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कांग्रेस’ ने देश पर ‘आपातकाल’ थोप कर भारत के लोकतंत्र का गला घोंटने का प्रयास किया: ब्रजेश पाठक

                  चेरिश टाइम्स न्यूज़
          लखनऊ. आपातकाल के दौरान तत्कालीन सरकार की कठोर यंत्रणाओं को सहन कर देश में लोकतंत्र बहाली के लिए संघर्ष करने वाले लोकतंत्र सेनानियों को प्रदेश कार्यालय पर उपमुख्यमंत्री  बृजेश पाठक, प्रदेश उपाध्यक्ष एमएलसी सलिल विश्नोई, महानगर अध्यक्ष एमएलसी मुकेश शर्मा द्वारा सम्मानित कर अभिनंदन किया गया।

सम्मानित लोकतंत्र सेनानियों में  भारत दीक्षित, रमाशंकर त्रिपाठी, राजेंद्र तिवारी, गणेश चंद्र राय, रामकिशोर शर्मा, संतोष कुमार बाजपाई, सुरेश कुमार वजीरानी, राकेश स्वरूप निगम, अजीत कुमार सिंह, हरि श्याम रस्तोगी, केदारनाथ श्रीवास्तव, अशोक कुमार शर्मा, मधुकर मित्रा, सुरेश चतुर्वेदी, राम तीरथ वर्मा, सत्य प्रकाश जैन, देवीदीन पाल, वेद प्रकाश, रामचंद्र जी, दिनेश प्रताप सिंह, भगवान दास, रामधनी विश्वकर्मा, विश्राम सागर और भोला उपाध्याय को उपमुख्यमंत्री ने माला पहनाकर अंग वस्त्र व स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया।

 

सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहां कि कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने बिना दोष के सभी मौलिक अधिकार समाप्त कर दिए गए प्रेस की स्वतंत्रता भी बंद कर दी गई।
आपातकाल 1975 में लगा था इसके मूल कारण में 1971 में जो लोकसभा चुनाव हुआ था उस समय की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी रायबरेली अपने संसदीय चुनाव क्षेत्र से चुनाव में देश में सत्ता का दुरुपयोग किया और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाले उनके खिलाफ दायर की उसका जगमोहन लाल न्यायमूर्ति जी ने इंदिरा गांधी जी के चुनाव को अवैध घोषित किया।
साथ ही 6 साल चुनाव न लड़ने का प्रतिबंध भी लगाया। ।
देश में इमरजेंसी लागू करना भी इसी  का हिस्सा रहा। यह अलोकतांत्रिक निर्णय जो आपातकाल के रूप में जबरन देश पर थोपा गया भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में काले अध्याय के रूप में दर्ज है, इस अनैतिक और दमनात्मक कृत्य के लिए देश की जनता कांग्रेस को कभी माफ नहीं करेगी।
उन्होने कहा कि आपातकाल के दौरान लोगों से अंग्रेजी शासन से भी बुरा व्यवहार किया गया, इस निर्णय का विरोध करने वालों को कड़ी यातनाएं दी गईं, अकारण ही लाखों लोगों को जेल में ठूंस दिया गया। अदालतों और प्रेस पर भी सेंसरशिप लगा दी गई।
इसके बावजूद लाखों लोकतंत्र सेनानियों ने यातनाओं को सहते हुए इस अनैतिक निर्णय का न सिर्फ विरोध किया बल्कि तानाशाही सरकार को सबक भी सिखाया। उन्होंने आपातकाल के खिलाफ संघर्ष करने वाले लोकतंत्र सेनानियों को नमन करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों की पुर्नस्थापना में लोकतंत्र सेनानियों का बड़ा योगदान है।
वरिष्ठ लोकतंत्र सेनानी राजेंद्र तिवारी द्वारा अपने स्मरण साझा करते हुए आपातकाल के दौरान झेली गई यातनाओं को विस्तार पूर्वक बताया गया।
लोकतंत्र सेनानी भारत दीक्षित ने कहा कि “मौत से लड़ना आसान होता है जान देने से बड़ा दान नहीं होता है, मरना है मर जाओ देश की खातिर शहीदों से बड़ा कोई भगवान नहीं होता है।
मीडिया प्रभारी प्रवीण गर्ग ने बताया कि कार्यक्रम को  प्रदेश उपाध्यक्ष सलिल विश्नोई, भारत दीक्षित सहित अन्य लोकतंत्र सेनानियों ने भी सम्बोधित किया.
इस दौरान मुख्य रूप से प्रदेश मीडिया प्रभारी मनीष दीक्षित, महानगर महामंत्री पुष्कर शुक्ला, रामअवतार कनौजिया व सुनील यादव उपस्थित रहे।
संचालन प्रदेश मंत्री अमित वाल्मीकि ने किया ।

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