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डीयू में शैक्षणिक विषयों पर संवाद कार्यक्रम आयोजित 

संवाद कार्यक्रम के तहत शिक्षकों ने आरक्षित वर्गों का प्रतिनिधित्व देने की मांग की

नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय के गाँधी भवन के तत्वावधान में आज विभिन्न कॉलेजों के शिक्षकों व दलित बुद्धिजीवियों के साथ भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्य अतिथि श्री लाल सिंह आर्य के साथ शैक्षणिक विषयों पर संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया । इस कार्यक्रम में कॉलेज शिक्षकों के अलावा बड़ी संख्या में दलित बुद्धिजीवियों ने भाग लिया । संवाद कार्यक्रम की अध्यक्षता गाँधी भवन के निदेशक प्रो. के.पी.सिंह ने की । मंच संचालन प्रो.मनोज कुमार कैन ने किया। संवाद परिचर्चा में भाग लेने वालों में प्रो. संजय राय , प्रो. मंजू मुकुल , प्रो. अन्नू मेहरा , प्रो.सुरेश कुमार , प्रो.संदीप , प्रो. हंसराज सुमन , प्रो.परमजीत सिंह, डॉ. संजय कुमार , डॉ. मंजू सरकार , श्री सतपाल सिंह , श्री राजबीर सिंह , डॉ. सज्जन कुमार आदि उपस्थित रहे ।

संवाद कार्यक्रम में आए शिक्षकों ने अपना पक्ष रखते हुए श्री आर्य को बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में प्रिंसिपल पदों पर आरक्षण न होने पर चिंता व्यक्त की , इसी तरह विश्वविद्यालय प्रशासन के उच्च पदों पर आरक्षित वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व देने का प्रस्ताव रखा तथा विभिन्न विभागों में हो रही सहायक प्रोफेसर , एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के पदों पर स्थायी नियुक्ति में एससी , एसटी व ओबीसी कोटे के अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल ( NFS ) करना , केंद्र सरकार की आरक्षण नीति की अवहेलना करना है । उन्होंने डीयू में डॉ.अम्बेडकर चेयर की स्थापना करना , ट्राइबल स्टरडी सेंटर की तर्ज पर दलित स्टरडी सेंटर खोलने की भी मांग रखी । प्रो.संदीप ने कहा कि डीयू में पहली बार दलित शिक्षकों के साथ सही से सामाजिक न्याय हो रहा है और हाल ही कि नियुक्तियों में उन्हें 50 फीसदी आरक्षण मिला है । कई शिक्षकों ने एससी/ एसटी व ओबीसी का बैकलॉग व शॉर्टफाल के पदों को न भरने पर चिंता व्यक्त की और बताया कि उनके पदों से ईडब्ल्यूएस शिक्षकों के पदों को भरा गया लेकिन शिक्षा मंत्रालय द्वारा इन पदों को अभी तक नहीं दिया गया ।

विभाग की एक सहायक प्रोफेसर ने कॉलेजों व विभागों में शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति के समय चयन समिति द्वारा पैनल बनाते समय शिक्षकों की सीनियरिटी का ध्यान नहीं रखा , उन्होंने बताया कि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों का इंटरव्यू पहले हुआ और उनकी पोस्ट पहले भरी जानी चाहिए थी लेकिन चयन समिति ने अनरिजर्व्ड पदों को सीनियर बना देने से दलित शिक्षकों में गहरा रोष व्याप्त है । एक प्रोफेसर ने बताया कि कुछ कॉलेजों में आरक्षित वर्गों के प्रिंसिपल नियुक्त हैं लेकिन उनकी नियुक्ति सामान्य श्रेणी से लगी है । उन्होंने बताया कि प्रिंसिपल पदों के विज्ञापन आ रहे हैं पर उनमें आरक्षण नहीं दिया जा रहा , कुछ प्रोफेसर बिना आरक्षण के पैनल में आयें मगर एपेक्स कमेटी में वे बाहर हो गए । एक वरिष्ठ प्रोफेसर का कहना था कि संवाद कार्यक्रम के तहत जिन विषयों को रखा गया है वह हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आर्य जी के माध्यम से डीयू प्रशासन व शिक्षा मंत्रालय के संज्ञान में आने चाहिए ताकि सरकार और संघ की परिकल्पना है वंचित वर्गों में समता , समानता , बंधुत्व , समरसता के साथ -साथ सामाजिक न्याय की हिस्सेदारी मिल सकें ।

