, रेगिस्तान, पठार आदि दिखते हैं वैसे ही बारिश, ठंडे और गर्म झरने, रेगिस्तान और सूखे एवं बाढ़ जैसी स्थितियां भी प्रायः देखने को मिलती हैं। इसी तरह भारतवर्ष में ऋतुएं और मौसम भी विभिन्न प्रकार के देखे जाते हैं। इन्हीं में से माघ के महीने में एक मौसम आता है बसंत और इसके पांचवें दिन बसंत पंचमी मनाई जाती है।

यह बसंत आने की उद्घोषणा है जो रचनात्मकता की देवी सरस्वती के पूजन और अर्चना का दिन होता है। कहा जाता है जब सृष्टि की रचना हो रही थी और त्रिदेव संतुष्ट नहीं हो पा रहे थे तब मां दुर्गा के एक दूसरे अवतार के रूप में प्रकट हुई सरस्वती देवी ने सृष्टि को रचनात्मक रूप प्रदान कर सृजन को पूर्णता प्रदान की। तब से रचनात्मकता की देवी के रूप में मां सरस्वती पूजी जाती हैं।

बालिका विद्यालय में समस्त पर्वों एवं त्योहारों और अनेक सनातन परंपराओं का आयोजन भी पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है जिससे छात्राओं को शिक्षा के साथ-साथ भारतवर्ष के रीति रिवाज, परंपराओं एवं संस्कृति से साक्षात्कार कराया जा सके। इसी क्रम में बालिका विद्यालय में बसंत पंचमी पर्व का आयोजन हुआ।

मां सरस्वती की आराधना करते हुए रचनात्मकता, सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद बनाए रखने की प्रार्थना करते हुए शिक्षिकाओं एवं छात्राओं ने संगीतमय वातावरण में अनेक रचनात्मक प्रस्तुतियां दीं। इस पर्व का आयोजन पूनम यादव, ऋचा अवस्थी, मंजुला यादव, रागिनी यादव, मीनाक्षी गौतम और प्रतिभा रानी के सहयोग से हुआ।

विद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ लीना मिश्र, समस्त शिक्षिकाओं एवं छात्राओं द्वारा मां सरस्वती जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित किए गए। मिष्ठान्न और फलों का भोग लगाया गया। विद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ लीना मिश्र द्वारा बसंत पंचमी पर्व की महिमा, परंपरा और विधि विधान पर चर्चा करते हुए छात्राओं को उज्जवल भविष्य के लिए विद्यालय परिवार और प्रबंधक श्री मनमोहन तिवारी की ओर से आशीर्वाद और शुभकामनाएं प्रेषित की गईं। अनिता श्रीवास्तव द्वारा भी छात्राओं को बसंत पंचमी के आयोजन का उद्देश्य समझाया गया।

विद्यालय की छात्राओं ने पूरे हर्षोल्लास के साथ बसंत ऋतु आई रे, मां सरस्वती शारदे, रितु आ गई रे रितु छा गई रे, या कुंदेंदु तुषार हार धवला, आई आई रे बसंत बहार कोयलिया कुहुक बोले आदि गीत और नृत्य प्रस्तुत करके पूरे विद्यालय प्रांगण को मां सरस्वती के आशीर्वाद से मानो गुंजायमान कर दिया। कार्यक्रम में विद्यालय की समस्त शिक्षिकाएं और छात्राएं उपस्थित थीं।

 

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