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न्याय की जीत: अख़लाक़ मॉब लिंचिंग मामले में अभियुक्तों को बचाने की सरकारी याचिका खारिज, न्यायालय ने कायम रखा संविधान का इकबाल

गौतम बुद्ध नगर: आज गौतम बुद्ध नगर जिला न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अख़लाक़ मॉब लिंचिंग मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अभियुक्तों के विरुद्ध केस वापस लेने/बचाने हेतु दायर की गई याचिका को पूरी तरह खारिज कर दिया है। न्यायालय का यह निर्णय न केवल न्याय प्रक्रिया की शुचिता को बनाए रखने वाला है, बल्कि सत्ता के दबाव में न्याय को प्रभावित करने की कोशिशों पर एक करारा प्रहार है।

​संविधान और निष्पक्षता की जीत सुनवाई के दौरान न्यायालय में माकपा (CPI-M) की वरिष्ठ नेता कामरेड बृंदा करात विशेष रूप से उपस्थित रहीं। उन्होंने माननीय न्यायाधीश के इस साहसी फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि आज भारतीय न्यायपालिका ने यह सिद्ध कर दिया है कि कानून की नजर में सभी समान हैं और ‘मॉब लिंचिंग’ जैसे जघन्य अपराधों में संलिप्त लोगों को राजनीतिक संरक्षण नहीं दिया जा सकता।
​मुख्य बिंदु:
​हस्तक्षेप पर रोक: न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जघन्य अपराधों में सरकार का हस्तक्षेप न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है।
​संकीर्ण राजनीति को झटका: आरएसएस और भाजपा की विभाजनकारी विचारधारा और न्याय प्रणाली को प्रभावित करने की कोशिशों को अदालत के इस फैसले से गहरा धक्का लगा है।
​न्यायिक साहस: कामरेड बृंदा करात ने जज की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे समय में जब संवैधानिक संस्थाओं पर दबाव की चर्चा आम है, इस तरह के फैसले लोकतंत्र में जनता के विश्वास को मजबूत करते हैं।
​न्याय के प्रति हमारी प्रतिबद्धता यह फैसला उन तमाम ताकतों के लिए एक चेतावनी है जो भीड़ तंत्र और नफरत की राजनीति के जरिए देश के सौहार्द को बिगाड़ना चाहते हैं। अख़लाक़ के परिवार को न्याय दिलाने की यह लड़ाई अब अपने निर्णायक मोड़ पर है। हम मांग करते हैं कि सरकार अब और बाधाएं डालने के बजाय कानून को अपना काम करने दे ताकि दोषियों को उनके किए की सजा मिल सके।
जिला न्यायालय में सुनवाई के दौरान कामरेड वृंदा करात के साथ माकपा जिला सचिव राम सागर, सीटू नेता गंगेश्वर दत्त शर्मा, मुकेश कुमार राघव, सुखलाल, जनवादी महिला समिति की नेता रेखा चौहान, किरण देवी, लॉयर्स यूनियन के अधिवक्ता अरुण कुमार सहित दर्जनों माकपा का कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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