उत्तर-प्रदेश

उत्तर प्रदेश की राजधानी में उड़ रही है अवध के माटी की खुशबू

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  • संगीत नाटक अकादमी परिसर में चल रहा है तीन दिवसीय अवध महोत्सव

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इन दिनों अवध की माटी की सोंधी खुशबू उड़ रही है। यहां अवध के खान-पान, पारम्परिक पहनावा और साहित्य से साक्षात्कर होने का अवसर मिल रहा है। यहां गोमती नगर संगीत नाटक अकादमी परिसर में तीन दिवसीय अवध महोत्सव चल रहा है। महोत्सव के दूसरे दिन सोमवार को अवध का साहित्य और संस्कृति का समन्वय देखने और सुनने को मिला। वहीं महिलाओं ने अवध के पारम्परिक स्वादिष्ट खान-पान का स्वाद चखाया तो साथ ही विभिन्न पारम्परिक त्योहारों के अवसर पर कही जाने वाली कथाओं का भी श्रवण कराया।

अवधी परम्परा को ध्यान में रखते हुए महिलाओं ने साड़ी और लहंगे मे अवध के खूबसूरत परिधान की सुन्दरता को मंच पर बिखेरा। गौरव और भोलेनाथ तिवारी ने अवधी लोक गायन को रसमय कर दिया। लोक गायन में अर्शदीप कौर ने ‘सईया मिले लरकईया मै का करू…. रश्मि सिह ने छोटे से नन्हें से हमका मिले बालम छोटे से…; दिलीप कुमार ने ‘बाबुल मोरा नैहर छूटो. जाये….; अंबिका विश्वकर्मा और देवाश राज ने ‘आपन देशवा की बहरिया हुलसे जियरा गाया। पल्लवी निगम ने चुनरिया ‘मोरी चांदनी की कोई पियरी रंगा लाय रे… ; हिमांशु वर्मा ने चौती गाई।

कविता ने होली फगुनवा मे रंग रसी रही बरसे; शोभना ने सोहर ‘कौशल्या के जन्मे ललनवा… ; कविता और शोभना ने युगल गीत ‘राम जी आये भवन सजाए। दिन में मंच पर कानपुर; गोरखपुर; हरदोई और राजधानी से 63 प्रतिभागी शामिल हुए। ईशा मिशा के मंच संचालन ने कार्यक्रम को गतिशील बनाये रखा। अंत में ज्योति किरन रतन ने सभी को प्रमाणपत्र प्रदान किये।

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