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फूडमैन डॉ. विशाल सिंह को मिला अंतरराष्ट्रीय डॉक्टरेट सम्मान

विश्वपटल पर लहराया लखनऊ का परचम

नई दिल्ली/लखनऊ । सेवा अगर संकल्प बन जाए तो वह सीमाओं को लांघ जाती है। लखनऊ के सेवाव्रती फूडमैन डॉ. विशाल सिंह ने अपने 18 वर्षों के अथक परिश्रम और सामाजिक समर्पण से न केवल ज़रूरतमंदों की जिंदगी को रौशन किया है, बल्कि भारत का नाम भी वैश्विक स्तर पर रोशन किया है। हाल ही में उन्हें नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित इंडिया इंटेलेक्चुअल कॉन्क्लेव 2025 में Doctorate of Honor से नवाजा गया।

इस गरिमामयी मंच पर अमेरिका और इटली के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की उपस्थिति ने इस सम्मान को और ऊंचाई प्रदान की।
“कोई भी भूखा न सोए” — इस व्रत को लेकर डॉ. विशाल सिंह ने लखनऊ के प्रमुख सरकारी अस्पतालों जैसे KGMU, सिविल अस्पताल, और लोहिया संस्थान में प्रतिदिन हजारों कैंसर मरीजों और उनके परिजनों को निःशुल्क भोजन, रात्रि विश्राम की व्यवस्था और आध्यात्मिक सहारा प्रदान किया। यह सेवा किसी संस्था या सरकार की ओर से नहीं, बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक सहयोग से चल रही है।जब कोविड महामारी के दौरान चारों ओर भय और भूख का आलम था, तब डॉ. सिंह ने अपनी पूरी टीम के साथ कम्युनिटी किचन स्थापित किए और हजारों परिवारों को भोजन, दवा और मनोबल प्रदान किया। इस संकट काल में उनका योगदान किसी युद्धवीर से कम नहीं था।
डॉ. सिंह की सेवा अब सीमाओं को पार कर चुकी है। दुबई, सऊदी अरब, और यूएई से उन्हें आमंत्रण प्राप्त हो चुका है कि वे अपने हंगर फ्री वर्ल्ड अभियान को वहां भी लागू करें। यह भारत की सोच और सेवा संस्कृति का विस्तार है। देश के केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू द्वारा इस पहल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक पहुँचाना एक बड़ा संकेत है कि यह अभियान जल्द ही राष्ट्रीय और फिर वैश्विक नीति का हिस्सा बन सकता है।
डॉ. विशाल सिंह मानते हैं कि “अगर हमने किसी एक ज़रूरतमंद की भूख मिटा दी, तो मानो इंसानियत का कर्ज अदा कर दिया।” उनके अनुसार सेवा किसी वर्ग, जाति या धर्म की मोहताज नहीं,

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