जगत-जननी के जयकारों से गूंजी राजधानी लखनऊ, सज्जा माँ का दरबार
- दो साल के बाद मंदिरों के बाहर लगी भक्तों की कतारें
लखनऊ। नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर लखनपुरी के देवी मंदिरों में दर्शन के लिए देवी भक्तों की भीड़ जुटी रही। भोर से ही मंदिरों के द्वार पर भक्तों का तांता लगा रहा। मंदिरों के बाहर नारियल, पुष्प और प्रसाद लिए भक्तों की लाइनें लगी। हिन्दी महीने के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा, शनिवार से नवरात्रि आरंभ हो गए। इसको वासंतिक नवरात्रि भी कहते हैं।
भक्तों ने नवरात्रि के प्रथम दिन आदि शक्ति मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की आराधना की। माता जगत जननी की जय जयकार से राजधानी गुंजायमान हो उठी। दो साल बाद भक्तों को इतने खुले वातावरण में देवी के दर्शन का सौभाग्य मिला। पिछले सालों में कोरोना संक्रमण के डर से मंदिरों में ठीक से दर्शन भी नहीं कराए गए। भक्तों को चैनल गेट के बाहर से ही दर्शन करना पड़ा था।
राजधानी में चौक, चूड़ीवाली गली स्थित बड़ी काली जी मंदिर में नवरात्रि पर मेला लगता है। यहां काफी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं। भक्तों में इस मंदिर के प्रति बड़ी आस्था है। यहां माता का श्रृंगार मखाने से किया गया। यहीं छोटी काली माता का मंदिर है। यहां पर भी माता का श्रृंगार मेवे से किया गया।
चौपटियां की संदोहन देवी मंदिर में दर्शन के लिए सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा। प्रतिपदा पर माता को सिंह पर विराजमान छवि के साथ दिखाया गया। मंदिर के मुख्य पुजारी अनूप मिश्रा ने बताया कि नवरात्रि पर यहां रोज माता का श्रृंगार अलग-अलग ढंग से किया जाता है। एकादशी को माता के चरण दर्शन कराए जाते हैं।
वहीं बख्शी का तालाब स्थित 51 शक्तिपीठ मंदिर में माता का श्रृंगार नीले वर्ण में किया गया। यहां भी काफी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आए। यहां की कर्ताधर्ता तृप्ती तिवारी ने बताया कि यहां नवरात्रि पर हर रोज अलग-अलग रंगों में माता का श्रृंगार होता है। इसके अलावा पिंडी पूजन विशेष तौर पर किया जाता है। इसके अलावा मां शीतला देवी मंदिर सहित शहर के अन्य मंदिरों में भी भक्तों ने दर्शन किए।