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अनुपूरक बजट इस बात का प्रमाण है कि सरकार की नीतियां जमीनी जरूरतों से कटी हैं : सुनील सिंह

लखनऊ : लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी सुनील सिंह जी ने अन्नपूरक बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहां है कि यह अनुपूरक बजट किसानों के लिए नहीं, बल्कि घोषणाओं और फाइलों के लिए है

किसान आज भी खाद, बिजली, पानी, भुगतान और इलाज के लिए भटक रहा है। 24,496.98 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पेश कर सरकार आंकड़ों का ढोल पीट रही है, लेकिन ज़मीन पर सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। 8.08 लाख करोड़ के मूल बजट के बावजूद आज सरकार को फिर अनुपूरक बजट लाना पड़ रहा है, यह स्वयं स्वीकारोक्ति है कि योजनाएं सही तरीके से बनी ही नहीं।
सरकार इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट, पावर, हेल्थ, नगर विकास, महिला-बाल कल्याण और गन्ना किसानों के नाम पर बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन सवाल यह है कि—
क्या किसानों को आज भी खाद, बिजली और गन्ना भुगतान समय पर मिल रहा है?
क्या सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर, दवाएं और इलाज की व्यवस्था सुधरी है?
क्या नगर विकास के नाम पर शहरों की बदहाल सड़कों, जलभराव और गंदगी से निजात मिली है?
क्या महिला और बाल कल्याण केवल बजट पुस्तिका तक सीमित नहीं रह गया है?
अनुपूरक बजट इस बात का प्रमाण है कि सरकार की नीतियां जमीनी जरूरतों से कटी हुई हैं। जब तक बजट का लाभ आखिरी व्यक्ति—किसान, मजदूर, महिला और युवा—तक नहीं पहुंचेगा, तब तक ऐसे बजट केवल कागजी अभ्यास बनकर रहेंगे।
सरकार को नए बजट लाने से पहले पुराने बजट के खर्च और उसके परिणामों पर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। जनता अब आंकड़ों से नहीं, जवाबदेही से शासन का मूल्यांकन करेगी।

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