शिक्षकों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्री लाल सिंह आर्य ने संवाद कार्यक्रम में आए सभी दलित बुद्धिजीवियों व शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि मेरे समाज ने सदैव देश को देने का काम किया है । उन्होंने कहा कि संवाद कार्यक्रम के तहत जिन सवालों को उठाया गया है उन सवालों के समाधान के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन व सरकार से बातचीत की जाएगी । उन्होंने बताया कि वर्तमान में 27 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अम्बेडकर चेयर स्थापित हैं और बहुत से विश्वविद्यालयों डॉ.अम्बेडकर को पढ़ाया जा रहा है । उन्होंने कहा कि सरकार ने दलितों के मुद्दों को प्राथमिकता दी है । उनके एजेंडे में दलितों के मुद्दे महत्त्वपूर्ण है , हर सरकारी निकायों में प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है । एक दशक पूर्व दलितों के नाम पर राजनीति की जाती थीं लेकिन वर्तमान सरकार ने उनकी समस्याओं का समाधान कर उनकी भागीदारी सुनिश्चित की है । उन्होंने बताया कि दलित समाज के महापुरुषों /संतों के नाम पर विश्वविद्यालय बनाए जा रहे हैं ।

उन्होंने कहा कि हमें पाठ्यक्रमों में बहुजन दलित समाज के महानायकों को पढ़ाने के लिए भी विचार करना चाहिए । आज हर जगह दलित विमर्श की चर्चा हो रही है तो हमें अपने उन शहीदों को याद करना होगा जिन्होंने अठारह सौ सत्तावन की लड़ाई में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । उन्होंने शहीद उधम सिंह , ऊदा देवी , झलकारीबाई कोरीव उदया चमार, बिजली पासी का आजादी के आंदोलन में योगदान की सराहना की । श्री आर्य ने कहा कि उनकी सरकार हर वर्गों के लिए काम करती है न कि राजनीति । उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि डॉ. अम्बेडकर व शहीद भगतसिंह का चित्र लगाकर उन वर्गों की वोट लेते रहे लेकिन अपने समय में आयोग तक गठित नहीं कर पाए । श्री आर्य ने बताया कि सरकार विकसित भारत– 2047 के लिए वंचित वर्गों के उत्थान , इन वर्गों का क्या योगदान होना चाहिए सरकार को इनकी चिंता है । उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने इन दस वर्षों में दलितों /पिछड़ों को मुख्यधारा में लाने के लिए कई योजनाएं माननीय प्रधानमंत्री लेकर आएं है और इन योजनाओं को लागू कर इसका लाभ मिल रहा है । सरकार वंचित वर्गों के लिए निरंतर काम कर रही है और जो कमी रह गई है हम सब मिलकर बातचीत व संवाद के माध्यम से पूरा कराने का प्रयास करेंगे ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे गाँधी भवन के निदेशक प्रो. के.पी. सिंह ने कहा कि पिछले चार सालों में दिल्ली विश्वविद्यालय में सर्वाधिक कार्य हुए हैं , लगभग पाँच हजार शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति , 23 हजार यूनिट प्रमोशन , कई अध्ययन केंद्र की स्थापना करना तथा चार आरक्षित वर्गों के प्रिंसिपल नियुक्त करना व उन्हें कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी में स्थान देकर उनके साथ सामाजिक समरसता का भाव पैदा किया है । उन्होंने बताया कि डॉ.अम्बेडकर व दलित विमर्श के तहत कुछ बहुजन नायकों को नई शिक्षा नीति में स्थान दे रहे हैं । प्रो.योगेश सिंह ने अपने कार्यकाल में दलित , पिछड़े वर्गों के प्रोफेसर को अनेक कमेटी में रखा है , वे सभी को साथ लेकर चल रहे हैं । कुलपति प्रो.योगेश जी के ही अथक प्रयासों से डॉ. अम्बेडकर , गाँधी , बिरसा मुंडा , सावित्री बाई फुले , स्वामी विवेकानंद , सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे महा पुरुषों की जयंती मनाई जा रही है । अंत में डॉ.रजत चौधरी ने संवाद कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री लाल सिंह आर्य व विभिन्न विभागों /कॉलेजों से आए शिक्षकों , कर्मचारियों , शोधार्थियों का धन्यवाद ज्ञापित किया ।

 

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