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कोर्ट जब बाघों की गिरती संख्या पर संज्ञान ले सकता है, तो संविधान विरोधी लेख लिखने वालों पर क्यों संज्ञान नहीं लेता: शाहनवाज़ आलम

लखनऊ । उत्तर प्रदेश अल्पस्यंखक कांग्रेस ने प्रदेश भर से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित ज्ञापन भेजकर उनसे प्रधान मंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय के संविधान विरोधी लेख पर संज्ञान लेते हुए कार्यवाई की मांग की है।

अल्पस्यंखक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने कांग्रेस मुख्यालय से जारी बयान में बताया कि ज्ञापन में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट संविधान का अभिरक्षक है इसलिए मुख्य न्यायाधीश महोदय को संविधान के खिलाफ़ अपने पद के साथ लेख लिखने वाले बिबेक देबरॉय के विरुद्ध कार्यवाई करने के लिए पीएमओ को नोटिस भेजना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट संविधान पर हमलों पर संज्ञान नहीं लेगा तो जनता में यह संदेश जाएगा कि न्यायपालिका अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी से पीछे हट रही है। उन्होंने कहा कि अगर अदालतें बाघों की घटती संख्या की खबरों पर संज्ञान ले सकती हैं तो फिर संविधान बदलने की वक़ालत करने वाले लेखों पर क्यों संज्ञान नहीं ले रही हैं।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पिछले दो सालों से लगातार संविधान की प्रस्तावना को भी बदलने की बातें सरकार की तरफ से सुनाई दे रही हैं। जबकि केशवानंद भारती समेत विभिन्न मामलों में सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि संविधान की प्रस्तावना अर्थात मौलिक संरचना में कोई बदलाव संसद भी नहीं कर सकती। ऐसे में संविधान बदलने की बातों में एक स्पष्ट पैटर्न भी देखा जा सकता है। यह स्थिति हमारे लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरे की घण्टी है। जिसपर न्यायपालिका को अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए।

 

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