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तमिलनाडु सरकार हिन्दी के पठन पाठन को बंद करके राष्ट्रीय एकता और अखण्डता को कमजोर कर रही है : अनिल दुबे

लखनऊ । राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव अनिल दुबे ने इण्डी गठबंधन के प्रमुख दल डीएमके द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 के विरोध पर इण्डी गठबंधन के प्रमुख घटक समाजवादी पार्टी और कांग्रेस से अपना मत स्पष्ट करने को कहा है।
लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत करते हुये कहा है कि तमिलनाडु में डीएमके द्वारा त्रिभाषा फामूर्ले का विरोध कर घिनौनी राजनीति की जा रही है और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और उनकी सरकार तमिलनाडु मंे हिन्दी थोपने का झूठा आरोप लगाया जा रहा है। उनका यह कहना कि वह बहुभाषी होने के पक्षधर है लेकिन राज्य में हिन्दी का अनिवार्य स्वीकार्य नहीं है।
श्री दुबे ने कहा कि 1968 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी के समय त्रिभाषा फामूर्ला बना था जिसका सभी राज्यों में हिन्दी अग्रेजी सहित एक क्षेत्रीय भाषा पढाये जाना तय हुआ था उस समय भी तमिलनाडू में इस फामूर्ले को लागू नहीं किया गया सिर्फ तमिल और अग्रेंजी ही लागू हुयी। 1986 में भी इस फामूर्ले को अपनाया गया किन्तु तमिलनाडु सरकार ने इसका विरोध किया। तमिलनाडु सरकार इस फार्मूले का विरोध कर राष्ट्रीय एकता का विरोध कर रही है। सन 2020 में नई शिक्षा नीति बनाई गई जिसको लागू करते हुये यह कहा गया कि हिन्दी, अंग्रेजी और एक क्षेत्रीय भाषा का फार्मूला अपने राज्य में लागू करे और कोई भाषा जबरन थोपी नहीं जायेगी। केन्द्रीय सरकार राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के उद्देश्य से गैर हिन्दी भाषी राज्यों में हिन्दी भाषा को प्रोत्साहित करने  का काम इसलिए कर रही है ताकि राष्ट्रीय एकता को और सशक्त और मजबूत बनाया जा सके लेकिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और उनकी सरकार इसका विरोध कर रही है।
उन्होंने कहा कि भाषा को लेकर संकीर्ण सोच से ऊपर उठने की बजाय तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और उनके मंत्री राजनीतिक स्वार्थ के कारण इस फार्मूले का विरोध कर रहे है और विरोध करना इनका पुराना इतिहास है। स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान 1918 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी ने दक्षिण भारत में हिन्दी प्रचार सभा की स्थापना की थी।
श्री दुबे ने कहा कि तमिलनाडु सरकार हिन्दी के पठन पाठन को बंद करके राष्ट्रीय एकता और अखण्डता को कमजोर कर रही है क्योंकि उसे यह लगता है कि त्रिभाषा फार्मूला लागू होने से राजनीति का रंग रोगन बदलेगा और षिक्षा का स्तर भी आगे न बढ पाये इसलिए उसका विरोध कर रही है और इसी तरह नई षिक्षा नीति हिन्दी, अग्रेजी सहित क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं को बचाने की दिशा में काम कर रही है लेकिन देश की जनता यह जानना चाहती है कि इण्डी गठबंधन के प्रमुख घटक कांग्रेस के नेता श्री राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव इस पर क्यों चुप्पी साधे हुए है और हिन्दी के विरोध पर एक शब्द नहीं बोल रहे हैं। उनकी यह चुप्पी हिन्दी के सम्मान के साथ अन्याय है और उससे यह स्पष्ट है सपा और कांग्रेस अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए हिन्दी भाषा को लगातार अपमानित होते देख रही है।
राष्ट्रीय लोकदल प्रदेश की जनता से हिन्दी के मुद्दे पर प्रदेष की जनता से भाषा, संस्कृति और सम्मान के लिए सहयोग की अपील करता है और इस मुददे पर प्रदेष की जनता की बीच सपा और काॅग्रेस करने के लिए अभियान भी चलायेगा।

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