लखनऊ. “गीता ना तो पढ़ने वाला शास्त्र है, ना सुनने वाला वरन यह तो एक जीने का शास्त्र है”. इन्हीं शब्दों के साथ तीन दिवसीय गीता शिविर की शुरुआत राजयोगिनी राधा दीदी ने आईएमआरटी बिजनेस स्कूल, विपुल खंड में की. दीप प्रजवल्लन के पश्चात,शिविर का उद्घाटन करते हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री डा. महेंद्र सिंह ने लखनऊ की नजाकत एवं नफासत का जिक्र करते हुए कर्नाटक से शिविर कराने आई राजयोगिनी वीणा दीदी जी का स्वागत किया। गीता को संपूर्ण राजयोग का पथ प्रदर्शक बताते हुए इसे जीवन जीने की कला सिखाने का ग्रंथ बताया.
गीता पर व्याख्यान आरंभ करते हुए वीणा दीदी ने बताया गीता वास्तव में मनुष्य और भगवान के बीच का वार्तालाप है. गीता, भगवान कृष्ण द्वारा अवसाद में गrए अर्जुन को दी गई, काउंसलिंग है. गीता जीवन में संतुलन एवं समभाव धारण करने का योगशास्त्र है.
जब हम जीवन की सभी परिस्थितियों के प्रति समान दृष्टि रखते हुए, आनंदित रहने की कला सीखते जाते हैं; हम अवसाद, चिंता, भय, टेंशन, कंपटीशन, हिंसा, लालच आदि समस्याएं जिन्होंने आधुनिक मानव को जकड़ रखा है; से धीरे-धीरे मुक्त होने लग जाते हैं. आज जब बच्चों में भी अवसाद दिखाई देना कॉमन हो गया है तो गीता इन सभी समस्याओं के रूट कॉज ( मूल कारण ),मन को बाह्य सामाजिक एवं मानसिक प्रभावों से मुक्त एवं अप्रभावित रहते हुए, खुशनुमा जीवन जीना सिखाती है. शायद इन्हीं सब कारणों की वजह से, गीता विश्व की सर्वाधिक भाषाओं में अनुवादित एवं सर्वाधिक टीका किया जाने वाला ग्रंथ है. ज्ञातव्य हो , शिविर का आयोजन 6:30 बजे से 7:30 बजे, प्रातः एवं सांय 14 तारीख तक , आईएमआरटी बिजनेस स्कूल, विपुल खंड के हॉल में रहेगा. जीवन की सभी समस्याओं का सामना करते हुए, खुशनुमा रूप में जीवन जीने की कला सीखने के सभी इच्छुक, इस शिविर में जरूर पधारें.