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चौधरी चरण सिंह की जयंती पर कोटि कोटि नमन , उनके नाम पर राजनीति हो रही है : सुनील सिंह

'चुनिंदा किसानों को ट्रैक्टर की चाबी सौंपना सम्मान नहीं, बल्कि दिखावटी राजनीति है'

दिल्ली/लखनऊ : पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न चौधरी चरण सिंह की जयंती के अवसर पर लोकदल नेताओं ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस मौके पर लोकदल नेता सुनील सिंह ने चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करते हुए कहा कि चौधरी साहब किसान, गांव और खेत-खलिहान की आत्मा थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन किसानों के हक और सम्मान के लिए समर्पित कर दिया।
सुनील सिंह ने कहा कि आज चौधरी चरण सिंह की जयंती पर सरकार बड़े-बड़े आयोजन कर रही है, लेकिन किसानों के नाम पर उनकी विरासत का राजनीतिक और निजी लाभ के लिए उपयोग किया जा रहा है। यदि सरकार वास्तव में चौधरी साहब की विचारधारा पर चल रही होती, तो किसान आज खाद के लिए लाइन में, गन्ना भुगतान के लिए दफ्तरों के चक्कर और फसल के दाम के लिए बाजार में भटकने को मजबूर न होता।
सुनील सिंह जी ने किसान सम्मान दिवस पर सरकार के उस बयान— “किसान ऊर्जा प्रवाहित करता है तो धरती सोना उगलती है” —पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसे काव्यात्मक कथन जमीनी सच्चाई नहीं बदलते। धरती तब ही सोना उगलेगी, जब किसान को उसकी फसल का पूरा दाम, समय पर भुगतान और सुरक्षा मिलेगी।
जयंती नाम की नहीं, नीति की होनी चाहिए
सुनील सिंह ने कहा कि चौधरी चरण सिंह मानते थे कि जब तक किसान समृद्ध नहीं होगा, देश आगे नहीं बढ़ सकता। आज उनकी जयंती को सरकारी कार्यक्रमों और फोटो सेशन तक सीमित कर दिया गया है, जबकि उनकी सोच के अनुरूप नीतियां लागू नहीं हो रहीं।
चुनिंदा किसानों को ट्रैक्टर की चाबी सौंपना सम्मान नहीं, बल्कि दिखावटी राजनीति है। असली सवाल आज भी जस का तस है—
सभी फसलों पर कानूनी एमएसपी कब मिलेगी?
गन्ना भुगतान समय पर क्यों नहीं हो रहा?
खाद-बीज की कालाबाजारी पर रोक क्यों नहीं?
आवारा पशुओं से फसल सुरक्षा की स्थायी व्यवस्था क्यों नहीं?
चौधरी चरण सिंह की असली नमन तभी होगी, जब किसान को उसकी मेहनत का पूरा मूल्य, सम्मान और सुरक्षा मिलेगी। जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक जयंती पर होने वाले आयोजन किसानों की नजर में खोखली ही रहेगा। सिंह ने आगे कहा कि सरकार चौधरी चरण सिंह की सोच से भटक चुकी है,
चौधरी चरण सिंह मानते थे कि जब तक किसान समृद्ध नहीं होगा, देश आगे नहीं बढ़ सकता। लेकिन आज सरकार नाम पर और काम में उपेक्षा की नीति अपना रही है। चौधरी साहब की छवि को किसानों के नाम पर भुनाना, उनकी आत्मा के साथ अन्याय है।
जब तक किसान को४ उसकी मेहनत का पूरा मूल्य, सुरक्षा और सम्मान मिलेगा, तब तक ऐसे आयोजन दिखावटी किसान 4rसम्मानr ही माने जाएंगे। सरकार यदि वास्तव में किसान हितैषी है तो उसे भाषण नहीं, नीतित फैसलों से जवाब देना होगा।

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