उत्तर-प्रदेश

ठाकुर बांकेबिहारी के चरण दर्शन पाकर श्रद्धालु हुए धन्य, पाया बद्रीनाथ का दर्शन पुण्य

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मथुरा। तीर्थ नगरी वृंदावन में अक्षय तृतीया पर्व की धूम मची हुई है। मंगलवार देर शाम तक स्वर्ण-रजत श्रृंगार और हीरे-जवाहरात के हार केसरिया वस्त्रों में ठा. बांके बिहारी के चरणों के दर्शन की एक झांकी देखने के लिए लाखों भक्तों का सैलाब मंगलवार पूरे दिन उमड़ता रहा है। मनमोहक छवि की एक झलक पाने को बेताब लाखों भक्तों का उतावलापन भी मंदिर में झलक पा रहा है। भक्तों का हुजूम जितना मंदिर के अंदर नजर आया, उससे कई गुना तो मंदिर के बाहर आराध्य की एक झलक पाने को इंतजार करता नजर आया।

आराध्य ठाकुर बांकेबिहारी के चरणों के दर्शन वर्ष में केवल एक बार आज ही के दिन अक्षय तृतीया पर ही जो प्राप्त होते हैं। ऐतिहासिक क्षणों को साक्षी बनने के लिए श्रद्धालु भक्तों की भीड़ मंगलवार प्रातः से ही शाम के दर्शनों तक ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के बाहर एकत्रित होने लगी और पट खुलते ही श्रद्धालु भक्त जयकारे लगाते हुए मंदिर में प्रवेश करने लगे। जैसे ही उनकी मनोकामना चरण दर्शन के रूप में पूरी हुई, तो वे स्वयं को धन्य महसूस करते हुए दोनों हाथ उठाकर प्रभु की जय जयकार करने लगे। जिससे संपूर्ण मंदिर परिसर जयकारों से गुंजायमान हो उठा।

अक्षय तृतीया पर्व के मौके पर मंदिर के सेवायत स्वामियों द्वारा ठाकुरजी को शीतलता प्रदान करने के लिए गुलाब जल से तैयार किए गए विशेष चंदन से श्रीविग्रह का लेपन किया गया। साथ ही सवर्ण आभूषण, चरणों में रजत पायल और पीत वस्त्रों में भव्य श्रृंगार किया गया। इसके साथ ठाकुरजी को सत्तू समेत अन्य शीतल पेय पदार्थों का भोग अर्पित किया गया और उनके चरणों में चंदन का एक बड़ा गोला भी रखा गया।

ठाकुर जी के चरण दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मंदिर प्रबंधन एवं पुलिस प्रशासन द्वारा व्यापक इंतजाम किए गए। मंदिर में श्रद्धालुओं के आने जाने के लिए वनवे सिस्टम लागू किया गया। ठाकुर बांके बिहारी मंदिर एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स तैनात किया गया था। एसपी सिटी एमपी सिंह, एसपी ट्रैफिक हरेंद्र कुमार, सीओ सदर प्रवीण कुमार मलिक एवं सीओ सुरक्षा राममोहन शर्मा मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा एवं सुविधा प्रदान करने में जुटे रहे। मंदिर के सेवायत गोपी गोस्वामी ने बताया कि अक्षय तृतीया तिथि बहुत ही शुभ तिथि है क्योंकि यह युग प्रारम्भ तिथि है। इस दिन कई महापुरुष का प्रकाट्य हुआ। अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान के चरण दर्शन होते हैं, इसलिए यह पर्व उत्तर भारत का विशेष पर्व है।

बद्रीनाथ के दर्शन के बराबर मिलता है फल

मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान बांके बिहारी के दर्शन करने से बद्रीनाथ धाम के दर्शन करने के बराबर फल मिलता है। कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन किया गया पुण्य कार्य अक्षय नहीं होता। इस दिन बांके बिहारीजी के वर्ष में एक बार चरण दर्शन होते हैं। सुबह के समय जहां बिहारी जी चरण दर्शन देते हैं, वहीं शाम को सर्वांगीण दर्शन होते हैं।

बिहारीजी को पायल अर्पण करने की भी है परंपरा

अक्षय तृतीया के दिन भगवान बांके बिहारी जी को पायल भी पहनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन कुंवारी कन्या भगवान बांके बिहारी को अर्पित पायल को प्रसाद स्वरूप प्राप्त करने के बाद पहनती हैं तो उसकी शादी में आने वाली अड़चन दूर हो जाती है।

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