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ओमिक्रॉन के बीच चुनावी रैलियां! कोविड केस बढ़ने से चिंतित चुनाव आयोग, पांच राज्यों को दिया वैक्सीनेशन में तेजी लाने का निर्देश

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कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का खतरा दिन-दूनी रात चौगुने के स्तर से बढ़ रहा है. देशभर से कोविड-19 के रोजाना ज्यादा संख्या मे मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में इस साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब समेत पांच राज्यों के चुनाव नजदीक हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां प्रचार के लिए चुनावी रैलियों पर जोर दे रही हैं. कोरोना संकट के बीच हो रही रैलियों में उमड़ रही भीड़ को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं.

चुनाव आयोग भी कोरोना के बढ़ते संक्रमण से चिंतित है. आयोग ने पांच राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर कोरोना वैक्सीनेशन में तेजी लाने का निर्देश दिया है. भारतीय निवार्चन आयोग के सूत्रों के मुताबिक, मुख्य निवार्चन अधिकारी (CEC) सुशील चंद्रा ने पत्र में साफ तौर पर राज्यों के मुख्य सचिवों को कोरोना वायरस के खिलाफ ढाल बन रही वैक्सीन के अभियान को तेज करने की हिदायत दी है. चंद्रा ने मुख्य सचिवों को ताकिद किया है कि राज्य में वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज की गति में तेजी लाई जाए ताकि मतदान होने तक सभी मतदाताओं का वैक्सीनेशन पूरा हो जाए.

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित

माना जा रहा है कि आयोग इस बार अपने दिशानिर्देशों में मतदान के लिए मतदाता का वैक्सीनेटेड होना जरूरी कर सकता है. हालांकि यह मतदाता के मौलिक अधिकारों से जुड़ा मसला है, इसलिए आयोग इस पर विशेषज्ञों से राय ले रहा है. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में आगामी महीने में चुनाव होने हैं. सूत्रों की मानें तो पांचों राज्यों में चुनाव की तारीख की घोषणा आयोग की ओर से अगले हफ्ते की जा सकती है.

पांचों राज्यों में वैक्सीनेशन की गति तेज करने का निर्देश

हाल ही में सीईसी और उनकी टीम ने चुनावी राज्यों का दौरा किया था. जहां उन्होंने चुनाव और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक की थी. इसके बाद आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के साथ कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के मद्देनजर बैठक कर जानकारी ली थी. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से भी संबंधित पांच राज्यों में वैक्सीनेशन तेज करने को कहा गया था. सूत्र बताते हैं कि अब चुनाव आयोग का निर्देश है कि कोरोना वैक्सीनेशन की पहली डोज का प्रतिशत ज्यादा होना चाहिए और दूसरी डोज का प्रतिशत भी बढ़ना चाहिए.

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