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जिला कारागार में ब्रह्माकुमारीज बहनों द्वारा कैदियों को राखी बांधकर सुरक्षा का शुभ संकल्प दिया

लखनऊ : जिला कारागार में ब्रह्माकुमारीज बहनों द्वारा कैदियों को राखी बांधकर सुरक्षा का शुभ संकल्प दिया गया. इस अवसर पर उपस्थित विशाल सभा को संबोधित करते हुए, ब्रह्माकुमारी स्वर्णलता बहन ने बताया कि रक्षा बंधन भाई-बहन के बीच मनाया जाने वाला एकमात्र त्यौहार है, जो ‘पवित्रता और सुरक्षा’ के बंधन पर आधारित होता है। आजकल इस त्यौहार को मनाए जाने वाले रीति-रिवाज पहले के जमाने से बहुत अलग हो चुके हैं। पहले प्रत्येक परिवार में एक पुजारी होता था, जिसे प्रार्थना और घर की शुद्धि के लिए आमंत्रित किया जाता था। वे पुजारी सभी की कलाई पर एक पवित्र धागा बांधते थे। वह पवित्र धागा प्रतिज्ञा का प्रतीक होता था। परिवार का प्रत्येक सदस्य अपने जीवन में सही कर्म करने का वादा करता था, लेकिन समय के साथ-साथ ये पुराने रीति-रिवाज बदलने लगे और फिर परिवार की युवा लड़कियाँ सभी को पवित्र धागा बाँधने लगी और अब यह परंपरा बहनों द्वारा अपने भाइयों की कलाइयों पर पवित्र धागा बाँधने में बदल गई।

अब यह समझने की बातें हैं कि, अगर कोई भाई छोटा बच्चा है तो क्या वह अपनी बहन की रक्षा कर सकेगा? और क्या एक भाई अपनी बहन की सुरक्षा के लिए हमेशा उसके आस-पास रह सकता है? या फिर सिर्फ बहनों को ही सुरक्षा की जरूरत है, भाइयों को नहीं? और क्या ये त्यौहार केवल शारीरिक सुरक्षा तक ही सीमित है या फिर इसके अंदर और भी कोई गहरी सीख छुपी है? यह पावन त्यौहार हमें पवित्रता और सुरक्षा के बीच सीधे संबंध की याद दिलाता है।रक्षाबंधन का अर्थ है “सुरक्षा का बंधन”। हमें अपने जीवन में नुकसान व दर्द पहुंचाने वाली सभी बातों से सुरक्षित होने की आवश्यकता है। फिजिकल लेवेल पर दुनिया भर में जो भी आतंक और नुकसान हो रहा है, असल में वह भावनात्मक अशांति का ही परिणाम है। काम-विकारों से भरी आत्मा अशुद्ध कर्म करेगी; लोभी आत्मा चोरी-चकारी करेगी; आक्रामकता से भरी आत्मा हिंसा में लिप्त होगी। हमारे अंदर के 5 विकार; काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार ही आत्मा की भावनात्मक पीड़ा का कारण हैं और जब ये कर्म में आते हैं, तो इन विकारों से ग्रसित आत्मा दूसरों को भी नुकसान पहुंचाती है।

हम सभी को अहंकार, काम, क्रोध, जलन, ईर्ष्या, जुनून, लालच, घृणा, चोट, लगाव, आलोचना, वर्चस्व, चालाकी जैसे विकारों से स्वयं को बचाने की जरूरत है। हमें स्वयं की और दूसरों की रक्षा के लिए अपने ओरिजीनल सात दिव्य गुणों – शांति, आनंद, प्रेम, सुख, पवित्रता, शक्ति और ज्ञान का उपयोग करके संकल्पों, बोल और कर्म में शुद्धता लाने की आवश्यकता है। राजयोग सीखकर हम अपने दैनिक जीवन में इन गुणों का प्रैक्टिकल उपयोग कर सकते हैं और स्वयं तथा दूसरों को सुरक्षित भी रख सकते हैं.

ब्रह्माकुमारी बहनों ने यह राखी आदर्श कारागार, नारी बंदी जेल एवं डिस्ट्रिक जेल के विभिन्न कैदियों को बांधी. इस अवसर पर श्री धर्मवीर प्रजापति, मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार; श्री राजेंद्र सिंह, जेलर डिस्ट्रिक जेल ;  पंकज सिंह, जेलर आदर्श कारागार एवं श्रीमती शकुंतला चौधरी, डिप्टी जेलर नारी बंदी जेल विशिष्ट जनों के रूप में उपस्थित रहे.

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