पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस के असंतुष्ट ‘जी 21’ समूह के नेताओं ने एक बार फिर पार्टी आलाकमान से मुलाकात की है. आज सुबह हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र सिंह हु्ड्डा और राहुल गांधी की बैठक में तय हुआ की जी 21 के कुछ और नेता भी गुलाम नबी आजाद के साथ सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे. इस पर राहुल गांधी ने कहा की वो सोनिया गांधी से बात करके मिलने के समय की जानकारी देंगे. इसके पहले आज शाम सोनिया गांधी और आजाद के बीच बैठक होनी थी. हालांकि अब कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ जी 21 के कुछ और नेता भी मुलाकात करने वाले हैं.
इससे पहले राहुल गांधी ने हुड्डा से जी 21 की कल की बैठक के बारे में जानकारी ली. हुड्डा ने बताया कि बैठक में CWC के चुनाव और उसमें चर्चा के जरिए ही भविष्य के फैसले लेने की बात कही गई. उन्होंने कहा की कल की जी 21 की प्रेस रिलीज में सामूहिक और समावेशी का मतलब यही था. साथ ही संगठन महासचिव वेणुगोपाल को उनके पद से हटाकर किसी अनुभवी व्यक्ति को नियुक्त करने की बात कही गई . उन्होंने कहा कि संगठन का महासचिव ऐसा होना चाहिए जो उत्तर भारत की राजनीति को समझता हो और हिंदी जानता हो.
जी 21 की तरफ से राहुल गांधी के निजी सहायक अलंकार और के राजू पर नेताओं और आम कार्यकर्ताओं से राहुल गांधी को न मिलवाने और राहुल गांधी की एडवांस सुरक्षा टीम के प्रमुख बैजू के राजनीतिक फैसलों में दखल जैसे मुद्दों पर शिकायत की गई. इसके साथ ही इन मुद्दों को जल्द से जल्द ठीक कर राजनीतिक व्यक्तियों को साथ रखने का सुझाव दिया गया. इसके साथ ही सदस्यता अभियान में गड़बड़ी की शिकायत भी की गई. जी 21 के नेताओं ने कहा की यूपी में करीब 18 लाख डिजिटल मेंबर बनाने का दावा किया गया लेकिन 95 फीसदी सीटों पर वोट सैकड़ों में मिले,मतलब गड़बड़ी की गई.
फैसले कहां से हो रहे हैं इसपर स्पष्टता की जरूरत बताई गई, कहा गया की हमें पार्टी के बड़े फैसले अखबारों से पता चलते हैं इसलिए सामूहिक रूप से फैसले लेने की जरूरत है. हुड्डा ने कहा की हमने कोई पार्टी विरोधी गतिविधि नहीं की है बल्कि सोनिया गांधी को बताकर ये बैठक की थी. बाकी वाघेला और सिब्बल की हर बात से हम सहमत नहीं हैं. इन दोनों ही नेताओं ने राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे.
G-23 समूह क्या है?
G-23 समूह में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं. 2020 में जब पहली बार इन नेताओं का समूह चर्चा में आया तब इसमें 23 नेता शामिल थे. उस वक्त इस समूह ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाने और संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की मांग की थी. इस पत्र में 23 नेताओं के हस्ताक्षर थे. इसी वजह से इस समूह को G-23 नाम मिला. ग्रुप में शामिल रहे जितिन प्रसाद बाद में भाजपा में शामिल हो गए. वहीं योगानंद शास्त्री ने भी शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया. यही वजह है कि अब इसे G-21 भी कहा जाता है.