बांदा की 300 गौशालाओं में गोवंश की हालत खराब! बकाया 12 करोड़ नहीं मिले तो 51000 गोवंश की जिंदगी खतरे में
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में 300 से ज्यादा स्थाई एवं अस्थाई गौशालाओं में 51000 से अधिक गोवंश संरक्षित हैं. जहां पर इनके भरण पोषण में हर महीने 5 करोड रुपए से ज्यादा का खर्च आता है. हालांकि, इस समय करीब 12 करोड़ रुपए का बकाया हो गया है, वही, जिले में बेसहारा गोवंश के संरक्षण के लिए गांव-गांव में गौशाला में बनाई गई हैं. वहीं, मौजूदा समय 300 से अधिक गौशाला में बन चुकी हैं इनमें पल रहे गोवंश के भरण-पोषण को सरकार प्रति गोवंश रोजाना 30 रुपए के हिसाब से मदद देती है.
वहीं, रोजाना 30 रुपए के हिसाब से मदद देती है जिले में इस समय 51 हजार से अधिक गोवंश आश्रय स्थलों व सहभागिता योजना के तहत पाली जा रही हैं. इस दौरान पशुपालन विभाग के मुताबिक संरक्षित गोवंश के भरण पोषण में हर महीने लगभग 5 करोड़ रुपए का खर्च आता है. विभाग के माध्यम से इनके भरण पोषण का पैसा सरकार द्वारा दिया जाता है, मगर इस समय भरण पोषण का बकाया चुकाने को लगभग 12 करोड़ रुपए की जरूरत है.जोकि अभी प्रदेश सरकार द्वारा नहीं दिया गया है.
गर्मियों में रहती है चारे- भूसे की दिक्कत
बता दें कि बांदा जिले में गर्मी के मौसम में हरे चारे और भूसे की समस्या बढ़ जाती है. ऐसे में संचालकों को भरण-पोषण में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बताते हैं कि इस समय काफी कठिन समस्या आ गई है. क्योंकि 12 करोड रुपए का बकाया है, ये कब पैसा आएगा कब गोवंश का पेट भरेगा. क्योंकि इन 54000 गोवंश इन 2 सालों में संरक्षित है. हालात अब ऐसे कागार पर आ गई है स्थिति यदि पैसा नहीं आएगा तो इनका जीना मुश्किल है. क्योंकि ना तो भूसा आएगा ना चारा आएगा ना दाना आएगा.
गोवंश, प्रदेश की तरफ इस उम्मीद के साथ देख रहे हैं कि पैसे कब आएंगे- अधिकारी
गौरतलब है कि नागौर अच्छा कर रहे है. वहां जो कर्मचारी हैं वह रहेंगे उन सभी को पैसा इसी से दिया जाता है. अब यह बहुत बड़ी समस्या आ गई है.अब इस संकट को हल कौन करेगा. क्योंकि चुनाव चल रहे हैं सभी लोग चुनाव में व्यस्त हैं सीएम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अपना चुनाव आज गोरखपुर से लड़ रहे हैं वोट डालकर आए हैं. इधर गोवंश के पेट में पेट लगा है. वह प्रदेश की तरफ इस उम्मीद के साथ देख रही है कि कब 12 करोड़ आएंगे. तब जाकर हमारा पेट भरेगा यह भी सत्य है कि यह 12 करोड़ तो बकाया रही है और आगे इनको भोजन देने के लिए और बजट देना पड़ेगा आखिर वह बजट कहां से मिलेगा 51000 गोवंश को संरक्षित करना उनकी स्वास्थ्य सुविधा को देखना कठिन कार्य होगा.